संघ प्रमुख बोले-हिंदू समुदाय ने विश्व को एकता के सूत्र में बांधने की जिम्मेदारी ली नई दिल्ली,(ईएमएस)। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने समाज में स्नेह और करुणा को बढ़ावा देते हुए कहा कि ऐसे दौर में जब सामाजिक स्नेह कम होता जा रहा है, आरएसएस इन मूल्यों को फिर से स्थापित करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है। भागवत ने ये टिप्पणी एक पुस्तक के विमोचन कायर्क्रम के दौरान की। भागवत ने शुक्रवार को कहा कि आरएसएस का मिशन यह तय करना है कि संपूर्ण हिंदू समाज अपनापन और स्नेह की भावना से एक सूत्र में बंधा रहे। उन्होंने कहा कि पशुओं के विपरीत मनुष्य के पास बुद्धि होती है। बुद्धि के विवेकपूर्ण इस्तेमाल से वह और भी बेहतर बन सकता है, लेकिन उसी बुद्धि का गलत तरीके से इस्तेमाल करने से वह और भी बुरा बन सकता है। एकमात्र चीज जो उसे बुरा बनने से रोकती है, वह है स्नेह और अपनापन की भावना। उन्होंने कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं कि लोग स्वार्थी हो जाने पर बुराई की ओर झुक जाते हैं। वहीं, अगर कोई व्यक्ति स्नेह और करुणा की ओर झुक जाता है, तो वह ईश्वरीय स्वरूप प्राप्त कर लेता है और खडीवाले की जीवन यात्रा इसकी एक बानगी है। भागवत ने कहा कि संघ समाज को अपनेपन, स्नेह और करुणा की भावना की याद दिलाने की दिशा में काम करता है, जिसे वर्तमान समय में भुला दिया गया है। उन्होंने कहा कि संघ व्यक्ति को सिखाता है कि यदि कोई आपके प्रति अपनेपन की भावना दिखा रहा है, तो आपको भी उसके प्रति वैसा ही स्नेह और करुणा रखनी चाहिए। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि हिंदू समुदाय ने पूरे विश्व को एकता की भावना के सूत्र में बांधने की जिम्मेदारी ली है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी में ‘गिविंग बैक’ शब्द हाल ही में प्रचलन में आया है, लेकिन भारत में यह भावना काफी समय से मौजूद है। सिराज/ईएमएस 28जून25 -------------------------------