रुट में किया बदलाव, इस बार यात्रा टनकपुर, चंपावत होते हुए आगे बढ़ेगी नई दिल्ली,(ईएमएस)। पांच साल के लंबे इंतजार के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू हो रही है। साल 2020 में महामारी के कारण यह यात्रा बंद कर दी गई थी, लेकिन अब 30 जून से यह यात्रा दोबारा शुरू हो रही । यह यात्रा अगस्त तक चलेगी और हर साल की तरह इस बार भी उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के लिपुलेख पास से शुरु होगी। कैलाश पर्वत हिंदू, बल्कि बौद्ध, जैन और तिब्बती में भी बेहद पवित्र माना जाता है। बौद्ध धर्म में इसे डेमचोक का निवास माना जाता है, वहीं जैन धर्म में यह पहला तीर्थंकर ऋषभदेव से जुड़ा है। तिब्बती मान्यता में कैलाश को स्वास्तिक पर्वत के रूप में पूजा जाता है। इसके साथ ही मानसरोवर झील भी पवित्र मानी जाती है, जहां भक्त स्नान कर पुण्य अर्जित करते हैं। कैलाश मानसरोवर यात्रा प्राचीन काल से चली आ रही है। यह यात्रा आध्यात्मिक शांति, आत्ममंथन और भगवान शिव के दर्शन के लिए की जाती है। हर साल सैकड़ों श्रद्धालु इस यात्रा को तय कर मानसरोवर झील के दर्शन और स्नान करते हैं। हाल ही में नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय की एक अहम बैठक की, जिसमें यात्रा को फिर से शुरू करने का फैसला लिया गया। इस बार यात्रा का संचालन कुमाऊं मंडल विकास निगम कर रहा है। यात्रा की शुरुआत दिल्ली से होगी और फिर यात्री पिथौरागढ़ जिले के लिपुलेख दर्रे से होते हुए कैलाश मानसरोवर जाएंगे। इस बार यात्रा का रूट में थोड़ा बदलाव किया है। पहले यह काठगोदाम और अल्मोड़ा होते हुए जाती थी, लेकिन अब यह टनकपुर, चंपावत होते हुए आगे बढ़ेगी। कैलाश मानसरोवर यात्रा केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि आध्यात्मिक अनुभव भी है। ऊंचे पर्वतों, कठिन रास्तों और प्राकृतिक सौंदर्य के बीच यह यात्रा भक्तों को आस्था, साहस और आत्मचिंतन का अद्भुत अवसर प्रदान करती है। सिराज/ईएमएस 24जून25 --------------------------------
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