03-Jul-2025
...


* रफ्तार बढ़ाने वर्षा बनी चुनौती कोरबा (ईएमएस) सार्वजनिक क्षेत्र के वृहद उपक्रम कोल् इंडिया के अधीन संचालित एसईसीएल बिलासपुर की कोरबा-पश्चिम क्षेत्र में स्थापित खुले मुहाने की गेवरा कोयला परियोजना अंतर्गत एसईसीएल की मेगा परियोजना में एसईसीएल अपनी पहली तिमाही में कोयला उत्पादन लक्ष्य से पिछड़ गया है। कोयला उत्पादन की रफ्तार बढ़ाने मेगा परियोजनाओं को अगले तीन माह अब बारिश की चुनौती से जूझना होगा। सार्वजनिक क्षेत्र के वृहद उपक्रम कोल् इंडिया के अधीन संचालित एसईसीएल बिलासपुर की कोरबा-पश्चिम क्षेत्र में स्थापित खुले मुहाने की गेवरा कोयला परियोजना अंतर्गत एसईसीएल की मेगा परियोजना गेवरा को सर्वाधिक 63 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य दिया गया है। पहले तीन माह में उक्त क्षेत्र को लगभग 15 मिलियन टन कोयला उत्पादन कर लेना था। क्षेत्र ने अब तक दमदार प्रदर्शन किया है, लेकिन लक्ष्य से पीछे है। गेवरा से 12.64 मिलियन टन कोयला उत्पादन ही हो सका है। इसी तरह मेगा परियोजना दीपका को 40 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य वित्तीय वर्ष में हासिल करना है। पहली तिमाही में एरिया से 9.64 मिलियन टन कोयला का उत्पादन होना था। इसके मुकाबले 7.77 मिलियन टन उत्पादन ही हो सका है। कुसमुंडा क्षेत्र को 50 मिलियन टन उत्पादन का लक्ष्य दिया गया है। पहले तीन माह में उक्त क्षेत्र से 12.05 के मुकाबले 7.25 मिलियन टन कोयला उत्पादन ही हो सका है। इस तरह तीनों ही मेगा परियोजनाएं पहली तिमाही में लक्ष्य से दूर रही हैं। कोरबा क्षेत्र को 8.87 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य मिला हुआ है। पहले तीन माह में उक्त क्षेत्र से 1.77 मिलियन टन कोयला उत्त्पादन हो चुका है। क्षेत्र को 1.96 मिलियन टन कोयला उत्पादन उक्त अवधि में पूरा कर लेना था। अब आगामी तीन माह वर्षा ऋतु के दौरान कोयला उत्पादन में चुनौतियों का सामना क्षेत्रीय प्रबंधनों को करना पडेगा। पहली तिमाही में पिछड़ना और बारिश की चुनौतियों से निपटना प्रबंधनों के लिए आसान नहीं रहेगा। * जून में पूरा नहीं हुआ लक्ष्य जून माह में गेवरा क्षेत्र को सर्वाधिक 4.87 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य दिया गया था। वहा से 4.02 मिलियन टन कोयला उत्पादन किया गया। इसी तरह दीपका क्षेत्र से लक्ष्य 3.07 के मुकाबले 2.79 और कुसमुंडा से 3.84 लक्ष्य के मुकाबले 2.2 मिलियन टन कोयला उत्पादन किया जा सका है। * कोयला प्रेषण में भी लगाना होगा जोर कोयला उत्पादन की तरह ही प्रेषण में भी जिले की खदानों को जोर लगाना होगा। लक्ष्य अनुरूप प्रेषण करने में सभी क्षेत्र पीछे हैं। गेवरा क्षेत्र को पहली तिमाही में 15.08 मिलियन टन उठाव कर लेना था। जो 14.77 मिलियन टन के साथ लक्ष्य के करीब है। दीपका क्षेत्र को 10.5 मिलियन टन कोयला उठाव तीन माह में करना था, जो 8.71 मिलियन टन हो सका है। इसी तरह कुसमुंडा क्षेत्र उत्पादन की तरह डिस्पैच में भी काफी पीछे है। क्षेत्र से 14.1 के मुकाबले 9.75 मिलियन टन कोयला प्रेषण ही किया जा सका है। 03 जुलाई / मित्तल