राष्ट्रीय
02-Jun-2025
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- महबूबा मु्फ्ती ने राजभवन में जम्मू-कश्मीर के एलजी से की मुलाकात श्रीनगर,(ईएमएस)। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को कश्मीरी पंडितों की सम्मानजनक वापसी और पुनर्वास की मांग की है। उन्होंने कहा कि उनकी वापसी को सिर्फ प्रतीकात्मक वापसी के रूप में नहीं देखा जाए, बल्कि यह जम्मू-कश्मीर के लिए एक समावेशी, साझा और बेहतर भविष्य तैयार करने का अवसर होना चाहिए। जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा से मुलाकात के बाद महबूबा मुफ्ती ने कहा कि उन्होंने एलजी से आग्रह किया कि जिन लोगों पर कम गंभीर आरोप हैं और जो जेलों में बंद हैं, उन्हें ईद से पहले रिहा किया जाए। कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के मुद्दे पर महबूबा ने कहा कि यह एक लंबी प्रक्रिया है। हमने इसकी शुरुआत कर दी है। कश्मीरी पंडितों ने पंचायत चुनावों में हिस्सा लिया। अगर उन्हें विधानसभा चुनावों में भी आरक्षण दिया जाए, तो यही उन्हें सशक्त करने का सबसे अच्छा तरीका होगा। उन्होंने कहा कि हमने कश्मीरी पंडितों की वापसी के मुद्दे पर भी चर्चा की। इसके अलावा अमरनाथ यात्रा और उसमें कश्मीरियों की भागीदारी पर भी बात की। उन्होंने एलजी से कहा से आग्रह किया कि जिन लोगों पर गंभीर आरोप नहीं हैं, उन्हें ईद से पहले रिहा किया जाए। पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने राजभवन में जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा से मुलाकात की और इस मुद्दे पर समावेशी और चरणबद्ध रोडमैप सौंपा, ताकि इस दिशा में सार्थक प्रगति हो सके। उन्होंने इस प्रस्ताव की प्रतियां केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और सीएम उमर अब्दुल्ला को भी भेजी हैं। पत्र में महबूबा मुफ्ती ने लिखा कि यह मामला सिर्फ राजनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारी सामूहिक अंतरात्मा से जुड़ा है। यह हमारा नैतिक और सामाजिक कर्तव्य है कि हमारे पंडित भाई-बहनें जो बेघर हुए थे, उन्हें सम्मानजनक, सुरक्षित और टिकाऊ तरीके से वापस लौटने का अवसर मिले। महबूबा ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश के हर राजनीतिक दल ने विचारधारा से परे, हमेशा उनकी वापसी के विचार का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि उनके विस्थापन का साझा दर्द और पुनर्मिलन की चाहत हमें जोड़ती है और यह यकीन दिलाती है कि कश्मीर फिर से वह स्थान बन सकता है, जहां सभी समुदाय शांति के साथ रह सकें। इस सोच को आगे बढ़ाने के लिए हमने एक समावेशी और चरणबद्ध योजना का मसौदा प्रस्तुत किया है। महबूबा ने आगे कहा कि इस प्रस्ताव में हर संबंधित पक्ष की भागीदारी पर जोर दिया गया है, जिससे यह तय किया जा सके कि कोई भी नीति या योजना सहानुभूति, आपसी विश्वास और जमीनी हकीकत पर आधारित हो। उन्होंने कहा कि वह आग्रह करती हैं कि इस दिशा में एक संवाद-आधारित प्रक्रिया की शुरुआत की जाए, जिसमें समुदाय के प्रतिनिधि, नागरिक समाज, स्थानीय नेता और प्रशासनिक एजेंसियां शामिल हों। सिर्फ समावेशी चर्चा के जरिए से ही हम एक ऐसा भविष्य बना सकते हैं, जहां कोई भी समुदाय अपने ही घर में पराया न महसूस करे। सिराज/ईएमएस 02जून25