सत्ता पक्ष की नीतियों और कार्यों पर सवाल उठाना विपक्ष का अधिकार है। सत्ता पक्ष पर विपक्ष द्वारा आरोप लगाना और उसकी निंदा करना भी राजनैतिक प्रतिद्वंदिता ही कही जायेगी। लोकतंत्र में सत्ता पक्ष की छवि आम जनता की दृष्टि में खराब करना, विपक्ष का मूल कार्य है और होना भी चाहिये लेकिन, इस सबकी एक सीमा भी तय होनी चाहिये। राहुल गांधी कई बार राजनैतिक दल, उसके नेता, सत्ता पक्ष, प्रधानमंत्री और देश की आलोचना में अंतर नहीं कर पाते, इसीलिये अशोभनीय शब्दों का उपयोग कर बैठते हैं, वे विदेशी दौरों पर भी अंदरूनी प्रकरणों की निरर्थक चर्चा कर आते हैं, वे संवैधानिक संस्थाओं के साथ लोकतंत्र पर ही सवाल उठा देते हैं, जिससे वे स्वयं अप्रासंगिक हो जाते हैं, इस सबसे राहुल गांधी की छवि लीडर ऑफ अपोजिशन के स्थान पर लीडर ऑफ कॉन्ट्रोवर्शियल वाली होती जा रही है, इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं बीपी गौतम... यह है राहुल गांधी की ताजा विवादित टिप्पणी लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी मंगलवार को भोपाल दौरे पर गये थे, इस दौरान उन्होंने कहा कि ट्रंप का एक फोन आया और नरेंदर जी तुरंत सरेंडर हो गये। इतिहास गवाह है, यही बीजेपी-आरएसएस का कैरेक्टर है, यह हमेशा झुकते हैं। भारत ने 1971 में अमेरिका की धमकी के बावजूद पाकिस्तान को तोड़ा था। कांग्रेस के बब्बर शेर और शेरनियां सुपर पॉवर से लड़ते हैं, कभी झुकते नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यह बीजेपी, आरएसएस वालों को मैं अच्छी तरह जानता हूं, इन पर थोड़ा सा दबाव डालो, थोड़ा सा धक्का मारो, डरकर भाग जाते हैं। जैसे उधर से ट्रंप ने एक इशारा किया, फोन उठाया, कहा- मोदी जी क्या कर रहे हो। नरेंदर... सरेंडर… और जी हुजूर कर मोदी जी ने ट्रंप के इशारे का पालन किया। राहुल गांधी ने कहा कि आपको एक समय याद होगा जब फोन कॉल नहीं आया था, 7 फ्लीट आई थी, 71 की लड़ाई में हथियार आये थे, एयर क्रॉफ्ट कैरियर आये थे। इंदिरा गांधी जी ने कहा कि मुझे जो करना है, करूंगी, यह फर्क है… इनका कैरेक्टर है यह, सारे के सारे ऐसे हैं। आजादी के समय से सरेंडर वाली चिट्टी लिखने की आदत है। एक सेकेंड में थोड़ा-सा दवाब पड़े भईया यह लो... हां तो यह, इनका कैरेक्टर है। कांग्रेस पार्टी सरेंडर नहीं होती है। गांधी जी, जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, यह सरेंडर वाले लोग नहीं हैं, यह सुपर पॉवर से लड़ने वाले लोग हैं। राहुल गांधी ने कहा कि हमने कह दिया कि हम सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ेंगे और लोकसभा में जातिगत जनगणना पास करवा के दिखायेंगे, इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मोहन भागवत, नितिन गडकरी ने कई बातें कहीं लेकिन, इन पर थोड़ा सा दबाव पड़ा और यह सरेंडर कर गये। बीजेपी-आरएसएस के लोग दबाव में आकर जातिगत जनगणना की बात बोल गये हैं लेकिन, जातिगत जनगणना नहीं कराना चाहते हैं, यह लोग देश में न्याय नहीं चाहते। जेपी नड्डा ने बोला जोरदार हमला भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर पलटवार करते हुये सोशल साइट्स एक्स पर लिखा कि राहुल गांधी आत्मसमर्पण आप करते होंगे, आपकी पार्टी ने किया होगा, आपके नेताओं ने आत्मसमर्पण किया होगा, क्योंकि आपका इतिहास ही ऐसा रहा है लेकिन, भारत कभी आत्मसमर्पण नहीं करता। आत्मसमर्पण आपकी कांग्रेस पार्टी के शब्दकोष में है, आपके डीएनए में है। राहुल गांधी, आपको अपनी पार्टी की सरकारों का कार्यकाल याद करना चाहिये किस तरह आपने इतिहास में आत्मसमर्पण किया। आपने आतंकवाद के सामने आत्मसमर्पण किया, शर्म-अल-शेख में आत्मसमर्पण किया, 1971 की लड़ाई जीतने के बाद शिमला में टेबल पर आत्मसमर्पण किया, सिंधु जल समझौते में आत्मसमर्पण किया, हाजी पीर दर्रा का आत्मसमर्पण किया, छम्ब सेक्टर के 160 किमी इलाके का आत्मसमर्पण किया, 1962 की लड़ाई में आत्मसमर्पण किया, 1948 में आत्मसमर्पण किया और यहां तक कि देश की आजादी के समय मुस्लिम लीग के भी सामने आत्मसमर्पण किया। भारतीय सेना ने पाकिस्तान में 300 किमी अंदर घुस कर उसके 11 एयरबेस को तबाह किया, 9 आतंकी अड्डों को ध्वस्त किया, 150 से ज्यादा आतंकी मारे। पाकिस्तान तो रोते-रोते दुनिया को बता रहा है कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान में 18 जगह हमला करके सब कुछ तबाह कर दिया और राहुल गांधी देश के आत्मसमर्पण की बात कर रहे हैं। राहुल गांधी को पता होना चाहिये कि ऑपरेशन सिंदूर की सफलता की घोषणा सरकार ने या, भाजपा के किसी प्रवक्ता ने नहीं की थी बल्कि, भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने की थी। ऑपरेशन सिंदूर भारतीय सेना की वीरता, शौर्य एवं पराक्रम का उद्घोष है। वास्तव में जिनकी नीतियां आत्मसमर्पण की रही हो, उसे इसके आगे कुछ सूझ भी नहीं सकता- क्यों, ऐसा ही है न राहुल गांधी जी? राहुल गांधी द्वारा भारतीय सेना के अप्रतिम शौर्य एवं पराक्रम को आत्मसमर्पण कहकर संबोधित करना, न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है बल्कि, भारतीय सेना और राष्ट्र के साथ-साथ 140 करोड़ भारतवासियों का भी घोर अपमान है। अगर कोई पाकिस्तानी भी ऐसा कहता तो, हम उस पर हंसते भी लेकिन, जिस तरह से ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान में तबाही मचाई, उसके बाद पाकिस्तान की जनता से लेकर उसकी सेना और उसके प्रधानमंत्री ने भी ऐसा कहने की हिम्मत नहीं की लेकिन, राहुल गांधी ऐसा बोल रहे हैं। यह देशद्रोह से कम नहीं है। भाजपा प्रवक्ता ने दिया यह जवाब भारतीय जनता पार्टी ने राहुल गांधी को ऑपरेशन सिंदूर को लेकर की गई टिप्पणी पर आड़े हाथों लिया है। भाजपा प्रवक्ता डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने राहुल गांधी पर गंभीर आरोप लगाते हुये कहा कि नेता प्रतिपक्ष का पद मिलने के बाद भी अपरिवक्वता पूर्ण बयान दे रहे हैं, कांग्रेस ने सेना का अपमान किया है, उन्होंने ऐसे शब्द कहे जो कि आतंकी हाफिज सईद भी नहीं कह सका है। सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि उन्होंने हमारी सेना के लिये सरेंडर जैसे शब्द का इस्तेमाल करके जवानों का अपमान किया है, सेना के शौर्य और सेना के अधिकारियों की सफलता को जिस तरह से बयां किया है, वह बताता है कि यह किस मानसिकता के हैं, यह रोगियों वाली मानसिकता है, राहुल गांधी को पाकिस्तान की मीडिया, संसद और डोजियर में नाम लाने के लिये लगे हुये हाफिज सईद जैसे आतंकवादियों ने जो शब्द नहीं बोला है, वो इन्होंने बोला है। सुधांशु त्रिवेदी ने राहुल गांधी का उल्लेख करते हुये कहा कि नया मुल्ला प्याज ज्यादा खाता है पर, इनको समझ ही नहीं आ रहा है कि वे देश पर सवाल उठा रहे हैं, उसके शौर्य और सफलता पर सवाल उठा रहे हैं, यह ओछी राजनीति का परिणाम है, उन्होंने भारत और उसकी सेना का सिर झुकाने का काम किया है। मसूद अजहर, हाफिज सईद, पाक की सेना ने जिस शब्द का प्रयोग नहीं किया, वो शब्द यह इस्तेमाल कर रहे हैं। यूएस में चुनाव आयोग को कठघरे में खड़ा किया राहुल गांधी ने यूएस दौरे पर बोस्टन में भारत के लोकतंत्र और चुनाव आयोग को लेकर गंभीर सवाल उठाये थे। राहुल गांधी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मतदाताओं की संख्या और मतदान प्रतिशत में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की का आरोप लगाते हुये चुनाव आयोग