लेख
27-Jun-2025
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मानव कभी पत्थर रगड़ कर आग जलाता था और भून कर भोजन खाता था, वह वस्त्रों के स्थान पर पत्ते लपेट कर रहता था। कभी मानव जंगल में रहता था और जानवरों की तरह ही जीवन जीता था लेकिन, मानव ने अपने बुद्धि कौशल से अप्रत्याशित विकास किया है, वह आज दूसरों ग्रहों पर पहुंच गया है और वहां बसने के विकल्प खोज रहा है लेकिन, इस युग में भी धर्म, जाति और भोजन को लेकर आये दिन विवाद होते रहते हैं। उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में भागवत कथा कहने वालों को जाति को लेकर अपमानित किया गया, इसी तरह ओडिशा के बारगढ़ जिले में युवती द्वारा अंतर्जातीय विवाह कर लेने पर, उसके पूरे परिवार को शुद्धिकरण करने के नाम पर अपमानित किया गया, जबकि ओडिशा सरकार अंतर्जातीय विवाह को प्रत्साहित करने के उद्देश्य से योजना संचालित कर रही है, इस स्टोरी में बीपी गौतम इटावा और बारगढ़ जिले की घटनाओं पर ही प्रकाश डाल रहे हैं... यादव होने पर मुड़वा दिये सिर उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में महेवा क्षेत्र के गांव दांदरपुर में शनिवार रात ग्रामीणों ने भगवताचार्य मुकट मणी (मुक्त सिंह) व उनके सहयोगियों को पीटा, भगवताचार्य का सिर मुड़वाकर चोटी काट दी, नाक रगड़वाकर, गांव के लोगों के पैर छुआकर माफी मंगवाई एवं बाइक की हवा निकालकर दोबारा पंप से हवा भरवाई, इस घटना का वीडियो सोशल साइट्स पर वायरल होने के बाद हड़कंप मच गया। बताते हैं कि ग्रामीणों ने श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन कराया था, जिसके लिये भगवताचार्य मुकट मणी (मुक्त सिंह) निवासी गांव थाना सिविल लाइन को बुलाया गया था, साथ में सहयोगी संत सिंह यादव निवासी कानपुर देहात और श्याम सिंह कठेरिया निवासी अछल्दा पहुंचे थे। सुबह कलश यात्रा होने के बाद देर शाम पाठ समाप्त हो गया, इस बीच ही गांव में भगवताचार्य के ब्राह्मण न होने की चर्चा शुरू हो गई, जिसकी पूछताछ करने पर पुष्टि की गई, इसके बाद ग्रामीण आक्रोशित हो उठे, फिर तीनों के साथ बर्बरता की गई। मुकट मणी ने आरोप लगाया कि उनसे 25 हजार रुपये, एक चेन और अंगूठी भी लूट ली। भगवताचार्य के पास मिले दो आधार कार्ड घटना के बाद पता चला कि ग्रामीणों ने भगवताचार्य मुकट मणी के पास दो अलग-अलग आधार कार्ड पकड़े थे। एक आधार कार्ड पर मुकट मणी अग्निहोत्री लिखा हुआ है, जिस पर पता ब्लॉक चौराहा, महेवा रोड अछल्दा औरैया लिखा है, जबकि एसएसपी से मिलने पहुंचे मुकट मणी ने अपना एक और आधार कार्ड पत्रकारों को दिखाया, इसमें उसका नाम मुक्त सिंह निवासी गांव नग्ला मोतीराम, पोस्ट निवाड़ीकलां, कुशगंवा अहिरन जिला इटावा लिखा हुआ है। पुलिस की जांच में भगवताचार्य का असली पता शहर के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के जवाहरपुर का निकला है, इस पते का किसी भी आधार कार्ड में जिक्र नहीं है, दोनों आधार कार्ड पर एक ही नंबर है। भगवताचार्य ने आरोप लगाया है कि बचाव के लिये ग्रामीणों ने उनका एक फर्जी आधार कार्ड बनवाकर पुलिस को सौंप दिया है, जबकि गांव के लोगों ने बताया कि पूछताछ करने पर आरोपित ने अपने आधार कार्ड दिये थे। ग्रामीणों ने