राष्ट्रीय
02-Jul-2025
...


मुरैना (ईएमएस)। जिले की जनपद पंचायत पहाड़गढ़ की ग्राम पंचायत निचली बेहराई अपने ऐतिहासिक महत्व के कारण खास मानी जाती है। वैज्ञानिकों के लिए यहां के लिखी छाज नामक शैलाश्रय आकर्षण का केंद्र हैं। वैज्ञानिकों का दावा है कि ये शैलाश्रय आसन नदी के किनारे स्थित हैं और करीब एक लाख साल पुराने हैं। माना जाता है कि इसी इलाके में आदिमानवों ने सबसे पहले बसेरा किया था। इन शैलाश्रयों में मौजूद चित्रों की उम्र लगभग 25 से 30 हजार साल आंकी गई है। मध्य प्रदेश के मशहूर भीम बेटका शैलचित्रों की उम्र रेडियो कार्बन जांच में करीब 12 हजार साल पाई गई थी, जबकि लिखी छाज के चित्र उनसे भी 10 हजार साल पुराने माने गए हैं। लिखी छाज की खोज करने वाले प्रोफेसर द्वारिकेश ने यहां पाए गए शैलचित्रों की उम्र 25 हजार साल से अधिक बताई थी। इसका साफ मतलब है कि इस क्षेत्र में आदिमानव युग की समृद्ध सभ्यता विकसित हुई थी और यह स्थान भीम बेटका से भी प्राचीन मानव जीवन का प्रमाण देता है। आसन नदी, जिसके किनारे ये ऐतिहासिक शैलाश्रय बने हैं, विजयपुर की सीमा से निकलती है और लिखी छाज तक आते-आते एक सुंदर झरने का रूप ले लेती है। यही इसकी प्राकृतिक खूबसूरती को और बढ़ा देती है। इस नदी का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है। महाभारत में इसे अश्व नदी कहा गया है और यह वही नदी मानी जाती है जिसमें कुंति ने कर्ण को प्रवाहित किया था। बताया जाता है कि कुंति द्वारा छोड़ा गया वह मंजूषा आसन नदी से क्वारी, क्वारी से चंबल और फिर यमुना होते हुए गंगा तक पहुंची। आज यह नदी बरसात में ही अपने पुराने वैभव के साथ बहती है और मुरैना के कुतवार गांव की ओर जाती है, जिसे महाभारतकाल में कुंतलपुर कहा जाता था। ग्राम पंचायत के सचिव महेंद्र सिंह के अनुसार, लिखी छाज की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता को देखते हुए कई बार शासन के अधिकारी हेलीकॉप्टर से इसका निरीक्षण कर चुके हैं। सुदामा/ईएमएस 02 जुलाई 2025