ज़रा हटके
21-Jun-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। गोमुखासन शब्द संस्कृत से लिया गया है, जिसमें गौ का अर्थ गाय, मुख का अर्थ मुंह और आसन का अर्थ मुद्रा होता है। गोमुखासन, न सिर्फ शारीरिक मजबूती देता है बल्कि मानसिक शांति भी प्रदान करता है। इस आसन में व्यक्ति की मुद्रा कुछ इस तरह बनती है, जैसे गाय का चेहरा हो पैरों की स्थिति गाय के मुंह जैसी और कोहनी गाय के कानों जैसी दिखाई देती है। यह योगासन शरीर की मांसपेशियों, खासकर कंधे, पीठ और जांघों की मांसपेशियों को मजबूत करता है। आयुष मंत्रालय के अनुसार, गोमुखासन से तनाव और चिंता को कम किया जा सकता है और यह मानसिक शांति में सहायक होता है। यह रीढ़ की हड्डी को सीधा रखता है, जिससे सर्वाइकल और कमर दर्द जैसी समस्याओं में राहत मिलती है। नियमित अभ्यास से शरीर लचीला बनता है और बैठने की मुद्रा सुधरती है, जिससे लंबे समय तक काम करने या ध्यान लगाने में सुविधा होती है। यह योगासन अस्थमा के रोगियों के लिए भी लाभकारी है, क्योंकि इससे फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ती है और सांस लेने की प्रक्रिया बेहतर होती है। डायबिटीज के मरीजों को भी इसे करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि यह आंतरिक अंगों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। इससे ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करने में मदद मिलती है और पाचन क्रिया भी बेहतर होती है। साथ ही यह हृदय स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी माना जाता है, क्योंकि इससे तनाव घटता है और ब्लड प्रेशर संतुलित रहता है। ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, गोमुखासन से हाथ, कंधे, पीठ और छाती की स्ट्रेचिंग अच्छी होती है और ट्राइसेप्स मजबूत बनते हैं। इससे रोजमर्रा के कामों में आसानी होती है और थकान कम लगती है। सांस को नियंत्रित रखें और शरीर को सहज अवस्था में बनाए रखें। नियमित अभ्यास से यह आसन संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। इस आसन को करने के लिए ज़मीन पर बैठकर दोनों पैरों को मोड़कर एक-दूसरे के ऊपर रखें, फिर दोनों हाथों को पीठ के पीछे ले जाकर आपस में जोड़ें। सुदामा/ईएमएस 21 जून 2025