वाशिंगटन (ईएमएस)। डिनर समय पर और संतुलित मात्रा में होना चाहिए, ताकि शरीर सुचारु रूप से काम करता रहे। इस बात को डॉक्टर भी मानते हैं। आयुर्वेद और मेडिकल साइंस दोनों मानते हैं कि रात का भोजन सोने से कम से कम दो से तीन घंटे पहले कर लेना चाहिए। यदि आप रात 10 बजे सोने की आदत रखते हैं, तो डिनर 7 बजे तक कर लेना सबसे उपयुक्त समय माना जाता है। समय से भोजन करने से न केवल पेट स्वस्थ रहता है, बल्कि पाचन तंत्र भी बेहतर तरीके से काम करता है। देर से रात का खाना खाने से सबसे पहला असर पाचन तंत्र पर पड़ता है। जब भोजन के तुरंत बाद सोया जाता है, तो शरीर को खाना पचाने में कठिनाई होती है, जिससे गैस, अपच और एसिडिटी जैसी समस्याएं जन्म लेती हैं। इससे शरीर में ऊर्जा का सही उपयोग नहीं हो पाता और थकावट महसूस होने लगती है। इतना ही नहीं, देर रात खाना खाने की आदत मोटापे को भी बढ़ावा देती है, क्योंकि उस समय ली गई कैलोरीज बर्न नहीं हो पातीं और फैट के रूप में जमा होने लगती हैं। अध्ययनों से यह भी साबित हुआ है कि देर से डिनर करने वालों में मधुमेह और हृदय रोग जैसी समस्याओं का जोखिम अधिक होता है। डिनर का समय नींद की गुणवत्ता पर भी असर डालता है। देर से खाया गया भोजन पचने में अधिक ऊर्जा मांगता है, जिससे शरीर को सोते समय पूरा आराम नहीं मिल पाता और नींद में खलल पैदा होता है। इससे अनिद्रा, बेचैनी और थकान जैसी दिक्कतें होने लगती हैं। सही समय पर, हल्का और पोषक तत्वों से भरपूर भोजन जैसे दाल, सब्जी, रोटी, चावल और सलाद लेना न सिर्फ पाचन को बेहतर बनाता है, बल्कि रातभर शरीर को स्वस्थ बनाए रखता है। समय पर डिनर करना संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए एक छोटी मगर असरदार आदत है। अगर डिनर देर से लेना जरूरी हो, तो भारी और तला-भुना खाना बिल्कुल न खाएं। इससे पाचन और अधिक कठिन हो सकता है और पेट में भारीपन या गैस की समस्या बढ़ सकती है। देर से डिनर की आदत लिवर और किडनी पर भी असर डाल सकती है, क्योंकि इससे शरीर में विषैले तत्व जमा होने लगते हैं। सुदामा/ईएमएस 18 जून 2025