को कटघरे में खड़ा कर दिया था। राहुल गांधी ने कहा था कि आसान भाषा में कहें तो, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में जितने युवा थे, उससे ज्यादा वोट डाले गये, यह एक सच्चाई है, हमें शाम 5:30 बजे तक के मतदान के आंकड़े मिले थे लेकिन, 5:30 से 7:30 बजे के बीच, जब वोटिंग बंद हो जानी चाहिये थी, उस समय 65 लाख लोगों ने वोट डाला। राहुल गांधी ने कहा था कि अब सोचिए, यह शारीरिक रूप से मुमकिन ही नहीं है, क्योंकि एक व्यक्ति को वोट डालने में करीब 3 मिनट लगते हैं। अगर, हिसाब लगायें तो, इसका मतलब है कि रात 2 बजे तक लोग लाइन में लगे रहे और पूरी रात वोटिंग चलती रही, जो कि सच नहीं है, ऐसा हुआ ही नहीं। राहुल गांधी ने कहा था कि हमने चुनाव अधिकारियों से पूछा कि क्या वोटिंग की वीडियोग्राफी हो रही है, उन्होंने न सिर्फ मना कर दिया बल्कि, उन्होंने कानून भी बदल दिया, अब आप वोटिंग की वीडियोग्राफी की मांग भी नहीं कर सकते, हमारे लिये यह साफ था कि चुनाव आयोग ने अपनी निष्पक्षता से समझौता कर लिया है, सिस्टम में कुछ बहुत बड़ी गड़बड़ी है, यह बिल्कुल साफ दिख रहा है, हमने यह बात खुलकर कही है और मैंने खुद कई बार यह बात दोहराई है। राहुल गांधी के आरोप पर चुनाव आयोग ने कहा था कि राहुल गांधी और कांग्रेस नेताओं के द्वारा लगाये जा रहे आरोप पूरी तरह बेबुनियाद हैं। महाराष्ट्र विधानसभा में 9 करोड़ से ज्यादा मतदाता थे लेकिन, महाराष्ट्र की मतदाता सूची में सुधार के लिये महज 89 अपील ही दी गईं, इनमें 89 को जिला निर्वाचन अधिकारी के स्तर पर ही निपटा दिया गया, जबकि एक शिकायत बाद में राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी तक पहुंची थी। सुनवाई के बाद उसका भी निपटारा कर दिया गया, ऐसे में चुनाव आयोग की तरफ से सवाल पूछा जा चुका है कि जब मतदान होने से काफी समय पहले ही तमाम राजनीतिक दलों और उनके प्रतिनिधियों को वोटर लिस्ट के बारे में पूरी जानकारी दे दी जाती है तो, आखिर तब गड़बड़ी के आरोप क्यों नहीं लगता, क्यों नतीजे सामने आने के बाद ही इस तरह के तथ्यों से परे आरोप लगाये जाते हैं। चुनाव आयोग ने मतदान प्रतिशत पर कह था कि आरोप पूरी तरह बेबुनियाद हैं, क्योंकि जब तक मतदान चलता है तब तक राजनीतिक दल और उनके उम्मीदवारों के प्रतिनिधि मतदान स्थल पर मौजूद होते हैं और मतदान खत्म होने के बाद जब वह चुनाव आयोग द्वारा दिये गये फॉर्म पर हस्ताक्षर करते हैं, उसी के बाद ही ईवीएम को सील किया जाता है। भारतीय लोकतंत्र को ब्रोकेन बताया राहुल गांधी ने 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद अमेरिका के नेशनल प्रेस क्लब में कहा था कि भारत में लोकतंत्र पिछले 10 सालों से टूटा हुआ था, अब यह लड़ रहा है। असलियत में 10 साल बाद कांग्रेस को लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद मिल सका है, क्योंकि वह 99 सीटों पर पहुंच गई है, इसलिये अब तक राहुल गांधी को लोकतंत्र टूटा हुआ ही दिखाई दे रहा था। ब्रसेल्स में भेदभाव और हिंसा की बात कही राहुल गांधी ने ब्रसेल्स में यूरोपियन यूनियन में सितंबर 2023 में कहा था कि भारत में फुल स्केल एसॉल्ट हो रहा है। उन्होंने भारतीय संस्थाओं की निष्पक्षता पर संदेह जताते हुये कहा था कि भारत में भेदभाव और हिंसा बढ़ रही है। भारतीय संस्थाओं को बताया था परजीवी लंदन में आइडियाज फॉर इंडिया सम्मेलन में मई 2022 में राहुल गांधी ने कहा था कि भारत की संस्थायें परजीवी बन गई हैं। उन्होंने कहा था कि डीप स्टेट भारत को चला रहा है, यहां डीप स्टेट का मतलब सरकार के अंदर छिपे हुये, ऐसे ताकतवर लोग हैं, जो अपने फायदे के लिये काम करते हैं। राहुल गांधी ने भारत की तुलना पाकिस्तान जैसे अस्थिर लोकतंत्र से भी की थी। नरेंद्र मोदी देशभक्त नहीं हैं: राहुल यूके और जर्मनी में राहुल गांधी ने अगस्त 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में कहा था कि वे देशभक्त नहीं हैं। उन्होंने आरोप लगाया था कि वे जनता के गुस्से का इस्तेमाल देश को नुकसान पहुंचाने में कर रहे हैं। