बेंगलुरु (ईएमएस)। यहां के चिन्नास्वामी स्टेडियम में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) की जीत के बाद हुई भगदड़ के मामले में जांच ट्रिब्यूनल ने आरसीबी प्रबंधन को ही जिम्मेदार बताया है। ट्रिब्यूनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस मामले में पुलिस प्रशासन को दोष नहीं दिया जा सकता है क्योंकि ये कार्यक्रम अचानक ही आयेजित किया और पुलिस से इसकी पहले से अनुमति नहीं ली गयी थी। इस भगदड़ में 11 लोगों की मौत हुई थी। आदेश में साफ तौर पर कहा गया कि आरसीबी ने पुलिस प्रशंसान को जानकारी दिये बिना ही जश्न की जानकारी अचानक सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी थी। ट्रिब्यूनल ने कहा है कि पुलिसकर्मी भी इंसान हैं और अचानक बिगड़े हालात को सुधारने के लिए उनके पास कोई जादू नहीं है। ट्रिब्यूनल के इस फैसले से आरसीबी के साथ ही राज्य सरकार को भी करारा झटका लगा है। ट्रिब्यूनल ने कहा कि आरसीबी ने सोशल मीडिया पर बिना पुलिस की अनुमति के ही विजय जुलूस का आमंत्रण भेज दिया था जिससे प्रश्ंसक लाखों की तादाद में पहुंच गये जिसे संभालने में पुलिस असमर्थ थी। पुलिस के पास सुरक्षा इंतज़ाम के लिए पर्याप्त समय ही नहीं था। पुलिस अचानक ही सब कुछ ठीक किस प्रकार कर सकती है। ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा, पुलिसकर्मी भी इंसान हैं, न तो भगवान और न ही जादूगर। उनके पास अलादीन का चिराग नहीं है, जिससे वे एक झटके में सारी व्यवस्थाएं कर दें। इसी मामले में निलंबित किए गए आईपीएल अधिकारी विकास कुमार को भी इस फैसले से राहत मिली है। ट्रिब्यूनल ने उनके निलंबन को रद्द करते हुए कहा कि उनकी निलंबन अवधि को सेवा का हिस्सा माना जाए। विकास भगदड़ के समय वेस्ट जोन के एडीशनल कमिश्नर और चिन्नास्वामी स्टेडियम के प्रभारी थे।ट्रिब्यूनल ने साथ ही कर्नाटक सरकार से कहा है कि वह अन्य दो वरिष्ठ अधिकारियों बेंगलुरु के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर बी दयानंद और डीसीपी शेखर एच टेक्कण्णावर के निलंबन पर भी फिर से विचार करे।ट्रिब्यूनल ने कहा, पुलिस अधिकारियों के निलंबन का फैसला पर्याप्त सबूतों के आधार पर नहीं लिया गया है। ऐसा कोई ठोस आधार नहीं था जिससे यह साबित हो कि इन अधिकारियों की लापरवाही से यह हादसा हुआ। गौरतलब है कि 4 जून को हुई इस भगदड़ के बाद पड़े दबाव को देखते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस मामले में पांच वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर जांच की घोषणा कर दी थी। गिरजा/ईएमएस 01 जुलाई 2025