नई दिल्ली (ईएमएस)। आपने कभी गौर किया होगा कि सांप चाहे कितनी भी तेजी से आगे बढ़ जाए, वह कभी भी उसी तरह की गति से पीछे नहीं जा सकता। इसके पीछे उनकी खास शारीरिक बनावट और गति की संरचना जिम्मेदार है। सांपों के शरीर के निचले हिस्से, यानी पेट पर वेंट्रल स्केल्स होते हैं। ये चौड़े और मजबूत शल्क विशेष रूप से जमीन पर पकड़ बनाने के लिए बने होते हैं, और ये पीछे की दिशा में थोड़े झुके हुए होते हैं। जब सांप आगे बढ़ता है, तो यही वेंट्रल स्केल्स उसे ज़मीन पर घर्षण देकर सहारा देते हैं और आगे खिसकने में मदद करते हैं। लेकिन अगर वह पीछे की ओर जाने की कोशिश करे, तो यही स्केल्स ज़मीन में अटक जाते हैं और उसे पीछे की ओर गति नहीं लेने देते। इसके अलावा सांप की मांसपेशियों की बनावट भी पीछे जाने में रुकावट पैदा करती है। सांप अपने शरीर को लहरदार रूप में संकुचित और शिथिल करता है, जिससे एक सिरा दूसरे सिरे की ओर खिंचता है और शरीर आगे की ओर खिसकता है। यह गति पूरी तरह आगे की दिशा में ही अनुकूलित होती है। अगर सांप को पीछे जाना हो, तो उसे यह लहर उलटी दिशा में भेजनी होगी, जो उसकी मांसपेशियों के लिए न तो स्वाभाविक है और न ही व्यावहारिक। सांपों का विकास हमेशा आगे बढ़ने की जरूरतों के अनुसार हुआ है। चाहे वह शिकार का पीछा हो या शिकारी से बचकर भागना, या किसी बिल में घुसना हर परिस्थिति में उसे आगे बढ़ने की जरूरत पड़ती है, न कि पीछे हटने की। यही वजह है कि उनके शरीर ने पीछे जाने की क्षमता विकसित नहीं की। हालांकि कुछ दुर्लभ परिस्थितियों में, जैसे बहुत संकरी जगहों पर, कुछ सांप सीमित रूप से थोड़ा पीछे हट सकते हैं, लेकिन यह बेहद धीमी, असामान्य और असहज गति होती है, जो आम तौर पर उनके व्यवहार का हिस्सा नहीं होती। अजगर भी इसी कारण से पीछे नहीं रेंग सकते, क्योंकि उनके शरीर की बनावट, वेंट्रल स्केल्स की दिशा और मांसपेशियों का ढांचा उन्हें सिर्फ आगे की ओर खिसकने की अनुमति देता है। सुदामा/ईएमएस 17 जून 2025