मुंबई, (ईएमएस)। स्मार्टफोन ने जीवन को आसान बना दिया है। चाहे किराने का सामान हो या भोजन, सब कुछ आप अपने घर बैठे स्मार्टफोन के जरिए कुछ ही मिनटों में ऑर्डर कर सकते हैं। अब अनेक वित्तीय लेन-देन ऑनलाइन किये जाते हैं। लेकिन जिस तरह स्मार्टफोन एक वरदान है, उसी तरह यह अक्सर एक अभिशाप भी लगता है। जी हाँ, मुंबई में एक बुजुर्ग महिला के साथ कुछ ऐसा ही हुआ। खबर है कि सायबर ठगों ने वृद्ध महिला से 2 करोड़ 89 लाख रुपए की ठगी कर ली। प्राप्त जानकारी के अनुसार, मुंबई के पश्चिमी उपनगर की एक 70 वर्षीय महिला इस डिजिटल घोटाले का शिकार हुई है। यह महिला डॉक्टर है और उन्हें डिजिटल अरेस्ट के जाल में फंसाकर सायबर ठगों द्वारा 2 करोड़ 89 लाख रुपये की ठगी की गई है। यह घटना 28 मई से 5 जून के बीच हुई। साइबर पुलिस ने इस संबंध में मामला दर्ज कर लिया है और आगे की जांच कर रही है। बताया गया है कि ठगी का शिकार हुई महिला डॉक्टर को 28 मई को अमित कुमार नाम के एक शख्स का फोन आया। उसने खुद को दूरसंचार विभाग का अधिकारी बताते हुए कहा कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल कर एक नया सिम हासिल कर लिया गया है और उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इसके बाद आईपीएस अधिकारी समाधान पवार का व्हाट्सएप पर कॉल आने का नाटक कर उन पर नरेश गोयल के मनी लॉन्ड्रिंग केस में शामिल होने का आरोप लगाया गया। इसके बाद पुलिस वर्दी में त्यागी नामक एक व्यक्ति ने वीडियो कॉल के जरिए उनसे संपर्क किया और कहा कि, आप हमारी निगरानी में हैं और उन्हें हर घंटे रिपोर्ट करने का निर्देश दिया। अंत में डॉक्टर से कुल 2 करोड़ 89 लाख रुपए यह कहकर ऐंठ लिए गए कि सारा पैसा जांच के लिए अलग खाते में ट्रांसफर कर दिया जाए और जांच पूरी होने के बाद वापस कर दिया जाएगा। जैसे ही महिला ने खाते में पैसा जमा किया, वे सभी लोग गायब हो गए। आख़िरकार महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने अब तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर इस मामले की जांच शुरू कर दी है। * क्या है डिजिटल गिरफ्तारी ? धोखेबाज़ खुद को सरकारी अधिकारी या पुलिस अधिकारी बताते हैं और ये कहते हैं कि वे 24 घंटे उन पर नज़र रखते हैं। इसके लिए उन्हें वर्दी पहनकर वीडियो कॉल करने, धमकी देने और वीडियो कॉल पर कुछ खास बातें करने के लिए मजबूर किया जाता है। इसके बाद उनसे एक निश्चित राशि जमा करने को कहा जाता है और कहा जाता है कि वित्तीय जांच की आवश्यकता है। ऐसा न करने पर पुलिस कार्रवाई या कानूनी कार्रवाई की धमकी दी जाती है। एक बार पैसा ट्रांसफर हो जाने के बाद इन लोगों के फोन बंद हो जाते हैं। इस तरह, जब तक आपको यह एहसास होता है कि हमारे साथ धोखा हुआ है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। आपको बता दें कि कभी भी सीबीआई, ईडी, आयकर अधिकारी, साथ ही पुलिस जैसी सरकारी एजेंसियों के अधिकारी वीडियो कॉल या फोन कॉल पर इस तरह से सत्यापन नहीं करते हैं। हालांकि पुलिस अक्सर जन जागरूकता अभियान के तहत इस बारे में जानकारी देती है, फिर भी कई लोग सायबर ठगी के शिकार हो जाते हैं। संजय/संतोष झा- ३० जून/२०२५/ईएमएस