राष्ट्रीय
18-Jun-2025
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नकदी और जले नोट मामले में घिरे जस्टिस वर्मा का सीजेआई को जवाब नई दिल्ली,(ईएमएस)। नई दिल्ली स्थित अपने आवास से जले हुए नोट मिलने के विवाद के बाद सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा पर इस्तीफा देने या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने का दबाव डाला गया, लेकिन उन्होंने इसे खारिज कर दिया था। उन्होंने सीजेआई संजय खन्ना को लिखे एक पत्र में इस पूरी प्रक्रिया को मूल रूप से अन्यायपूर्ण बताया और कहा कि उन्हें अपनी बात रखने का मौक नहीं दिया गया। एक रिपोर्ट के मुताबिक 6 मई 2025 लिखे गए अपने पत्र में जस्टिस वर्मा ने सीजेआई खन्ना के 4 मई के उस पत्र को खारिज कर दिया जिसमें उन्हें पद छोड़ने की सलाह दी गई थी। जस्टिस वर्मा ने लिखा- इस सलाह को स्वीकार करना ऐसा होगा जैसे मैं एक ऐसे फैसले को स्वीकार कर लूं जो पूरी तरह अनुचित है और जिसमें मुझे अपना पक्ष रखने तक का अवसर नहीं दिया गया। जस्टिस वर्मा ने यह भी कहा कि उन्हें समिति की रिपोर्ट मिलते ही केवल 48 घंटे में जीवन को बदल देने वाला फैसला लेने को कहा गया, जो न केवल अनुचित है बल्कि न्यायिक प्रक्रिया के मानकों का उल्लंघन भी है। बता दें यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब दिल्ली में स्थित जस्टिस वर्मा के आवास के आउटहाउस में जली हुई करेंसी नोटों के मिलने की खबर सामने आई। इस पर तत्कालीन सीजेआई संजय खन्ना ने एक तीन-सदस्यीय जांच समिति गठित की। समिति ने अपनी जांच में उन्हें दोषी मानते हुए दुराचार का दोषी पाया। हालांकि, जस्टिस वर्मा का कहना है कि उन्हें आरोपों की जानकारी देने और अपना पक्ष रखने का मौका ही नहीं दिया गया। उन्होंने पूरी प्रक्रिया की पुनर्समीक्षा और पुनर्विचार की मांग की है। यह मामला अब न्यायपालिका की आंतरिक जांच प्रक्रियाओं की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है। सिराज/ईएमएस 18जून25 -----------------------------