04-Jul-2025


नई दिल्ली (ईएमएस)। दिल्ली में 10 साल से पुराने डीजल और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों पर प्रतिबंध को लेकर दिल्ली सरकार ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को चिट्ठी लिखी है, जोकि आयोग को मिल गई है। सीएक्यूएम ईंधन प्रतिबंध पर विचार करेगा। तकनीकी चुनौतियों के बीच प्रतिबंध फिलहाल जारी रहेगा। सरकार ने इस फैसले को तर्कसंगत नहीं बताया है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को फ्यूल न देने का फैसला विवाद का हिस्सा बन गया है। 1 जुलाई को ये फैसला लागू और 3 जुलाई की शाम होते-होते दिल्ली सरकार ने खुद इसे रोकने की बात कह डाली। दिल्ली सरकार ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से पत्र लिखकर कहा है कि वह एंड-ऑफ-लाइफ (ईओएल) के वाहनों पर ईंधन प्रतिबंध को तत्काल प्रभाव से रोके। गुरुवार शाम ये चिट्ठी लिखी गई थी तो क्या आज शुक्रवार को पुराना फैसला खत्म हो गया? जी नहीं।।अभी ऐसा नहीं हुआ है। सीएक्यूएम से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, ईओएल वाहनों पर कार्रवाई को लेकर पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने जो चिट्ठी लिखी है वो आयोग को प्राप्त हो गई है। सीएक्यूएम चिट्ठी में बताए गए तथ्यों का अध्ययन करेगा, उसके बाद ये फैसला लिया जाएगा कि रोक रहेगी या नहीं। नया आदेश आने तक दिल्ली में पुराना आदेश ही लागू रहेगा। इस मुद्दे पर एक तरफ जहां जमकर सियासत हो रही है वहीं अब एक सवाल ये भी उठने लगा है कि अगर दिल्ली सरकार ऐसा नहीं चाहती है तो फिर जो वाहन अबतक जब्त किए गए हैं उनका क्या होगा? ये सवाल 4 जुलाई की सुबह दिल्ली सरकार में मंत्री कपिल मिश्रा से भी किया गया कि जिनकी गाड़ियां सीज हो चुकी हैं, उनका क्या होगा। इस सवाल का जवाब देते हुए कपिल मिश्रा ने कहा कि इस पर भी बात हो रही है। यानी अभी तक स्पष्टता नहीं है। सराय काले खां में जो मर्सिडीज कार जब्त की गई थी, वो अभी भी वहीं खड़ी है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने पुष्टि की थी कि शहर में फिलहाल पुराने वाहनों को जब्त नहीं किया जाएगा और उन्होंने सीएक्यूएम को नीति को निलंबित करने के लिए औपचारिक रूप से पत्र लिखा है। आयोग को लिखे पत्र में सिरसा ने लिखा कि 1 जुलाई, 2025 से लागू होने वाले इस निर्देश के कार्यान्वयन से “कुछ मुद्दे” सामने आए हैं, जिन्हें पूरी तरह से लागू करने से पहले देखा जाना चाहिए। सिरसा ने कहा हमने उन्हें बताया है कि जो ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन (एएनपीआर) कैमरे लगाए गए हैं, वे मजबूत सिस्टम नहीं हैं और उनके साथ अभी भी कई चुनौतियां हैं। तकनीकी गड़बड़ियां, सेंसर का काम न करना और स्पीकर का खराब होना, ये सभी चुनौतियां हैं। इसे अभी एनसीआर डेटा के साथ इंटीग्रेट नहीं किया गया है। यह एचएसआरपी प्लेटों की पहचान करने में सक्षम नहीं है। हमने यह भी कहा कि गुरुग्राम, फरीदाबाद और गाजियाबाद और बाकी एनसीआर में अभी तक ऐसा कानून लागू नहीं हुआ है।’आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली में पुरानी गाड़ियों के जब्ती के आदेश देकर बीजेपी सरकार ने अपने जनविरोधी होने का प्रमाण दे दिया था। बीजेपी के तुगलकी फरमान का दिल्ली की जनता ने जबरदस्त विरोध किया था। इसके साथ ही आम आदमी पार्टी ने भी बीजेपी सरकार के इस फरमान के खिलाफ आवाज बुलंद की थी, जिसके बाद अब सरकार ने झुकते हुए अपने तुगलकी फरमान को वापस ले लिया है। यह आप और जनता की जीत की शुरुआत है। दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री कपिल मिश्रा ने कहा कि आम आदमी पार्टी अब क्या सवाल उठा रही है, इन्हें तो कोर्ट में पक्ष रखना चाहिए था। इन्होंने कोर्ट में पक्ष नहीं रखा, इसलिए आज यह स्थिति हुई, लेकिन मेरा भी मानना है कि ये फैसला तर्कसंगत नहीं है। जो गाड़ियां एक राज्य में चल सकती हैं, वो दूसरी जगह क्यों नहीं चल सकती हैं? इसलिए इसको लेकर सरकार ने पत्र लिखा है। अजीत झा /देवेन्द्र/नई दिल्ली/ईएमएस/04/जुलाई /2025