विज्ञान और अध्यात्म अलग-अलग होते हुए भी एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। विज्ञान दुनिया को समझने और नियंत्रित करने पर केंद्रित है, जबकि अध्यात्म आंतरिक चेतना और आत्म-साक्षात्कार पर आधारित है लेकिन विज्ञान से भी जुड़ा है । दोनों ही जीवन, अस्तित्व, ब्रह्मांड, और वास्तविकता के बारे में सत्य की खोज करते हैं एक बार हनुमान जी ने एक बार सूर्य को निगल लिया था। हनुमान जी को सूर्य एक बड़ा, रसीला और मीठा फल लगा और उन्होंने उसे निगल लिया। इससे पूरा संसार अंधकारमय हो गया। सूर्यदेव ने हनुमान जी को समझाया कि वह सूर्य हैं, न कि कोई फल। सूर्य ने हनुमान को समझने की कोशिश की सूर्य देव, हनुमान के कार्यों से भयभीत हो गए और उन्हें सचेत किया कि वह सूर्य हैं। हनुमान ने अपनी गलती का एहसास करते हुए सूर्य से क्षमा मांगी और उन्हें रिहा कर दिया।जिसमें एक बात हैरान करने वाला था लेकिन सत्य है,वाल्मीकि की रामायण, किष्किन्धाकांड में वर्णित हनुमान के बचपन के वृत्तांत से हनुमान जी ने सूर्य को कैसे निगल लिया था, जबकि सूर्य पृथ्वी से लगभग 130 गुना बड़ा है?हनुमान जी के सूर्य को निगलने की कथा को पौराणिक दृष्टिकोण से समझा जाता है, न कि भौतिक विज्ञान के नियमों से। यह कथा वाल्मीकि रामायण और अन्य पुराणों में वर्णित है, जिसमें हनुमान जी की बाल्यकाल की अद्भुत शक्तियों का वर्णन किया गया है।कथा का संक्षिप्त विवरण जब हनुमान जी छोटे थे, तो उन्हें बहु तेज भूख लगी।रूपांतरित में यह कहा गया है सूर्य ने देखा कि बालक बहु तेज गति से उसकी ओर उड़ रहा है। सूर्यदेव ने सोचा, वह छोटा सा बालक पागल बैल की तरह मुझ पर आक्रमण कर रहा है। वायुदेव को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि उसके मित्र सूर्यदेव एक छोटे से बालक को देखकर घबरा गए। हनुमानजी अब और अधिक तेज गति से आगे बढ़ने लगे। सूर्यदेव, सूर्यदेव, घबरा गए। बचाओ, बचाओ, वे चिल्लाए। कुछ ही समय में, देवताओं के राजा इंद्र, अपने हाथी पर सवार होकर प्रकट हुए। यह कोई साधारण हाथी नहीं था। ऐरावत सफेद रंग का था, और उसके चार दाँत थे। छोटे हनुमान को इंद्र का हाथी खिलौना लग रहा था। वे भूल गए कि उन्हें भूख लगी है, और हाथी के पीछे चले गए। चले जाओ, दुष्ट, चले जाओ, इंद्र ने चिल्लाया। इंद्र की चेतावनी को अनदेखा करते हुए, हनुमान आगे बढ़े और हाथी की सूंड पकड़ ली। इंद्र ने अपने शक्तिशाली हथियार, वज्र से हनुमान को दूर धकेल दिया। हनुमान के चेहरे पर वार हुआ था। वे कराह उठे और उनका चेहरा फूलने लगा। वायुदेव को गिरते हुए बच्चे को देखकर घबराहट हुई। वह उसे अपनी बाहों में लेने के लिए तेजी से आगे बढ़ा। उसे उठाकर वायुदेव तेजी से एक गुफा के अंदर चले गए।जिस क्षण वायुदेव ने खुद को गुफा में बंद किया, हवा बहना बंद हो गई। मनुष्य और जानवर सांस लेने के लिए तरस गए। इंद्र चिंतित हो गए, क्योंकि उन्हें पता था कि जीवित प्राणी हवा के बिना लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकते। इंद्र वायुदेव के पीछे भागे। सूर्यदेव इंद्रदेव के पीछे भागे। अन्य देवता सूर्यदेव के पीछे भागे। इंद्रदेव के नेतृत्व में सभी देवता गुफा के बाहर एकत्र हुए और वायुदेव से बाहर आने का आग्रह किया।तुम्हारा बेटा बहुत बढ़िया है, वायुदेव, इंद्र ने कहा, क्या लड़का है!क्या ताकत है! और वह निडर भी है, सूर्यदेव ने कहा।जब वह बड़ा होगा, तो हनुमान महान कार्य करेगा, इंद्र ने कहा।मैं हनुमान को असाधारण शक्ति का वरदान देता हूं, सूर्यदेव ने कहा।मैं उसे ज्ञान और बुद्धि प्रदान करता हूं, इंद्रदेव ने घोषणा की।