ज़रा हटके
03-Jun-2025
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लंदन (ईएमएस)। डिप्रेशन यानी अवसाद केवल मूड और भावनाओं तक सीमित असर नहीं डालता, बल्कि यह मस्तिष्क को गंभीर नुकसान पहुंचाने वाली बीमारी डिमेंशिया का खतरा भी बढ़ा सकता है। ताजा अध्ययन बताता है कि डिप्रेशन, खासकर 50 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों में, डिमेंशिया के विकास की संभावना को काफी हद तक बढ़ा देता है। डिमेंशिया एक ऐसी जटिल और गंभीर बीमारी है, जिसमें व्यक्ति की याददाश्त, सोचने की क्षमता और समझने की शक्ति धीरे-धीरे खत्म होने लगती है। फिलहाल इस बीमारी का कोई निश्चित इलाज नहीं है, जिससे इसका समय रहते रोकथाम करना बेहद जरूरी बन जाता है। इस शोध में पाया गया है कि डिप्रेशन और डिमेंशिया के बीच का संबंध काफी गहरा और जटिल है। मानसिक तनाव लंबे समय तक रहने से मस्तिष्क में सूजन हो सकती है, साथ ही दिमाग के कुछ जरूरी हिस्से अपना काम ठीक से करना बंद कर सकते हैं। मस्तिष्क में रासायनिक असंतुलन, खून की नलियों में बदलाव, और जरूरी प्रोटीन के स्तर में परिवर्तन जैसे कारण भी इस समस्या से जुड़े हुए हैं। इसके अलावा, जीवनशैली, रोजमर्रा की आदतें और पारिवारिक या आनुवंशिक कारण भी दोनों स्थितियों के खतरे को प्रभावित कर सकते हैं। ताजा अध्ययन में ब्रिटेन के नॉटिंघम विश्वविद्यालय के मानसिक स्वास्थ्य संस्थान और स्कूल ऑफ मेडिसिन के विशेषज्ञ जैकब ब्रेन ने यह चेतावनी दी है कि डिप्रेशन को किसी भी उम्र में हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। उनका कहना है कि मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ और प्रभावी होनी चाहिए ताकि लोग प्रारंभिक लक्षणों पर ही इलाज शुरू कर सकें। सरकारों और स्वास्थ्य विभागों को चाहिए कि वे मानसिक बीमारियों की रोकथाम और जागरूकता पर ज्यादा ध्यान दें। हालांकि पहले हुए कई अध्ययनों में यह बात सामने आ चुकी है कि डिप्रेशन और डिमेंशिया के बीच संबंध हो सकता है, लेकिन अब तक यह स्पष्ट नहीं था कि किस उम्र में डिप्रेशन होना डिमेंशिया के लिहाज से सबसे ज्यादा जोखिमभरा है। कुछ अध्ययनों के अनुसार, मिडल एज यानी 40-50 साल के बीच शुरू हुआ डिप्रेशन अधिक हानिकारक हो सकता है, जबकि कुछ अन्य शोध बताते हैं कि 60 वर्ष की उम्र के बाद डिप्रेशन होना भी खतरे को काफी बढ़ा देता है। इस नए शोध की खास बात यह है कि इसमें 20 से अधिक पुराने अध्ययनों को मिलाकर विश्लेषण किया गया, जिसमें कुल 34 लाख से अधिक लोग शामिल हुए। इसमें डिप्रेशन की गंभीरता, इसकी शुरुआत की उम्र और इसके बाद डिमेंशिया विकसित होने की दरों को गहराई से जांचा गया। जैकब ब्रेन के अनुसार, यह भी संभव है कि बुजुर्गों में डिप्रेशन डिमेंशिया का एक शुरुआती संकेत हो। इस बात की जानकारी समय रहते होना बेहद जरूरी है, ताकि समय पर इलाज और बचाव की दिशा में कदम उठाए जा सकें। सुदामा/ईएमएस 03 जून 2025