क्षेत्रीय
01-Jul-2025


राजनीति: दो बार रायशुमारी करने आए पर्यवेक्षक लौटे, एआईसीसी को देंगें रिपोर्ट छिंदवाड़ा (ईएमएस)। कांग्रेस के संगठन सृजन अभियान में जिला कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर कांग्रेस के पर्यवेक्षकों का दौरा चर्चा में रहा। एआईसीसी और पीसीसी के चार पर्यवक्षकों ने दो बार आकर यहां ग्रामीण स्तर के नेताओं और कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोली। ये पहली बार हुआ कि राष्ट्रीय नेतृत्व ने जिला स्तर पर भी अध्यक्षों को चुनने के लिए पर्यवेक्षकों को एक सप्ताह तक हर जिले में भेजा। चार दशकों में यह भी पहली बार देखने को मिला कि अध्यक्ष के पद को लेकर कई नेता खुलकर सामने आए और अध्यक्ष के लिए अपनी दावेदारी भी की। पर्यवेक्षकों ने अलग-अलग नेताओं से बंद कमरे में व्यक्तिगत चर्चाएं भी इस बार की। इस दौरान भी संगठन में बदलाव और नेतृत्व परिवर्तन की बात उनके सामने इस बार रखी गई हैं। पर्यवेक्षकों ने सभी नेताओं की दावेदारी और उनकी राय राष्ट्रीय नेतृत्व के सामने रखने का आश्वासन दिया है। हालांकि अपने दूसरे प्रवास में पर्यवेक्षकों ने विधानसभा स्तर पर जो बैठकें ली उसमें उनके सुर बदलते दिखे। जिले में मजबूत संगठन और नेता कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय, ग्रामीण स्तर पर कांग्रेस के साथ युवा संगठनों की सक्रियता की बात वे कहते दिखे। इन बातों के बीच जिला अध्यक्ष को बदले जाने का इंतजार कर रहे पार्टी के नेता कार्यकर्ताओं के ख्वाब फिर से धुंधले होते दिख रहे हैं। सवाल ये है कि इस बार कांग्रेस ने जिले में संगठन नेतृत्व को लेकर जो हलचल दिखाई उसका कोई अलग परिणाम दिखाई देगा? बदलाव की बयार जो कांग्रेस में इस बाद दिख रही है क्या उसके बीच भी विश्वनाथ ओकटे जमें रहेंगे या फिर उन्हें हटना पड़ेगा। चर्चाओं में कई नाम आए सामने पर्यवेक्षकों के साथ बैठकों में कई नामों पर अध्यक्ष के रूप में चर्चाएं होती देखी गई। परासिया के विधायक सोहन वाल्मिक हो याफिर दमुआ के युवा विधायक सुनील उइके हो इनके नाम पर्यवेक्षकों के सामने कई कार्यकर्ताओं ने रखे। कांग्रेस सेवादल अध्यक्ष सुरेश कपाले तो खुलकर विरोध किया और बकायदा फार्म भरकर अपनी दावेदारी कर दी। बताया जाता है कि कुछ तो पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं से दिल्ली जाकर भी मुलाकात कर आए हैं। 15 जुलाई के बाद जिला अध्यक्ष के नाम की घोषणा हो सकती है। जिला अध्यक्ष का नाम तय होने के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि ब्लाक अध्यक्षों की नियुक्ति में भी चयन प्रक्रिया प्रभावी रहेगी या फिर औपचारिक। पिछले चार दशकों में सिर्फ 4 अध्यक्ष जिले में कमलनाथ के जिले में एंट्री लेने के बाद चार दशकों की कांग्रेस की राजनीति और संगठन का स्वरूप देखें तो सिर्फ चार जिला अध्यक्ष रहे हैं। यानि एक अध्यक्ष ने औसतन दस वर्ष जिले में अध्यक्ष की कुर्सी संभाली है। जिले में कमलनाथ अपने अंदाज में यहां संगठन का खांका खींचा। ये बात और है कि नापसंद के बावजूद कांग्रेस ने किसी ने मुखर तौर पर इसका विरोध कभी किया भी नहीं। इस मामले में आज की तारीख में अब कांग्रेसी खुद भाजपा के साथ तुलना करते दिख रहे हैं। 1980 के बाद छिंदवाड़ा जिले में भाजपा की कमान 18 से ज्यादा पार्टी के नेता कार्यकर्ता संभाल चुके हैं। ईएमएस/मोहने/ 01 जुलाई 2025