वह अपनी इच्छानुसार बड़ा या छोटा हो सकता है। वह कोई भी रूप धारण कर सकता है, देवताओं में से एक ने कहा।इंद्र ने कहा, मृत्यु भी उसे छू नहीं सकती। मैं उसे अमर बना दूंगा।नन्हे हनुमान पर बरसते वरदानों को सुनकर वायु प्रसन्न हुए। इस बीच हनुमान दर्द से उबर चुके थे। हनुमान को गले लगाए हुए वायु देवताओं को धन्यवाद देने के लिए गुफा से बाहर आए।हवा चलने लगी। मनुष्य और जानवर अब आसानी से सांस ले सकते थे। देवता खुश थे। उन्होंने हनुमान को आशीर्वा दिया और अपने घर लौट गए।तभी हनुमान को अपनी मां अंजना की आवाज सुनाई दी - हनु, तुम कहां चले गए। हनु...वायु द्वारा दिए गए एयर कुशन पर तैरते हुए हनुमान तुरंत घर की ओर चल दिए। जब हनुमान घर पहुंचे और अपनी मां को गले लगाया, तो वायु मुस्कुराए।सूर्य पृथ्वी से औसतन लगभग 93,000,000 मील (150 मिलियन किलोमीटर) की दूरी पर है। यह इतना दूर है कि सूर्य से प्रकाश, 186,000 मील (300,000 किलोमीटर) प्रति सेकंड की गति से यात्रा करते हुए, हमारे पास पहुंचने में लगभग 8 मिनट लेता है।सूर्य से पृथ्वी तक प्रकाश पहुंचने में औसतन 8 मिनट और 20 सेकंड का समय लगता है. प्रकाश की गति 2,99,792 किलोमीटर प्रति सेकंड होती है. पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी लगभग 150 मिलियन किलोमीटर है. वर्तमान में, सूर्य के केंद्र का तापमान लगभग 15 मिलियन डिग्री सेल्सियस (27 मिलियन डिग्री फ़ारेनहाइट) है। यह तापमान परमाणु संलयन नामक प्रक्रिया के कारण होता है, जो सूर्य के केंद्र में लगातार होता है। परमाणु संलयन में, हाइड्रोजन नाभिक आपस में मिलकर हीलियम नाभिक बनाते हैं, जिससे भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है।यह ऊर्जा सूर्य के बाहर की ओर विकिरण और संवहन द्वारा स्थानांतरित होती है, जिससे उसकी सतह का तापमान लगभग 5,500 डिग्री सेल्सियस (10,000 डिग्री फ़ारेनहाइट) हो जाता है।सूर्य के भविष्य में, जैसे-जैसे वह अपने ईंधन (हाइड्रोजन) को जलाता जाएगा, उसका केंद्र अधिक गर्म हो जाएगा। माना जाता है कि अगले 5 अरब वर्षों में, सूर्य का केंद्र तापमान 20 मिलियन डिग्री सेल्सियस (36 मिलियन डिग्री फ़ारेनहाइट) तक पहुंच जाएगाओजोन परत मुख्य रूप से समताप मंडल में स्थित है, जो पृथ्वी की सतह से लगभग 15 से 35 किलोमीटर (9 से 22 मील) ऊपर है। वायुमंडल के अन्य भागों की तुलना में इसमें ओजोन (O3) की उच्च सांद्रता होती है। जबकि ओजोन वायु प्रदूषक के रूप में क्षोभमंडल (निचले वायुमंडल) में मौजूद है, समताप मंडल की ओजोन परत ही वह है जो हमें यूवी विकिरण से बचाती है।जो शायद वहाँ तक पहुंचने में हनुमानजी को ताप का अहसास नहीं हुआ होगा और उनका शरीर भी वज्रदेह दानव दलन है जो इंसान से अलग है और जहाँ तक पृथ्वी से बड़ा का सवाल है वो तो अंतरिक्ष में चले गए और वहाँ पवनपुत्र के नाते सांस लेने में क़ोई परेशानी भी नहीं होगी अतः इसमें सच्चाई है क्योंकि ईश्वर को जानना कठिन है क़ोई यह नहीं बता सकता कि उसकी मौत कब और कैसे होगी तो ईश्वर पर विश्वास रखें और कर्म करें आप सफल होंगे उन्होंने आकाश में चमकते हुए सूर्य को एक लाल फल समझ लिया और उसे खाने के लिए आकाश में उड़ गए। अपनी दिव्य शक्ति के कारण वे तेजी से सूर्य की ओर बढ़े और उसे निगलने का प्रयास किया।इससे समस्त ब्रह्मांड में अंधकार छा गया, क्योंकि सूर्य ही प्रकाश का स्रोत था। देवताओं और ऋषियों ने इंद्रदेव से प्रार्थना की, जिससे इंद्र ने अपने वज्र से हनुमान जी को मारा, और वे पृथ्वी पर गिर पड़े।क्या सूर्य सच में निगल लिया गया था?यह कथा आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक रूप से समझी जाती है।