डिसपुर,(ईएमएस)। असम की सरमा सरकार ने एक विशेष योजना को मंजूरी दी है इसके तहत संवेदनशील और सीमावर्ती (बांग्लादेश सीमा के पास मौजूद) क्षेत्रों में निवारत आदिवासियों को हथियारों का लाइसेंस दिया जाएगा। बता दें कि इन क्षेत्रों में बांग्लादेशी मूल के मुसलमानों की बहुतायत है। योजना का उद्देश्य इस तरह के लोगों को अपने क्षेत्र के भीतर या पड़ोसी देश से आने वाले किसी भी आक्रमण से अपनी रक्षा करने की अनुमति देना है। असम सरकार ने बताया कि यह योजना अवैध खतरों के प्रति एक निवारक के रूप में कार्य करेगी और इसतरह के व्यक्तियों और समुदायों की व्यक्तिगत सुरक्षा तथा आत्मविश्वास को बढ़ाएगी। इसके बारे में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, यह एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील निर्णय है। धुबरी, नागांव, मोरीगांव, बारपेटा, साउथ सालमारा और मानकाचर, गोलपाड़ा जैसे जिलों में, जहाँ बांग्लादेशी मूल के मुसलमान बहुसंख्या में हैं, इन जगहों पर स्वदेशी लोग अल्पसंख्यक हैं और उन्हें निरंतर असुरक्षा का सामना करना पड़ता है, खासकर बांग्लादेश में हाल ही में हुई घटनाओं के बाद। उन्होंने कहा कि ये स्वदेशी लोग अपने ही गाँवों से या बांग्लादेश से हमले के शिकार हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह निर्णय भाजपा की जाति, माटी और भेती (पहचान, भूमि और मातृभूमि) की रक्षा के प्रति प्रतिबद्धता के अनुरूप है। सीएम सरमा ने कहा, सरकार पात्र लोगों को, जो मूल निवासी हों और स्वदेशी समुदाय से हों तथा राज्य के संवेदनशील और दूरदराज क्षेत्रों में रहते हों, उन्हें हथियार लाइसेंस देने में उदारता बरतेगी। सरमा ने बताया कि यह मांग वर्ष 1985 से चली आ रही है, लेकिन किसी भी सरकार ने अब तक ऐसा साहसिक निर्णय नहीं लिया। सरमा ने बताया कि राज्य से अवैध बांग्लादेशी नागरिकों की निर्वासन प्रक्रिया के चलते वर्तमान समय में स्वदेशी लोगों की आशंकाएँ और भी बढ़ गई हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह योजना नोटिफिकेशन जारी होने के 24 घंटों के भीतर प्रभाव में आ जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘असम एक बहुत ही अलग और संवेदनशील राज्य है। कुछ क्षेत्रों में रहने वाले असमिया लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और वे लंबे समय से शस्त्र लाइसेंस की मांग कर रहे हैं। बता दें कि सरमा दावा करते रहे हैं कि राज्य में मुस्लिम आबादी जिस तेजी से बढ़ रही है, इसकारण प्रदेश की जनसांख्यिकी 20 साल से भी कम समय में बदल जाएगी। उनका दावा है कि असम में 2041 तक मुस्लिम बहुसंख्यक हो जाएंगे। आशीष दुबे / 29 मई 2025