सीमावर्ती राज्यों और पड़ोसी देशों से भारत को लगातार चुनौतियां मिल रही हैं। पिछले एक दशक में भारत के पड़ोसी देश और पूर्वोत्तर राज्य सबसे बडी चुनौती के रूप में सामने हैं। भारत के पड़ोसी देश चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार और श्रीलंका भारत के लिए चुनौती बने हुए हैं। पाकिस्तान और बांग्लादेश में कट्टरपंथी तेजी के साथ सक्रिय हो रहे हैं। पाकिस्तानी सेना पर कट्टरपंथियों का प्रभाव है। भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में जिस तरीके की अशांति लंबे समय से फैली हुई है, भारत को आंतरिक और बाहय चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले कुछ वर्षों से यह चुनौतियां बढ़ती ही जा रही हैं। भारत को वर्तमान स्थिति में पाकिस्तान, चीन और बांग्लादेश से सबसे बड़ा खतरा है। हाल ही में चीन ने जिस तरह से पाकिस्तान का समर्थन किया है। उसे आर्थिक और सामरिक मदद दी है। उसके कारण भारत की चिंता बढ़ना स्वाभाविक है। पिछले एक दशक में चीन ने भारत के सभी पड़ोसी देशों के साथ बड़े-बड़े अनुबंध किए हैं। अरबों डॉलर का कर्ज भारत के पड़ोसी देशों को दिया है। सुरक्षा की दृष्टि से चीन ने भारत के पड़ोसी देशों के सामरिक महत्व के क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाया है। ऐसी स्थिति में दुनिया के देशों के बीच बढ़ता तनाव और उस पर भारत का पाकिस्तान और चीन के बीच जिस तरह का तनाव देखने को मिल रहा है, वह भारत के लिए चिंताजनक है। भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम, मेघालय, अरुणाचल, मणिपुर अशांत राज्य हैं। विशेष रूप से मणिपुर की सीमा म्यांमार से लगी हुई है। यहां पर कुकी और मैतई के बीच पिछले दो वर्षों से हिंसक वारदात हो रही हैं। दोनों समुदायों के बीच भारी तनाव बना हुआ है। भारत का सुरक्षा बल जम्मू- कश्मीर, मणिपुर और बांग्लादेश की सीमा पर बड़ी संख्या में तैनात हैं। ऐसी स्थिति में जब तृतीय विश्व युद्ध जैसे हालात तैयार हो रहे हों, ऐसे समय पर भारतीय सेना के लिए सीमावर्ती राज्य चिंता का विषय बने हुए हैं। ऑपरेशन सिंदूर के बाद जिस तरह की स्थिति देखने को मिल रही है। भारत के सभी पड़ोसी देश चीन के प्रभाव में हैं। भारत पड़ोसी देशों के बीच में बिल्कुल अलग-थलग पड़ गया है। चीन के साथ भारत का रिश्ता वैसा मधुर नहीं रहा, जो पिछले वर्षों में था। हाल ही में पहलगाम में हुई घटना के बाद जब भारत ने पाकिस्तान का जल रोकने का निर्णय लिया तो उसके बाद चीन ने भारत को चेतावनी दी। यदि उसने पाकिस्तान का पानी शुरू नहीं किया, तो वह ब्रह्मपुत्र नदी का पानी भारत के लिए रोक देगा। ऑपरेशन सिंदूर मे पाकिस्तान ने चीन के अत्याधुनिक हथियारों से भारत के ऊपर हमला किया। चीन पाकिस्तान का रक्षा कवच बनकर सामने आया। जिस तरह से भारत को चीन और पाकिस्तान से लगातार चुनौती मिल रही हैं, उसके कारण भारत की चिंताएं काफी बढ़ गई हैं। 2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे। उनके शपथ ग्रहण समारोह में सेकडों राष्ट्राध्यक्ष भाग लेने के लिए दिल्ली आए थे। 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के बाद कोई भी राष्ट्र भारत के समर्थन में खुलकर खड़ा नहीं हुआ। यह भारत के लिए चिंताजनक स्थिति है। यह भारत की विदेश नीति की विफलता भी है। भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ अपने रिश्ते बेहतर बनाकर नहीं रख पाया। वैश्विक स्तर पर जिस तरीके से चीन के मुकाबले भारत की इमेज बनी है, वह भारत के लिए सबसे नुकसानदेह साबित हो रही है। पुरानी कहावत है, स्त्री और सत्ता ताकतवर हाथों में ही सुरक्षित रहती है। चीन इस समय एशिया का सबसे ताकतवर देश है। चीन का व्यापार दुनिया के सभी देशों के साथ हो रहा है। कुछ मामलों में चीन की मोनोपॉली है। चीन ने हो हल्ला नहीं किया लेकिन अपने कारोबार को तथा अपनी तकनीकी को लगातार विकसित किया है। भारत के पड़ोसी देशों को चीन ने पिछले एक दशक में बडी मात्रा में आर्थिक सहायता देकर उन्हें अपना आश्रित बना लिया है। ऐसा करके उसने भारत को चारों ओर से घेर लिया है। चीन को भारत से प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है। सुनियोजित रणनीति के तहत चीन, भारत को हमेशा कमजोर करके रखना चाहता है। ऐसी स्थिति में भारत को अपनी सुरक्षा व्यवस्था पर ज्यादा ध्यान देना होगा। पड़ोसी देशों के साथ अपने रिश्तो को बेहतर बनाने की दिशा में काम करना होगा। चीन और भारत के संबंध किस सीमा तक हों, इस पर ध्यान देने की जरूरत है। चीन के ऊपर भारत की निर्भरता पिछले एक दशक में काफी बढ़ गई है। भारत को अधिकांश आयात चीन से करना पड़ रहा है। भारत का औद्योगिक और उपभोक्ता सामान चीन से ही आता है। सामरिक और आर्थिक दृष्टि से चीन, भारत के मुकाबले अति ताकतवर है। ऐसी स्थिति में भारत सरकार को अपनी नीतियों में बदलाव करना होगा। सत्ता पक्ष और विपक्ष को साथ मिलकर काम करना होगा। नागरिकों को महंगाई और बेरोजगारी से बचाते हुए, आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करना पड़ेगा। यदि इसमें जरा सी भी लापरवाही की गई, तो भारत को बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है। दुनिया के देशों में आर्थिक मंदी फैल रही है। रूस-यूक्रेन, इजरायल गाजा एवं अन्य देशों के बीच जिस तरह का तनाव बना हुआ है। उसको देखते हुए अब तीसरे विश्व युद्ध की आशंका भी जताई जा रही है। ऐसी स्थिति में भारत को काफी सावधान रहने की जरूरत है। ईएमएस / 03 जून 25