कोड ऑफ कंडक्ट का पालन नहीं कर रहे जज नई दिल्ली (ईएमएस)। सरकारी आवास पर भारी मात्रा में अधजली नकदी मिलने के मामले में फंसे हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा का मामला मंगलवार को संसद की स्थायी समिति की बैठक में भी उठा। समिति के सदस्यों ने पूछा कि मामले में कोई एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई। सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि चर्चा के दौरान समिति के सदस्यों ने वीरस्वामी मामले की समीक्षा का सुझाव दिया। इसके अलावा समिति ने जजों के लिए आचार संहिता बनाने और सेवानिवृत्ति के बाद कोई पद लेने के लिए कूलिंग-ऑफ अवधि के बारे में भी सुझाव दिया। संसदीय समिति ने यह चर्चा उस समय की है, जब अगले महीने संसद के मॉनूसन सत्र में जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी हो रही है। राज्यसभा की इस समिति के अध्यक्ष भाजपा सांसद बृजलाल हैं और इसमें भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई (जो एक मनोनीत सांसद हैं), पूर्व कानून राज्य मंत्री पी पी चौधरी, तृणमूल कांग्रेस सांसद सुखेंदु शेखर राय और कल्याण बनर्जी, कांग्रेस के विवेक तन्खा और द्रमुक के पी विल्सन तथा ए राजा प्रमुख सदस्य हैं। कुछ सदस्यों ने जजों के लिए बने 16 पॉइंट के कोड ऑफ कंडक्ट का पालन न होने पर भी सवाल पूछे। यह कोड ऑफ कंडक्ट सुप्रीम कोर्ट ने ही 1997 में लागू किया था। सांसदों ने कहा कि जजों के लिए यह कोड ऑफ कंडक्ट सिर्फ कागजों में ही है। इसके 2023 में सिफारिश की गई थी कि जजों को अपनी संपत्ति घोषित करनी चाहिए, लेकिन इसका पालन भी अधूरा ही है। आशीष दुबे / 25 जून 2025