अंतर्राष्ट्रीय
20-Jun-2025


कर्ज 37 ट्रिलियन डॉलर के पार, भारत का भी है कर्जदार! नई दिल्ली(ईएमएस)। अमेरिका का कर्ज हर साल तेजी से बढ़ता जा रहा है। अब अमेरिका पर राष्ट्रीय कर्ज 37 ट्रिलियन डॉलर को पार कर गया है, जिससे अमेरिका में चिंता की लहर दौड़ गई है। हर साल सिर्फ ब्याज चुकाने की लागत 1 ट्रिलियन डॉलर के करीब बढ़ रही है। ऐसा कहा जा रहा है कि अगर लोन कुछ समय तक ऐसे ही बढ़ता रहा तो अमेरिका का बजट भी प्रभावित हो सकता है और अमेरिका की ग्रोथ थम सकती है। 20 जून तक अमेरिकी सरकार पर इतना कर्ज है, जितना पूरी अर्थव्यवस्था एक साल में बढ़ती है। कांग्रेस के बजट कार्यालय का अनुमान है कि बड़े सुधारों के बिना, 2055 तक कर्ज जीडीपी के 156 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा। वर्तमान स्तर पर, 2 ट्रिलियन डॉलर का सालाना घाटा, कर्ज में बढ़ोतरी को बढ़ावा दे रहा है, जिसे बढ़ते खर्च और स्थिर राजस्व वृद्धि से बढ़ावा मिल रहा है। अमेरिका पर ताजा खतरा क्या है? अमेरिका पर सबसे बड़ा और ताजा खतरा ब्याज को लेकर है। कुल टैक्स से आए इनकम का करीब 1 चौथाई हिस्सा अब लोन चुकाने में खर्च हो रहा है। इसका मतलब है कि सामाजिक सुरक्षा, मेडिकेयर, नेशनल डिफेंस और बुनियादी ढांचे के लिए कम पैसा ही बचेगा, यह ऐसे सेक्टर्स हैं जिनपर लाखों अमेरिकी निर्भर हैं। अमेरिका की इकोनॉमी पर भी संकट रिस्क सिर्फ बजट में कटौती का नहीं है। इकोनॉमिस्ट की चेतावनी है कि इस लोन से प्राइवेट निवेश में कमी आ सकती है और उधार लेने की लागत बढ़ सकती है और आर्थिक विकास में बाधा आ सकती है। सीबीओ का अनुमान है कि अगर लोन का बोझ कंट्रोल नहीं किया गया तो अगले दशक में जीडीपी में 340 अरब डॉलर की कमी आ सकती है। इससे संभावित 1.2 मिलियन नौकरियां खत्म हो सकती हैं और सभी सेक्टर्स में वेतन बढ़ोतरी धीमी हो सकती है। डॉलर में आ सकती है गिरावट ब्याज दरों में बढ़ोतरी से नुकसान और बढ़ जाता है। जैसे-जैसे ग्लोबल ऋणदाता अमेरिकी घाटे के फंडिंग के लिए उच्च रिटर्न की मांग करने लगते हैं, वैसे-वैसे सभी के लिए उधार लेने की लागत बढ़ती जा रही है। राजकोषीय संकट और भी गहराता जा रहा है। वहीं दूसरी ओर अगर निवेशकों का सरकार की फाइनेंशियल मैनेजमेंट क्षमता पर भरोसा खत्म हो जाता है तो ब्याज दरों में तेज उछाल या डॉलर में गिरावट आ सकती है। इससे ग्लोबल स्तर पर नुकसान हो सकता है। फिर भी बढ़ रही अमेरिका की अर्थव्यवस्था कर्ज का संकट बढऩे के बाद भी अमेरिकी अर्थव्यवस्था अभी भी बढ़ रही है, लेकिन इसकी गति काफी धीमी हो गई है। इस साल जीडीपी ग्रोथ का अनुमान केवल 1.4 प्रतिशत-1.6 प्रतिशत है, बेरोजगारी बढ़ रही है और महंगाई का लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है। गलती की गुंजाइश कम होती जा रही है। अर्थशास्त्रियों, व्यापार जगत के नेताओं की चेतावनियां और एलन मस्क जैसे लोगों के कमेंट अब सच लगती दिख रही है। अगर अमेरिका इसी राह पर चलता रहा, तो इसकी कीमत सिर्फ आने वाली पीढिय़ों को ही नहीं चुकानी पड़ेगी, बल्कि इसका खामियाजा बहुत पहले ही भुगतना पड़ सकता है। भारत ने कितना दिया है लोन? पिछले साल जून में भारत के पास 241.9 बिलियन डॉलर (लगभग 20 लाख करोड़ रुपये) की अमेरिकी ट्रेजरी इक्विटीज थीं, जिससे वह 12वां सबसे बड़ा विदेशी धारक बन गया। इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि भारत ने अमेरिका के ट्रेजरी बॉन्ड के बदले करीब 20 लाख करोड़ रुपये का कर्ज दिया है। विनोद उपाध्याय / 20 जून, 2025