मुनि सुधा सागर जी ने धर्मसभा में कहा, पंचकल्याणक आत्मकल्याण की ओर ले जाने वाला पर्व गुना (ईएमएस)। धर्म नगरी राघौगढ़ में 150 वर्षों बाद आयोजित पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का शुभारंभ भव्य घटयात्रा और मंगल प्रवचनों के साथ हुआ। श्री पाश्र्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर से प्रात: विशाल शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें दो पालकियों में भगवान विराजमान थे और सहस्रफली प्रतिमा आकर्षण का केंद्र रही। शोभायात्रा में मुनिश्री सुधा सागर जी महाराज, विशद सागर जी एवं शिवसागर जी की पावन उपस्थिति रही, वहीं बग्गियों में पंचकल्याणक के प्रमुख पात्र विराजमान थे। धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि सुधा सागर जी महाराज ने कहा कि राघौगढ़ नगर सौभाग्यशाली है, जहां 150 वर्षों बाद पंचकल्याणक हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि भगवान का जन्म और मोक्ष एक ही बार होता है, किंतु उनके गुणों का स्मरण और गुणगान हम बार-बार करते हैं। पंचकल्याणक न केवल धार्मिक पर्व है, बल्कि आत्मकल्याण की ओर ले जाने वाली प्रेरणा का माध्यम है। मुनिश्री की प्रेरणा से सुधा सागर धाम पर चौबीसी जिनालय निर्माण का संकल्प लिया गया है। जिनमें से 12 जिनालयों के पुण्यार्जकों की घोषणा भी की गई। दोपहर में प्रतिष्ठाचार्य प्रदीप भैया के निर्देशन में पात्र शुद्धि, सकलीकरण एवं याज्ञ मंडल विधान संपन्न हुए। रात्रि में 7 बजे आरती व शास्त्र प्रवचन का आयोजन किया गया। इसके बाद रात्रि 8 बजे से सौंधर्म इन्द्र सभा, तत्व चर्चा, धनपति कुबेर द्वारा रत्नवृष्टि, अष्टकुमारियों द्वारा माता की सेवा तथा सोलह स्वप्न दर्शन की दिव्य झांकी प्रस्तुत की गई, जिससे पूरा वातावरण आध्यात्मिकता से ओतप्रोत हो उठा। राघौगढ़ का यह पंचकल्याणक महोत्सव नगर में ऐतिहासिक धार्मिक चेतना का प्रतीक बनकर सामने आया है। - सीताराम नाटानी (ईएमएस)