बताया कि बाबा लगातार भ्रमित करने के लिये स्वयं को मथुरा और वृंदावन का बता रहा था, इसने स्वयं को ब्राह्मण भी बताया था लेकिन, शनिवार को कथा में आये इसके गांव के ही एक ग्रामीण ने यादव होने की जानकारी दी थी। अखिलेश ने दी आंदोलन करने की चेतावनी समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा कि इटावा के बकेवर इलाके के दांदरपुर गांव में भागवत कथा के दौरान कथावाचक और उनके सहायकों की जाति पूछी गई। पीडीए की एक जाति बताने पर, कुछ वर्चस्ववादी और प्रभुत्ववादी लोगों ने उनके साथ अभद्र व्यवहार करते हुये बाल कटवाये। हमारा संविधान जातिगत भेदभाव की अनुमति नहीं देता है। सभी आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी हो। अगर आगामी तीन दिनों में कड़ी कार्रवाई नहीं हुई तो, आंदोलन का आह्वान कर देंगे। पीडीए के मान से बढ़कर कुछ नहीं। परीक्षित ने कथा वाचक से मांगी माफी परीक्षित जयप्रकाश तिवारी का कहना है कि वह घटना के समय वह मौजूद नहीं थे। जानकारी होने पर वह वहां पहुंचे और कथा वाचक से क्षमा मांगी थी, उनके पास से दो आधार कार्ड मिले, जिसमें एक पर उनका नाम मुकट मणि अग्निहोत्री लिखा था, जबकि दूसरे आधार कार्ड पर दूसरा नाम लिखा था, जिससे लोग भड़क गये। मंगलवार को नया मोड़ आ गया। भागवत कथा के आयोजक और परीक्षित ने कथावाचक और उनके सहयोगियों पर पत्नी से छेड़छाड़ का आरोप लगाया। आरोप लगाया कि घर पर भोजन के लिये आये कथावाचक ने पत्नी का हाथ पकड़ा और गलत ढंग से छुआ। विरोध करने पर आरोपितों ने धमकी दी कि वह सपा अध्यक्ष के रिश्तेदार हैं। एसएसपी से मिली ब्राह्मण महासभा ब्राह्मण महासभा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण दुबे ने प्रेसवार्ता कर समाज की महिला से छेड़छाड़ करने वाले कथावाचक सहित उनके साथियों के ऊपर मुकदमा दर्ज न किये जाने पर आंदोलन की चेतावनी दे दी है। परीक्षित ने ब्राह्मण महासभा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण दुबे के साथ एसएसपी बृजेश कुमार श्रीवास्तव से मिलकर कार्रवाई की मांग की है। एसएसपी कार्यालय के बाहर ब्राह्मण एकता को लेकर नारेबाजी भी की गई। एसएसपी ने कहा कि मामले की जांच कराई जायेगी, उसके बाद कार्रवाई होगी। एसपी के आदेश पर रिपोर्ट दर्ज, चार गिरफ्तार वीडियो वायरल होने के बाद एसएसपी ने कहा था कि बकेवर थाना क्षेत्र के दांदरपुर से एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें भागवत कथा के बाद ग्रामीणों ने दो व्यक्तियों के साथ अभद्रता की और उनके बाल काट दिये हैं, इस वायरल वीडियो का तत्काल संज्ञान लिया गया है। मामले का संज्ञान लेकर वीडियो के आधार पर पीड़ित की पहचान की गई है, इस मामले में पीड़ित की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। पीड़ित मुकट मणी सोमवार को समाजवादी पार्टी के सांसद जितेंद्र दोहरे, भरथना विधायक राघवेंद्र गौतम और जिलाध्यक्ष प्रदीप शाक्य के साथ एसएसपी से मिलने पहुंचे। एसएसपी के आदेश पर अतुल डीलर और पप्पू बाबा के साथ ही 50 अज्ञात लोगों के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज हो गई। पुलिस ने चोटी काटने वाले निक्की अवस्थी (30), उत्तम अवस्थी (18), आशीष तिवारी (21), प्रथम दुबे उर्फ मनु दुबे (24) को गिरफ्तार भी कर लिया। एसएसपी बृजेश कुमार श्रीवास्तव के अनुसार चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सभी पहलुओं पर जांच कराई जा रही है। सभी के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जायेगी। प्रभुत्ववादी और वर्चस्ववादी पीडीए को डरा रहे: अखिलेश समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि प्रभुत्ववादी और वर्चस्ववादी लोग लगातार पीडीए परिवार के लोगों को डरा-धमका रहे हैं। इटावा में पीडीए समाज के कथावाचकों को रातभर पीटा गया। हरमोनियम, पैसा और चेन सब छीन लिया गया। सरकार के संरक्षण के कारण पीडीए के लोगों का सिर मुड़वाया गया। उन्होंने कहा कि यह सब इसलिये हो रहा है, क्योंकि प्रदेश में सिर्फ 2500 लोग हैं, जो प्रदेश को चला रहे है। लखनऊ में समाजवादी पार्टी के मुख्यालय पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में अखिलेश यादव ने कहा कि कथावाचन को जिन्होंने व्यवसाय बना लिया, उन्हीं के कारण इटावा में कथावाचन के अपमान की घटना हुई है। अगर पीडीए समाज से इतना ही परहेज है तो, वर्चस्ववादी लोग घोषित कर दें कि पीडीए परिवार की दक्षिणा कभी स्वीकार नहीं करेंगे। जिस तरह से दावा करते हैं कि धारा- 370 खत्म की, उसी तरह से देश में कानून लेकर आयें कि कथा वाचन का काम वर्चस्ववादी ही कर सकते हैं और कोई नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि प्रभुत्ववादी लोग कभी घर को और कभी मंदिर को गंगाजल से धुलवाकर पीडीए समाज को अपमानित करते हैं। कथावाचकों पर हमला कर वर्चस्ववादी लोग अब तो सीमा लांघ गये हैं, उन पर पेशाब करा रहे हैं और पिटाई कर रहे है। भाजपा राज में पीडीए समाज को हेय दृष्टि से देखा जाता है। देश की सर्वोच्च कुर्सी पर बैठी देश की राष्ट्रपति के साथ भी कभी अपमान हुआ था। भाजपा सरकार में अन्याय, अत्याचार की घटनायें कोई एक-दो नहीं अनगिनत हैं। कथावाचकों को अखिलेश यादव ने किया सम्मानित इटावा में हुई घटना के कथावाचकों को समाजवादी पार्टी के मुख्यालय में अखिलेश यादव द्वारा शॉल ओड़ा कर सम्मानित किया गया। जिसकी ढोलक छीनी गई, उसे अखिलेश यादव ने ढोलक दी, साथ ही तीनों लोगों को 51-51 हजार रुपये देकर सम्मानित किया गया। तेजस्वी ने दी तीखी प्रतिक्रिया बिहार भी पहुंच गया मुद्दा। पटना में तेजस्वी यादव ने बिहार सरकार के पूर्व मंत्री रेणु कुशवाहा के आरजेडी में शामिल होने के मौके पर कहा कि एक ही जाति के लोग कथावाचक क्यों होते हैं? क्या दलित और पिछड़े हिंदू नहीं हैं? क्या सिर्फ सवर्ण ही कथावाचक बन सकते हैं?’ तेजस्वी ने कहा कि अगर बिहार में आरजेडी की सरकार बनती है तो, इटावा की तरह किसी भी दलित और पिछड़ा कथावाचक के साथ मारपीट या, सिर बिहार में नहीं मुंडवाना पड़ेगा। तेजस्वी ने कहा कि हर व्यक्ति को भगवान की कथा कहने का हक है और बीजेपी की चुप्पी इस मुद्दे पर उनकी मंशा जाहिर करती है। तेजस्वी यादव ने बिहार की नीतीश सरकार को गोडसे के पुजारी करार दिया और दलित-पिछड़ों के साथ भेदभाव का आरोप लगाया। तेजस्वी ने कहा कि सत्ता में बैठे लोग गोडसे के पुजारी हैं। अगर, वे गोडसे को नहीं मानते तो, खुलकर गोडसे मुर्दाबाद बोलें। उन्होंने उत्तर प्रदेश के इटावा और ओडिशा में दलित कथावाचकों के साथ मारपीट की घटनाओं पर सवाल उठाया कि क्या दलित और पिछड़े हिंदू नहीं हैं? क्या सिर्फ सवर्ण ही कथावाचक बन सकते हैं?’ उन्होंने भाजपा पर दोहरा चरित्र अपनाने और समाज में भेदभाव को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। जातीय संघर्ष पर त्वरित कार्रवाई करें लखनऊ में आगामी त्योहारों को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार देर शाम शासन स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की, जिसमें पुलिस आयुक्तों, मंडलायुक्तों, जिलाधिकारियों और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों के साथ संवाद हुआ। उन्होंने निर्देश दिया कि सभी आयोजन श्रद्धा, सुरक्षा और समरसता के साथ सम्पन्न कराये जाने चाहिये, इसके लिये प्रशासनिक मशीनरी को पूरी संवेदनशीलता और सतर्कता के साथ कार्य करना होगा। बैठक में मुख्यमंत्री ने एक अत्यंत संवेदनशील विषय जातीय संघर्ष की साजिशों पर स्पष्ट तौर पर कहा कि विगत कुछ समय से कुछ अराजक तत्व प्रदेश में जातीय विद्वेष फैलाने का षड्यंत्र कर रहे हैं। कौशांबी, इटावा और औरैया जैसी घटनायें इसकी पुष्टि करती हैं, उन्होंने दो टूक चेतावनी देते हुये कहा कि ऐसी कुत्सित कोशिशें प्रदेशहित के विरुद्ध हैं और किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं होंगी, इन साजिशों का तत्काल पर्दाफाश करें, दोषियों की पहचान सार्वजनिक करें और उनके विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई करें। मुख्यमंत्री ने प्रशासन को यह भी निर्देश दिया कि कार्रवाई के लिये शासन से आदेश की प्रतीक्षा कतई न करें, तत्परता से और कानून सम्मत कार्रवाई करें। जनशिकायतों के निस्तारण को लेकर मुख्यमंत्री ने सीएम हेल्पलाइन और आईजीआरएस पोर्टल पर प्राप्त आवेदनों की समीक्षा करते हुए कहा कि कुछ जिलों में निस्तारण की स्थिति संतोषजनक नहीं है, ऐसे जिलों को तत्काल अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाना होगा, अन्यथा उत्तरदायित्व तय किया जायेगा। अंतर्जातीय विवाह करने पर किया परिवार का शुद्धिकरण ओडिशा के रायगढ़ जिले में एक ट्राइबल (अनुसूचित जनजाति) समुदाय की युवती ने दूसरी जाति के युवक से प्रेम विवाह कर लिया, जिसको लेकर उसके परिवार के 40 सदस्यों को सामाजिक दंड के अंतर्गत सिर मुंडवाने की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा। स्तब्ध कर देने वाली घटना काशीपुर प्रखंड के गांव बैगनागुड़ा की है। युवती ने अपने परिवार की इच्छा के विरुद्ध जाकर अनुसूचित जाति के युवक से विवाह कर लिया, जिससे ग्रामीण नाराज हो गये। गांव वालों का मानना था कि लड़की के परिवार को जाति में बने रहने के लिये शुद्धिकरण कराना आवश्यक था। प्रक्रिया में बकरा, मुर्गी और सूअर की बलि देने के साथ सिर मुंडवाने की भी मांग की गई, जिसके बाद लड़की के पूरे परिवार का शुद्धिकरण किया गया। 