20-Jun-2025
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सागर,(ईएमएस)। तुलसीपीठ चित्रकूट के संस्थापक, शंकराचार्य व जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य अब डी-लिट (डॉक्टर ऑफ लिटरेचर) कहलाएंगे। प्रदेश के एकमात्र केंद्रीय विश्वविद्यालय डॉ. हरीसिंह गौर यूनिवर्सिटी ने उन्हें गरिमामय कार्यक्रम में डी-लिट की मानद उपाधि से विभूषित किया है। विवि ने अपनी स्थापना के 79वें साल में पहली दफा किसी को इस उपाधि से सम्मानित किया है। शुक्रवार को 33वां दीक्षांत समारोह आयोजित हुआ था। इसमें 1225 छात्र-छात्राओं को डिग्री प्रदान की गई हैं। विवि में आयोजित भव्य समारोह में कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने जगद्गुरु को यह उपाधि प्रदान की है। बता दें कि डी—लिट की उपाधि शिक्षा, साहित्य और आध्यात्म के क्षेत्र में उत्कृष्ठ और उल्लेखनीय योगदान के लिए दी जाती है। जगद्गुरु रामभद्राचार्य 22 भाषाओं के जानकार डी-लिट की उपाधि से सम्मानित जगद्गुरु रामभद्राचार्य अद्भुत प्रतिभा के धनी हैं। उनके नेत्रों की दृष्टि महज दो माह की उम्र में चली गई थी। 17 साल तक उनकी कोई शिक्षा नहीं हुई थी। इसके बाद उन्होंने 22 भाषाएं सीखी हैं और 80 से अधिक ग्रंथों की रचना की है। वे रामानंद संप्रदाय के चार जगद्गुरुओं में से एक हैं और शिक्षा व संस्कृति के क्षेत्र में उनका योगदान अतुलनीय है। उनकी 100 से अधिक रचनाएं हैं, जिसमें महाकाव्य, टीकाएं और धार्मिक ग्रंथ शामिल हैं। उन्होंने तुलसी पीठ की स्थापना की, जो चित्रकूट में स्थित है। उन्होंने जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय की भी स्थापना की, जो दिव्यांग छात्रों के लिए शिक्षा प्रदान करता है। वे इसके संस्थापक व आजीवन कुलपति भी हैं। इस मौके पर केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी डॉ. हरीसिंह गौर 33वें दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि थे, लेकिन शुक्रवार को मौसम खराब होने के कारण उनका विमान सागर के लिए उड़ान नहीं भर सका। इस कारण वे ऑनलाइन ही कार्यक्रम में जुड़े एवं संबोधित किया। उन्होंने कार्यक्रम में न पहुंचने पर विवि परिवार व जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य से हाथ जोड़कर माफी भी मांगी। इसके अलावा प्रदेश के उपमुख्यमंत्री व सागर के प्रभारी मंत्री राजेंद्र शुक्ल, खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, सांसद लता वानखेड़े सहित तमाम जनप्रतिनिधि आयोजन में शामिल हुए। आशीष दुबे / 20 जून 2025