-मिडिल ईस्ट में बढ़ता खतरा नई दिल्ली,(ईएमएस)। मध्य पूर्व में इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते युद्ध जैसे हालात ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता बढ़ा दी है। दोनों देशों के बीच मिसाइल हमलों और जवाबी कार्रवाई से हालात और अधिक बिगड़ते नजर आ रहे हैं। इजरायल ने अब अमेरिका से ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर कार्रवाई में सहयोग की मांग की है, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस मांग को फिलहाल ठुकरा दिया है। वहीं दूसरी तरफ ईरान को धमकाते हुए सीमा में रहने और हमले नहीं करने की नसीहत दे दी है। इजरायल ने ईरान के अति-संरक्षित फोर्डो न्यूक्लियर प्लांट को नष्ट करने के लिए अमेरिका से तकनीकी और सैन्य सहायता मांगी है। यह संयंत्र ईरान के कोम शहर के पास पहाड़ के नीचे स्थित है और इसे हवाई हमलों से बचने के लिए डिजाइन किया गया है। इजरायली सेना का मानना है कि यह प्लांट उनके अकेले के बूते पर पूरी तरह नष्ट नहीं किया जा सकता। हालांकि अमेरिका ने सीधे तौर पर इस जंग में शामिल होने से इनकार कर दिया है। अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने स्पष्ट किया कि इजरायल को फिलहाल खुद ही हालात से निपटना चाहिए। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर ईरान ने किसी अमेरिकी सैन्य ठिकाने पर हमला किया, तो जवाबी कार्रवाई की जाएगी। उधर, ईरान ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि कोई देश इजरायल की सैन्य सहायता करता है, तो वह उसे भी युद्ध में शामिल मानेगा। इस चेतावनी से मध्य पूर्व में स्थित अमेरिकी सैन्य अड्डों और नौसैनिक पोतों पर खतरा मंडराने लगा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अमेरिका इस युद्ध में खुलकर शामिल होता है, तो पूरा मध्य पूर्व युद्ध की आग में झुलस सकता है। इसका असर वैश्विक ऊर्जा बाजार पर भी पड़ेगा, क्योंकि फारस की खाड़ी से होने वाले तेल निर्यात में भारी गिरावट की आशंका है। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें बेतहाशा बढ़ सकती हैं। फिलहाल अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस संकट के कूटनीतिक हल की अपील कर रहा है, लेकिन जिस तरह हालात तेजी से बदल रहे हैं, उससे साफ है कि अगर जल्द ही कोई समाधान नहीं निकला, तो यह टकराव वैश्विक संकट का रूप ले सकता है। हिदायत/ईएमएस 16जून25