नई दिल्ली,(ईएमएस)। देश में दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून ने समय से पहले दस्तक दे दी है और इसी के साथ दिल्ली, मुंबई और चैन्नई जैसे अत्याधुनिक भौतिक सुखों वाले शहरों में जलभराव की समस्या भी देखने को मिल रही है। देश के अधिकांश राज्यों में मानसून की बारिश हो रही है। इस मानसूनी बारिश से हर साल की तरह इस साल भी कुछ शहर जलमग्न हो रहे हैं और कुछ इलाकों में बाढ़ जैसे हालात पैदा होते दिख रहे हैं। खासकर मुंबई और चेन्नई जैसे महानगरों में बारिश की वजह से सड़कें लबालब हो जाती हैं और जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। दिल्ली का मिंटो ब्रिज राजधानी में बारिश की पहचान बन चुका है। यहां ब्रिज के नीचे हर साल बारिश में डूबी हुई बस या फिर कार की तस्वीर अखबारों की सुर्खियां बनती हैं, फिर भी यह बदस्तूर जारी है। राजधानी में सड़कों और नालों के निर्माण पर करोड़ों रुपये हर साल खर्च किए जाते हैं, लेकिन व्यवस्थाएं ढाक के तीन पात साबित होती हैं। दिल्ली-मुंबई और चेन्नई वे शहर हैं जो बारिश में हर साल तालाब का रुप लेते देखे जा सकते हैं। यहां सरकारों की तैयारियां थोड़ी सी बारिश में भी नाकाफी होती दिखती हैं और इसका भुगतान आम जनता को भुगतना पड़ता है, जिनके लिए रोजमर्रा के कामों की वजह से घर से निकलना मजबूरी है। इन महानगरों में सड़कों पर सैलाब, मकान ढहने के हादसे, बिजली के तारों का टूटना और बाढ़ जैसे हालात हर साल की बारिश की कहानी बयां करते हैं। इन हालात के लिए जानकार अनेक कारण गिनाते हैं, जिनमें से आबादी का बेहिसाब बढ़ना प्रमुख कारण बताया जाता है। कहा जा रहा है कि इन शहरों की आबादी बेहिसाब तरीके से बढ़ रही है। पहले से ही इन महानगरों पर जनसंख्या का भारी दबाव है, जिससे बुनियादी ढांचा तैयार करने की हर कोशिश नाकाफी साबित होती है। इस कारण सामान्य बारिश भी इन शहरों पर जलभराव का कारण बन जाती है और आबादी के हिसाब से जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी साफ नजर आती है। सड़कों किनारे बने फुटपाथ और फ्लाईओवर लोगों को सुविधाएं देते हैं, लेकिन बारिश में जलनिकासी और जल रिसाव ठीक ढंग से न हो पाने की वजह से सड़कों पर पानी जमा हो जाता है। सामान्य तौर पर घरों से निकलने वाले पानी को किसी नाले तक ले जाने की पर्याप्त सुविधाओं की कमी भी एक समस्या है। जब भी बारिश होती है, गलियों में बनी नालियां ओवरफ्लो हो जाती हैं। क्योंकि इस पानी के निकासी का सही इंतजाम नहीं हैं। इसी वजह से महानगरों के कुछ इलाके पूरी तरह तालाब बन जाते हैं क्योंकि वहां का ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह चरमराया हुआ है और पानी की निकासी के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। हिदायत/ईएमएस 25जून25