हनुमान जी के इस कार्य से उनकी असीम शक्ति और दिव्यता का परिचय मिलता है।यह भी दर्शाया गया है कि हनुमान जी को भौतिक सीमाओं से परे शक्तियाँ प्राप्त थीं, जो उन्हें ईश्वरीय कृपा से मिली थीं।यह कथा ब्रह्मांडीय तत्वों के संतुलन और देवताओं की शक्तियों के बीच संबंध को भी दर्शाती है।भौतिक दृष्टिकोण से व्याख्या करें तो सही जरूर ना लगे अगर इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें, तो यह असंभव लगता है, क्योंकि सूर्य का आकार पृथ्वी से लगभग 130 गुना बड़ा और अत्यधिक गरम है।लेकिन हनुमान जी क़ो सूर्य क़ो निगल जाना इस बात की पुस्टी करता है कि हनुमान जी अपने आकार क़ो बड़ा या छोटा कर सकते हैं सूर्य का ताप भौतिक रूप से बहुत अधिक है लेकिन हनुमान जी क़ो अग्निदेव ने अग्नि की ज्वाला से मुक्त किया था जिसके परिणामस्वरूप रावण द्वारा उनकी पूँछ में आग लगा देने के बाबजूद उनके शरीर क़ो कुछ नहीं हुआ और पूरी लंका जल गई आप जो देखते हैं वह वहीं तक सिमित है लेकिन जो तत्वदर्शी है उसे अंतरिक्ष में ध्यान से देख लेता है यह इस बात का भी प्रमाण देता हैं कि प्रभु राम ईश्वर हैं जो दुनिया क़ो चला रहें हैं और उनके भक्त हनुमान जी प्रभु राम से ध्यान और साधना के बल पर शक्ति पाई है पौराणिक ग्रंथों की कथाएँ तर्क और विज्ञान से परे जरूर है लेकिन सत्य भी है जो हमारे समझ से बाहर है और जो आज है वो कल अविष्कार से सही भी हो सकता है बेशक सूर्य भगवान हैं लेकिन सबको चलाने वाला भी ईश्वर ही है अतः राम के नाम से और भक्ती से अनन्त शक्तिमान बने, लेकिन विज्ञान में कुछ भी असंभव नहीं है विज्ञान के अविष्कार की ज्यादातर देन पश्चिमी देशों से मिली जो जेसस को ईश्वर मानते हैं लेकिन वो भी क़ब्र से जिन्दा लौट आए हैं जो विज्ञान में असम्भव सा है अतः सभी धर्मों में आस्था, प्रतीकात्मकता और आध्यात्मिक संदेशों पर आधारित होती हैं।जैसे इस्लाम में पैगम्बर मोहम्मद साहब ने अंतिम समय में उड़ते हुए घोड़ा से होकर स्वर्ग की यात्रा की थी, जिसका नाम बुर्राक़ था। यह एक अलौकिक प्राणी था, जिसकी एक विशेष व्याख्या है।इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, पैगंबर मोहम्मद साहब को एक दिव्य यात्रा पर स्वर्ग भेजा गया था, जिसे इज़रा कहा जाता है। इस यात्रा के दौरान, उन्हें स्वर्ग में सभी पैगंबरों से मिलने का अवसर मिला और फिर उन्हें स्वर्ग में अल्लाह से भी मिलने का अवसर मिला।हनुमान जी का सूर्य को निगलना भी उनकी शक्ति, दिव्यता और आस्था का प्रतीक है, आज भौतिक रूप से सूर्य को खाना भी संभव नहीं लगता है लेकिन जब अविष्कार होगा तो संभव हो सकता है क्योंकि सूर्य एक फिजन रियेक्टर जैसा है और हमारा पेट भी रियेक्टर जैसा ही हैं । यह कथा हमें यह भी सिखाती है कि ईश्वर की कृपा से असंभव भी संभव हो सकता है क्योंकि संसार क़ो चलाने की शक्ति है..महाबली हनुमान कलयुग के जीवित देवता कहलाते हैं। इन्हें दसों दिशाओं, आकाश और पाताल का रक्षाकर्ता कहा जाता है। भगवान हनुमान का मात्र नाम लेने से ही बड़े से बड़े संकट और परेशानियां दूर हो जाती हैं। जो भी भक्त प्रभु श्री रामचंद्र के परम भक्त भगवान हनुमान की निस्वार्थ भाव से पूजा-आराधना करते हैं उन्हें कभी किसी कष्ट का सामना नहीं करना पड़ता है। कहा जाता है कि हनुमान जी के केवल नामों के उच्चारण मात्र से ही व्यक्ति सांसारिक सुखों को प्राप्त करता है। हनुमान को बजरंगबली, अंजनी पुत्र, पवन पुत्र, रामभक्त जैसे अनेकों नामों से जाना जाता है.अतः अध्यात्म में विज्ञान भी है जिसे नकारा नहीं जा सकता है। (यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अनिवार्य नहीं है) .../ 11 जून /2025