11 जून को लड़की के परिवार के साथ गांव के 40 पड़ोसी और रिश्तेदारों का सिर मुंडवाकर शुद्धिकरण किया गया था, इस पूरी प्रक्रिया का खर्च लड़की के परिवार ने उठाया। काशीपुर के बीडीओ विजय ने घटना की जांच के आदेश दिये हैं। अंतर्जातीय विवाह को प्रोत्साहित करती है ओडिशा सरकार ओडिशा सरकार एक योजना संचालित करती है, जिसके अंतर्गत अंतर्जातीय विवाह करने वाले जोड़ों को घर बसाने के लिये प्रोत्साहन दिया जाता है, जिसके लिये सरकार 2.5 लाख रुपये की वित्तीय सहायता देती है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने सुमंगल पोर्टल नाम से एक वेबसाइट भी लॉन्च की थी, इस योजना का उद्देश्य सामाजिक एकीकरण को बढ़ावा देना और अस्पृश्यता को समाप्त करना है। जनता उच्च जाति की श्रेष्ठता को परास्त कर सकेगी और अस्पृश्यता का एक भी अंश बचे बिना आगे बढ़ सकेगी। अधिक से अधिक लोगों को अंतर्जातीय विवाह करने के लिये प्रोत्साहित करने के लिये अन्य सभी प्रक्रियाओं के अलावा लोगों को नकद प्रोत्साहन दिया जायेगा। दूसरी या, उसके बाद की शादी पर कोई बोनस नहीं मिलता है। अंतर्जातीय विवाह करने पर नहीं करने दिया अंतिम संस्कार ओडिशा के बारगढ़ जिले में एक परिवार को एक ऐसे व्यक्ति का अंतिम संस्कार करने की अनुमति नहीं दी गई, जिसने एक अलग जाति की महिला से विवाह किया था, इसी तरह सात साल पहले भूपदेवपुर थाना क्षेत्र के गांव कोड़ातराई में अंतर्जातीय विवाह करने वाली 47 वर्षीय महिला की मौत के बाद 36 घंटे तक शव घर में ही पड़ा रहा था। समाज के किसी व्यक्ति ने उसके शव को हाथ नहीं लगाया। दुर्गंध फैलने के डर से स्वीपरों को बुलवाया और फिर महिला का अंतिम संस्कार किया गया था। मेहतरीन बाई महंत की शादी पहले महंत समाज में हुई थी। शादी कुछ वर्षों बाद मेहतरीन बाई को बेटा और बेटी हुई, इसके बाद उसने अपने पति और बच्चों को छोड़ दिया, फिर गांव के विधि सिदार नामक युवक से प्रेम विवाह कर लिया था और उसके साथ रहने लगी थी। बीमारी के चलते उसका निधन हो गया तो, शव का भी अपमान किया गया था। जनजागरण से ही बदल सकती है सोच जातीय टकराव ऊंची जाति और नीची जाति में होता तो, इससे निपटने में कानून पर्याप्त था लेकिन, यह विवाद प्रत्येक वर्ण समूह के अंदर भी है। सवर्ण या, पिछड़े वर्ग के लोग दलितों या, जनजातियों पर अत्याचार करते हैं तो, इसके लिये बेहद कड़े कानून हैं लेकिन, यह विवाद ऊंच-नीच वाला नहीं है, यह विवाद जातीय जड़ता का है, इसीलिये ठाकुरों और ब्राह्मणों, यादवों और जाटवों, जाटों और गुर्जरों के बीच भी टकराव होता रहता है। धर्म भोजन और विवाह को लेकर आज भी जातियां बेहद कट्टर दिखाई दे रही हैं। अंतर्जातीय विवाह ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी अस्वीकार है। धर्म को लेकर भी कट्टरता दिखाई देती है। पुरोहित, महंत, संत और कथावाचक ब्राह्मण ही स्वीकार्य हैं, अन्य जाति के व्यक्ति को, उतना सम्मान नहीं मिलता, इस सोच को कानून से नहीं बदला जा सकता, इसके लिये बड़े स्तर पर जनजागरण अभियान चलाने होंगे। शिक्षित वर्ग को आगे आकर अपनी भूमिका निभाना होगी वरना, आधी सोच पुरा-पाषण युग वाली और आधी सोच किसी अन्य ग्रह पर बसने वाली रहेगी तो, मानव धरती की ही तरह अन्य ग्रहों पर बसने के बाद बेहद घटिया समाज की ही स्थापना करेगा। (लेखक, दिल्ली से प्रकाशित हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र के संपादक हैं) (यह लेखक के व्य‎‎‎क्तिगत ‎विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अ‎निवार्य नहीं है) ईएमएस / 27 जून 25