चुनावी माहौल में सार्वजनिक सक्रियता ने सियासी गलियारों का बाजार किया गर्म पटना,(ईएमएस)। बिहार के सीएम नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार सार्वजनिक जीवन से दूरी बनाए रखते हैं। हालांकि अब वह धीरे-धीरे सियासी मंच पर अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं। शनिवार को बख्तियारपुर में नवनिर्मित रिवरफ्रंट और घाट के उद्घाटन के मौके पर निशांत अपने पिता के साथ नजर आए। इस आयोजन ने न केवल बख्तियारपुर के लिए एक नई सौगात दी, बल्कि निशांत की बढ़ती सार्वजनिक सक्रियता ने सियासी गलियारों में बाजार गर्म कर दिया है। लोग चर्चा कर रहे हैं क्या निशांत, जो अब तक शादी-ब्याह जैसे पारिवारिक आयोजनों तक सीमित थे, अब राजनीति में अपनी पारी शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं? यह सवाल जनता दल (यूनाइटेड) (जेडीयू) के कार्यकर्ताओं से लेकर विपक्षी दलों तक के बीच चर्चा का विषय बन गया है। बख्तियारपुर नीतीश कुमार की जन्मस्थली और सियासी कर्मभूमि है। 28 जून को नीतीश और निशांत ने यहां गंगा किनारे नवनिर्मित रिवरफ्रंट और सीढ़ी घाट का उद्घाटन किया था। इस मौके पर नीतीश ने क्षेत्र के विकास कार्यों की सराहना की और कहा कि बख्तियारपुर का यह रिवरफ्रंट न केवल स्थानीय लोगों के लिए सुविधा लाएगा, बल्कि पर्यटन और धार्मिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देगा। उन्होंने गंगा आरती में भी हिस्सा लिया, जिसने इस आयोजन को और भव्य बनाया है। वहीं निशांत ने कहा कि बख्तियारपुर मेरा, मेरे पिता और दादा-दादी का घर है। मैं यहीं पला-बढ़ा हूं और मेरी बचपन की कई यादें इससे जुड़ी हैं। निशांत की यह बात और अपने पिता के साथ मंच साझा करना सियासी हलकों में चर्चा का विषय बन गई। 49 साल के निशांत कुमार बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीआईटी), मेसरा से सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग हैं। वह अब तक राजनीति से दूरी बनाए ही रखते थे। नीतीश कुमार भी हमेशा परिवारवाद की आलोचना करते रहे हैं। हालांकि, 2025 की शुरुआत से निशांत की सार्वजनिक उपस्थिति बढ़ने लगी। जनवरी 2025 में, बख्तियारपुर में स्वतंत्रता सेनानियों की मूर्तियों के अनावरण के दौरान निशांत ने पहली बार सार्वजनिक रूप से अपने पिता और जेडीयू के लिए वोट मांगने की अपील की थी। नीतीश कुमार 2005 से ही लगातार बिहार के सीएम हैं। वह अब 74 साल के हैं और उनके स्वास्थ्य को लेकर अटकलें लगती रहती हैं। बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, और जेडीयू के सामने अपने भविष्य को सुरक्षित करने की चुनौती है। नीतीश की अनुपस्थिति में पार्टी में नेतृत्व का संकट पैदा हो सकता है, क्योंकि वर्तमान में पार्टी में कोई दूसरा बड़ा ओबीसी नेता नहीं है जो नीतीश की जगह ले सके। जेडीयू के एक नेता ने कहा कि नीतीश 18-22 फीसदी वोटों का आधार रखते हैं, जिसमें अति पिछड़ा वर्ग, लव-कुश, महिलाएं और दलित शामिल हैं। निशांत ही वह चेहरा हो सकते हैं जो इस आधार को एकजुट रख सकें। सिराज/ईएमएस 29जून25 ----------------------------