नई दिल्ली (ईएमएस)। पूर्व क्रिकेटर शिखर धवन ने कहा है कि उनके अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर का सबसे कठिन पल 2016 में कोलकाता के ईडन गार्डन्स में तब आया था जब न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट मैच के बाद उन्हें बाहर कर दिया गया था। धवन ने बताया कि उस समय विराट कप्तान थे और टीम से बाहर होने के कारण मैं बेहद निराश था। अगस्त 2024 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने वाले धवन ने सभी प्रारूपों में 288 पारियों में 10,867 रन बनाए। 2013 की आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में भारत की जीत में उनकी अहम भूमिका रही थी। धवन ने 2016 के उस टेस्ट मैच को याद करते हुए कहा कि तब चोटिल होने के कारण भी उनका प्रदर्शन खराब हुआ था। कोलकाता में न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट में, धवन पहली पारी में जल्दी आउट हो गए थे। वहीं दूसरी पारी में ट्रेंट बोल्ट की गेंद पर उनके हाथ में फ्रैक्चर हो गया। इसके बावजूद, उन्होंने खेलना जारी रखने का फैसला किया, क्योंकि उन्हें डर था कि बाहर बैठने पर उनकी टीम में जगह चली जाएगी। वह हालांकि टूटे हाथ के साथ खेलते हुए वे केवल 15-20 रन बना सके और इसके बाद उन्हें टेस्ट टीम से बाहर कर दिया गया। धवन ने माना कि उस समय अपनी जगह बनाए रखने की भूल ने उनके खेल को प्रभावित किया। उन्होंने कहा कि मैं उस स्थान के लिए बहुत हताश था। यह एक मूल्यवान स्थान है। मैंने हताश होकर मेहनत की थी, इसलिए परिणाम नहीं मिले। आत्मनिरीक्षण के बाद, धवन को एहसास हुआ कि हताशा के साथ सफलता का पीछा करना संभव नहीं है। उन्होंने जीवन में खुशी को सबसे अहम बताया और कहा कि मैंने अपने सपने को जीया, विश्व रिकॉर्ड बनाए, और मुझे पता था कि यह दौड़ कभी नहीं रुकेगी। ईडन गार्डन्स टेस्ट से पहले, धवन ने बिना शतक के 8 टेस्ट खेले थे, जिसमें केवल एक अर्धशतक शामिल था। इस खराब फॉर्म और चोट के कारण वह टीम से बाहर हो गये। धवन ने कहा कि इससे उन्हें सीख मिली की मेहनत के साथ सफलता के लिए सही मानसिकता भी जरूरी है। गिरजा/ईएमएस 28 मई 2025