हैदराबाद (ईएमएस)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दोहराया कि 31 मार्च, 2026 तक देश से नक्सलवाद का खात्मा हो जाएगा। हालांकि तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी (टीपीसीसी) के अध्यक्ष बी. महेश कुमार गौड़ ने केंद्र सरकार से माओवादियों के साथ शांति वार्ता शुरू करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि माओवादी देश के अपने नागरिक हैं, जो गरीबों और सामाजिक अन्याय के खिलाफ लड़ रहे हैं। लेकिन जब माओवादी शांति वार्ता का अनुरोध करते हैं, तो हमें इस पर विचार करना चाहिए क्योंकि जीवन को बचाया जाना चाहिए। नक्सलवाद असमानता का प्रोडक्ट था - देश के एक प्रतिशत अमीरों के पास देश की लगभग 40 प्रतिशत संपत्ति है और दलितों के पास केवल 3 प्रतिशत संपत्ति है। एक इंटरव्यू में तेलंगाना कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, जीवन का अधिकार एक मौलिक अधिकार है। जीवन के अधिकार पर अंकुश लगाने का अधिकार किसी को नहीं है। ऑपरेशन कगार के संबंध में क्या हो रहा है? कांग्रेस आतंकवाद का समर्थन नहीं करेगी, चाहे वह नक्सलियों की तरफ से हो या सरकार की तरफ से। कांग्रेस पार्टी का मूल सिद्धांत अहिंसा है। अब, मेरा केंद्र सरकार से अनुरोध है कि वह शांति वार्ता के लिए आगे बढ़े, क्योंकि जो भी व्यक्ति आत्मसमर्पण करने, अपने हथियार डालने और मुख्यधारा में शामिल होने के लिए तैयार है, उसे ऐसा करने का अवसर दिया जाना चाहिए। सरकार शांति वार्ता करने में क्यों हिचकिचा रही है? उन्होंने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा, जंगलों के अंदर बहुत से नागरिक हैं, जंगलों के अंदर नागरिक आदिवासी हैं, माओवादियों को काबू करने के लिए हज़ारों सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। क्या होगा अगर हम गोलीबारी या मुठभेड़ में नागरिकों को खो दें? गौड़ ने केंद्र सरकार से अपील की है कि माओवादियों के खिलाफ चल रहे ऑपरेशन को तत्काल रोककर उनके साथ शांति वार्ता शुरू की जाए और सीजफायर की घोषणा की जाए। कांग्रेस शासित तेलंगाना के अध्यक्ष का कहना है कि सरकार को माओवादियों का सफाया करने के लिए कठोर कदम नहीं उठाने चाहिए, बल्कि उनसे कानूनी और संवैधानिक तरीकों से निपटना चाहिए। उन्होंने कहा, जब कांग्रेस (तत्कालीन अविभाजित) आंध्र प्रदेश में सत्ता में थी, तब हमारे तत्कालीन मुख्यमंत्री मर्री चेन्ना रेड्डी और वाईएस राजशेखर रेड्डी ने नक्सलियों के साथ शांति वार्ता की थी। काफी हद तक ये वार्ता सफल रही। कई नक्सली तब खुले तौर पर मुख्यधारा में शामिल हो गए थे, अपने हथियार डाल दिए थे और अभी शांतिपूर्ण जीवन जी रहे हैं। हालांकि उन्होंने साफ कहा कि कांग्रेस माओवादियों की हिंसक राजनीति के खिलाफ है। उन्होंने कहा, हम अभी भी उन्हें आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा मानते हैं। मैं उन नक्सलियों द्वारा की गई हत्याओं का समर्थन नहीं कर रहा हूं जो चरमपंथी हैं। मैं खुद नक्सलियों का शिकार हूं क्योंकि मैंने अपनी संपत्ति खो दी और मेरे पिता पर 1989 में नक्सलियों ने जानलेवा हमला किया था। अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई। वीरेंद्र/ईएमएस/07जून2025