ज़रा हटके
28-Jun-2025
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लंदन (ईएमएस)। स्वीडन की यूनिवर्सिटी ऑफ गोथेनबर्ग और जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ लाइपज़िग के वैज्ञानिकों ने रिसाइकल किए गए प्लास्टिक को लेकर जो अध्ययन किया है, उसके नतीजे चौंकाने वाले हैं। इस शोध में बताया गया है कि रिसाइकल किए गए पॉलीइथिलीन प्लास्टिक के एक छोटे से पेलेट में भी 80 से अधिक प्रकार के रसायन मौजूद होते हैं। वैज्ञानिकों ने इन पेलेट्स को 48 घंटे तक पानी में डुबोकर रखा और फिर उस पानी में जेब्राफिश के लार्वा पांच दिनों तक रखे। इस प्रयोग के बाद मछलियों के शरीर में हार्मोन नियंत्रण, वसा निर्माण और मेटाबॉलिज्म से जुड़े जीन की गतिविधियों में गंभीर बदलाव देखे गए। शोध की प्रमुख वैज्ञानिक अजोरा कोनिग कार्डगर ने बताया कि इतनी कम अवधि में ही जैविक गतिविधियों में इतना बड़ा बदलाव यह साबित करता है कि रिसाइकल प्लास्टिक में मौजूद रसायन कितने खतरनाक हो सकते हैं। यह खतरा केवल जलीय जीवों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पहले के अध्ययनों में यह भी सामने आया है कि ये रसायन इंसानों को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं। रिसर्च में बताया गया है कि इन रसायनों के कारण प्रजनन क्षमता में गिरावट, मोटापा, मधुमेह और कैंसर जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि प्लास्टिक रीसाइक्लिंग की सबसे बड़ी चुनौती यही है कि यह सुनिश्चित नहीं किया जा सकता कि उसमें कौन-कौन से रसायन मौजूद हैं। कई बार अलग-अलग रसायन आपस में मिलकर नए, और अधिक जहरीले यौगिक बना सकते हैं, जिससे स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। इस बीच, प्लास्टिक प्रदूषण को लेकर दुनिया भर में चिंता बढ़ रही है और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के तहत अगस्त में जिनेवा में एक वैश्विक प्लास्टिक संधि को अंतिम रूप देने के लिए देशों के प्रतिनिधि एक अहम बैठक करने वाले हैं। इस बैठक में प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने और सुरक्षित रीसाइक्लिंग प्रक्रिया तय करने पर ज़ोर दिया जाएगा। बता दें कि हम अपने रोजमर्रा के जीवन में प्लास्टिक का उपयोग लगभग हर रूप में करते हैं और जब बात रिसाइकल प्लास्टिक की होती है तो इसे पर्यावरण के लिहाज से बेहतर विकल्प माना जाता है। सुदामा/ईएमएस 28 जून 2025