वाशिंगटन,(ईएमएस)। अमेरिका की इंटरनेशनल ट्रेड कोर्ट ने ट्रंप प्रशासन को उस समय बड़ा झटका दे दिया जब लिबरेशन डे टैरिफ को अवैध घोषित करते हुए उस पर स्थायी रोक लगा दी। यह फैसला मैनहट्टन स्थित तीन न्यायाधीशों के पैनल ने सुनाया। लेकिन इस सुनवाई में चौंकाने वाली बात यह रही कि अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने टैरिफ की पैरवी करते हुए भारत-पाकिस्तान सीजफायर का हवाला दे दिया। दरअसल हॉवर्ड लुटनिक ने अदालत के सामने दलील दी कि अमेरिकी टैरिफ नीति ने न केवल व्यापारिक लाभ दिया, बल्कि भूराजनीतिक स्थिरता भी सुनिश्चित की। उन्होंने दावा किया कि 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच जो सीजफायर हुआ, वह ट्रंप प्रशासन की ट्रेड रणनीति और राष्ट्रपति ट्रंप के सीधे हस्तक्षेप का परिणाम था। लुटनिक का पूरा तर्क क्या था? टैरिफ की घोषणा (2 अप्रैल) के बाद कई देशों ने अमेरिका से संपर्क किया, जिससे अमेरिका की वैश्विक प्रभावशीलता बढ़ी। भारत और पाकिस्तान जैसे देश, जिनके बीच 13 दिन से सैन्य तनाव चल रहा था, उन्होंने अमेरिकी मध्यस्थता को स्वीकार किया। ट्रंप ने दोनों देशों को ट्रेड डील का ऑफर देकर सैन्य टकराव से दूर रहने को कहा। यह व्यापार के ज़रिए कूटनीति का उदाहरण था। कोर्ट का फैसला राष्ट्रपति की वैश्विक मध्यस्थता शक्ति को कमजोर कर सकता है, जिससे भविष्य में शांति प्रयास प्रभावित हो सकते हैं। ट्रंप पहले भी ले चुके हैं श्रेय ट्रंप ने हाल ही में अमेरिका-सऊदी निवेश सम्मेलन में कहा था, हमने ट्रेड का उपयोग कर भारत और पाकिस्तान को सीजफायर के लिए राज़ी किया। मैंने कहा, न्यूक्लियर मिसाइल नहीं, ट्रेड करो। और दोनों नेताओं ने बात मानी। उन्होंने इसे एक डिप्लोमैटिक सफलता बताते हुए कहा कि लाखों लोगों की जान बचाई गई और दक्षिण एशिया में युद्ध को टाला गया। न्यायालय का निष्कर्ष इंटरनेशनल ट्रेड कोर्ट ने कहा, कि लिबरेशन डे टैरिफ कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन है। राष्ट्रपति के पास व्यापार नीति में असीमित अधिकार नहीं हो सकते, चाहे वह राष्ट्रीय सुरक्षा या विदेश नीति के नाम पर ही क्यों न हो। यह मामला व्यापार नीति और विदेश नीति के बीच के धुंधले क्षेत्र को उजागर करता है। अमेरिका की अदालत ने साफ किया कि ट्रेड टैरिफ को कूटनीतिक साधन के रूप में उपयोग करने की भी कानूनी सीमा है। भारत-पाकिस्तान जैसे मामलों को घरेलू नीति के उपकरणों से जोड़ना अदालत को संवैधानिक रूप से अस्वीकार्य लगा। ट्रंप प्रशासन ने अपने टैरिफ फैसले को एक व्यापक भू-राजनीतिक रणनीति की तरह पेश किया, लेकिन अमेरिकी अदालत ने उसे संवैधानिक दायरे से बाहर करार दिया। भारत-पाकिस्तान सीजफायर का हवाला देकर टैरिफ को न्यायोचित ठहराने की यह कोशिश अदालती नजरिए से कमज़ोर साबित हुई। हिदायत/ईएमएस 29मई25