मनुष्य का दिमाग ही सब कुछ है, जो वह सोचता है वही वह बनता है। - गौतम बुद्ध ना तो कोई किसी का मित्र है ना ही शत्रु है। व्यवहार से ही मित्र या शत्रु बनते हैं। - हितोपदेश ईएमएस / 18 जून 25
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