लेख
06-Jun-2025
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अमेरिका का आर्थिक संकट दिनों दिन गहराता ही जा रहा है। अमेरिका के ऊपर 36 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा का कर्ज हो चुका है जो अमेरिका की जीडीपी के मुकाबले 122 फ़ीसदी को पार करने जा रहा है। दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति बने डोनाल्ड ट्रंप ने अपने अहंकार के चलते सारी दुनिया को जीतने और सारी दुनिया को अपनी मुट्ठी में कैद करने के लिए जो टैरिफ बार शुरू किया था उस टैरिफ बार मकड़ जाल में वह स्वयं फंसकर रह गए हैं। कैसे बाहर निकलेंगे उन्हें पता नहीं टेस्ला कंपनी के एलन मस्क ने अरबों रुपए खर्च करके डोनाल्ड ट्रंप को चुनाव जितवाने में मदद की थी वही डोनाल्ड ट्रंप अब एलन मस्क से इतने नाराज हैं। उसकी मदद करना तो दूर जो सब्सिडी उसे अभी तक मिल रही थी उसे भी बंद करने जा रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप को कोई आदमी उनका विरोध करें यह उन्हें जरा भी पसंद नहीं है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस समय अहंकार के मद में चूर हैं। कर्ज पर कर्ज लेते चले जा रहे हैं। सारी दुनिया के देश को धमका रहे हैं। उन्हें ऐसा लगता था कि अमेरिका के बिना दुनिया का कोई भी काम या दुनिया का कोई भी व्यापार संभव नहीं होगा लेकिन उसके इस अहंकार पर चीन ने सबसे ज्यादा चोट की है। चीन के सामने अमेरिका घिगयाने के लिए विवश हुआ है। चीन के जवाबी हमले ने ट्रंप के सारे कस और बल को निकाल दिया है। दुनिया में ट्रंप अब कमजोर राष्ट्रपति के रूप में देखे जा रहे हैं। जिस तरह से अमेरिका में महंगाई और मंडी बढ़ती चली जा रही है। 2025 की विकास दर 2.0 से घटकर 1.4 फ़ीसदी होने की उम्मीद जताई जा रही है। अमेरिका में कर्ज और उसके ब्याज का बोझ जिस तरह कैसे बढ़ रहा है। इस पर अंकुश लगाने की स्थान पर जो तुगलकी फरमान डोनाल्ड ट्रंप जारी कर रहे हैं। उसको देखते हुए अब सारे विश्व में यह कहा जाने लगा है। जिस तरह से सोवियत रूस का विघटन 1990 के दशक में हुआ था लगभग वही हालत 2025 में अमेरिका की देखने को मिलने लगी है। जिस तरह से एक-एक करके राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप विशेषज्ञों के साथ अपनी दुनिया बना रहे हैं। ऐसी स्थिति में जो गड्ढा वह दूसरों के लिए खोद रहे थे अब उसी गड्ढे में वह स्वयं गिरते चले जा रहे हैं। यह धारणा सारी दुनिया के देशों में बनने लगी है। अमेरिका के व्हाइट हाउस में जिस तरह से दूसरे देशों के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रंप को खरी खरी सुनाकर चले जाते हैं और अमेरिका उनका कुछ नहीं कर पाता है। अमेरिका के बढ़ते कर्ज पर जिस तरीके से शेयर बाजार वालस्ट्रीट और अन्य आर्थिक विशेषज्ञ अमेरिका के लिए कर्ज को खतरे की घंटी बता रहे हैं। यदि इस पर तुरंत अंकुश नहीं लगाया गया तो कभी भी अमेरिका में एक ऐसी स्थिति खड़ी हो सकती है। इसके बारे में अमेरिका ने कल्पना भी नहीं की थी अमेरिका एक संघीय देश है। राज्यों के साथ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उनको अनदेखा करते हुए जिस तरह की दादागिरी कर रहे हैं। उसके बाद यह बार-बार कहा जाने लगा है की जो सोवियत रूस का हुआ था यदि वही अमेरिका के साथ हो जाए तो किसी को आश्चर्य नहीं करना चाहिए 100 वर्ष के इतिहास में अमेरिका सबसे ज्यादा मुसीबत के दौर से गुजर रहा है। डोनाल्ड ट्रंप इस स्थिति में सबसे खतरनाक व्यक्ति साबित हो रहे हैं। अमेरिका यदि कमजोर होता है तो वैश्विक स्तर पर अराजकता बढ़ेगी सारी दुनिया में अशांति होगी सारी दुनिया आर्थिक मंदी की चपेट में आ सकती है। इस आसन का को लेकर सारी दुनिया के देशों में एक बड़ी चिंता देखी जा रही है। भारत भी इस चिंता से दूर नहीं है। भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में जो तनाव बना है। इसका लाभ चीन और भारत के पड़ोसी देश उठा रहे हैं। चीन उनकी दोनों हाथों से मदद कर रहा है। उन्हें सैन्य हथियारों से लेकर अन्य आर्थिक मदद दी जा रही है। चीन की जो गतिविधियां हैं। वह भारत को कमजोर करने वाली हैं। भारत आज सारी दुनिया के देशों में अलग-अलग पड़ता चला जा रहा है। भारत के लिए भी यह चिंता का सबसे बड़ा विषय है। कर्ज की इकोनॉमी से जब अमेरिका जैसा देश विघटन के दौर में पहुंच सकता है, तब आसानी से कल्पना की जा सकती है कि भारत के ऊपर जो कर्ज बढ़ता चला जा रहा है। वह भारत को कौन सी दिशा और दशा होगी इसको लेकर भारत की चिंता भी अब देखने को मिलने लगी है। एसजे/ 6 जून /2025