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के एक चुने हुये प्रधानमंत्री पर राहुल गांधी द्वारा विदेश में गंभीर आरोप लगाया गया था। मलेशिया में नोटबंदी की आलोचना की मलेशिया में मार्च 2018 में राहुल गांधी ने नोटबंदी को लेकर तंज कसते हुये कहा था अगर, वह प्रधानमंत्री होते तो, इस प्रस्ताव को कूड़ेदान में फेंक देते। राहुल गांधी ने कहा था कि अगर, वह प्रधानमंत्री होते तो, वह ऐसा नहीं करते। देश के आर्थिक फैसलों का इस तरह विदेश में मजाक बनाना भारत की वैश्विक छवि को नुकसान पहुंचाना ही था। भारत में बताया था डर और नफरत का माहौल सिंगापुर में ली कुआन यू स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी में राहुल गांधी ने 2018 में कहा था कि भारत में डर और नफरत का माहौल है। उन्होंने कहा था कि बहुलता की विचारधारा खतरे में है। बहुलता का मतलब है कि अलग-अलग तरह के लोग एक साथ शांति से रहें। राहुल गांधी ने कहा था कि यह चीज खतरे में है, इससे भारत की लोकतांत्रिक छवि को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर खराब करने का प्रयास ही किया गया था। सरकार पर लगाया था नफरत फैलाने का आरोप बहरीन में एनआरआई सम्मेलन में राहुल गांधी ने जनवरी 2018 में कहा था कि सरकार बेरोजगारी से निपटने में नाकाम रही है, इसका असर सड़कों पर गुस्से और नफरत के रूप में दिख रहा है, केंद्र सरकार समुदायों के बीच नफरत फैलाने में जुटी है, उस समय राहुल गांधी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी थे। कंपनियों के लिये काम कर रही है सरकार: राहुल अमेरिका के बर्कले स्थित कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में राहुल गांधी ने सितंबर 2017 में कहा था कि मोदी सरकार सिर्फ टॉप 100 कंपनियों के लिये काम कर रही है। उन्होंने अहिंसा के विचार के खतरे में होने की बात भी कही थी। भारत में सहनशीलता नहीं रही: राहुल अमेरिका में राहुल गांधी ने 2017 में कहा था कि भारत अब वह नहीं रहा, जहां हर कोई कुछ भी कह सकता है। उन्होंने विदेश की धरती पर भारत में फ्री स्पीच की स्थिति पर संदेह पैदा करने का प्रयास किया था। उन्होंने कहा था कि भारत में सहनशीलता खत्म हो गई है जबकि राहुल गांधी संसद से लेकर सड़क तक जो मन में आता है, वही बोलते रहे हैं, हर संवैधानिक संस्था को कठघरे में खड़ा करते रहे हैं। संवैधानिक दायित्व का ध्यान रखें राहुल गांधी राहुल गांधी अब सिर्फ कांग्रेस के नेता नहीं हैं, वे अब सिर्फ साधारण सांसद भी नहीं हैं, वे अब लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं, जो एक बड़ा संवैधानिक दायित्व है, जिसकी एक गरिमा है, उस गरिमा के अनुरूप ही राहुल गांधी को विचार व्यक्त करने चाहिये लेकिन, वे कई बार सामान्य व्यक्ति की तरह बातें कर जाते हैं, वे कभी प्रधानमंत्री के लिये गली छाप गुंडे की तरह संबोधित करने लगते हैं और कभी-कभी सरकार, भाजपा व आरएसएस की आलोचना करते-करते देश की ही आलोचना कर जाते हैं, जिससे वैश्विक स्तर पर देश की गरिमा को ठेस लगती है, उन्हें इस बारे में गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है, उन्हें अपने शब्दों का चयन करते समय दो बार सोचना चाहिये अन्यथा, वे स्वयं ही लीडर ऑफ अपोजिशन के स्थान पर लीडर ऑफ कॉन्ट्रोवर्शियल की छवि को और गहरा करते जायेंगे। ईएमएस/06/06/2025