उज्जैन, (ईएमएस)। “भारत 1998 से विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है। प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता में मध्यप्रदेश राष्ट्रीय औसत से आगे है। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि प्रदेश को ‘नेशनल डेयरी कैपिटल’ बनाया जाए। यह संगोष्ठी इस दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी।”विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा ने इंडियन डेयरी एसोसिएशन पश्चिम क्षेत्र एवं विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के संयुक्त तत्वावधान में मध्य प्रदेश में डेयरी विकास: संभावनाएँ एवं चुनौतियाँविषय पर विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती सभागार में आयोजित पश्चिम क्षेत्रीय दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ करते हुए मुख्यअतिथि के रूप में उपरोक्त उद्गार व्यक्त किये । आयोजन 44 वर्षों बाद किया जा रहा है जिसमें देशभर के दुग्ध उत्पादकों के साथ क॔पनियों,मैनेजमेंट के अलावा तकनीकी क्षेत्रों के विशेषज्ञ इसमे सहभागिता कर रहे हैं । श्री कालूहेड़ा ने कहा कि हमें गर्व होना चाहिए कि हम अमेरिका जैसे विकसित देश से भी कहीं अधिक दुग्ध उत्पादन कर रहे हैं। राज्य सरकार का स्पष्ट दृष्टिकोण है कि मध्यप्रदेश को ‘नेशनल डेयरी कैपिटल’ बनाया जाए और इस दिशा में आईडीए एवं विश्वविद्यालय का यह प्रयास ऐतिहासिक है। डेयरी एक उद्योग ही नहीं, बल्कि लाखों किसानों की आजीविका, महिला सशक्तिकरण और पोषण सुरक्षा का स्रोत है। मैं चाहूंगा कि इस मंच से निकलने वाले विचार, नीति और पहल प्रदेश के कोने-कोने तक पहुंचे।” विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलगुरू प्रो अर्पण भारद्वाज ने संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कहा कि, “डेयरी टेक्नोलॉजी केवल तकनीकी शिक्षा नहीं, बल्कि ग्रामीण विकास, महिला सशक्तिकरण और सहकारिता आंदोलन से जुड़ा व्यापक दृष्टिकोण है। 25 वर्षों बाद मध्यप्रदेश में फिर से डेयरी टेक्नोलॉजी संस्थान की स्थापना मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव की घोषणा से संभव हुई है।”प्रो. अर्पण भारद्वाज ने कहा कि “जब हम डेयरी की बात करते हैं तो केवल दूध उत्पादन नहीं, बल्कि पूरे ग्रामीण सामाजिक संरचना की बात करते हैं—चरागाहों से लेकर सहकारी समितियों तक। राजस्थान जैसी शुष्क भूमि में आज सबसे अधिक दूध उत्पादन हो रहा है, यह इस बात का संकेत है कि संसाधन नहीं, उनका वैज्ञानिक उपयोग सफलता तय करता है।प्रो भारद्वाज ने कहा कि,डेयरी टेक्नोलॉजी में हमारे छात्र केवल तकनीकी दक्षता नहीं, बल्कि संवेदनशील नेतृत्व भी विकसित करेंगे। यह संस्थान मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव की घोषणा का साकार रूप है, जो उन्होंने 5 जनवरी को इसी परिसर में की थी। मेरा विश्वास है कि यह संस्थान आने वाले वर्षों में देश के अग्रणी डेयरी संस्थानों में से एक होगा।”आईडीए (वेस्टज़ोन) के चेयरमैन डॉ. जेबी प्रजापति ने विशिष्ट अतिथि के रूप में संबोधन देते हुए कहा, “मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव का लक्ष्य है कि मध्यप्रदेश को ‘नेशनल डेयरी कैपिटल’ बनाया जाए। एनिमल हस्बैंड्री को डेयरी एवं गोपालन विभाग से जोड़ना, अंबेडकर डेयरी योजना, NDDB के साथ एमओयू – ये सब ऐतिहासिक कदम हैं।” डॉ. प्रजापति ने कहा कि “भारत में डेयरी उद्योग की वर्तमान आकार ₹19,000 बिलियन रुपये है और 2033 तक यह ₹57,000 बिलियन तक पहुँचने का अनुमान है। यह उद्योग न केवल आर्थिक समृद्धि का माध्यम है, बल्कि यह पोषण, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण की धुरी भी है। आपने कहा कि,दूध को आज कुछ समूह शाकाहार विरोधी बताकर भ्रम फैला रहे हैं, जबकि यह सबसे शुद्ध, संपूर्ण और आयुर्वेद सम्मत आहार है। डेयरी सेक्टर में 8.5 करोड़ लोग संलग्न हैं और एक लाख लीटर के संयंत्र से 25-30 हज़ार लोगों को रोजगार मिलता है। मध्यप्रदेश में शुरू हुआ B.Tech डेयरी टेक्नोलॉजी कोर्स इस उद्योग को आवश्यक कुशल मानव संसाधन उपलब्ध कराएगा।आपने कहा कि मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश ने ‘एनिमल डेयरी एंड गोपालन विभाग’ जैसी दूरदर्शी पहल की है और NDDB के साथ 5 वर्षों का प्रबंधन समझौता इसका प्रमाण है। हमें इस अवसर को पहचानकर प्रदेश को डेयरी क्रांति का केंद्र बनाना है।”उज्जैन संभागायुक्त श्री संजय गुप्ता ने विशिष्ट अतिथि के रूप में संबोधन देते हुए कहा कि “हमारा लक्ष्य दूध उत्पादन को 10 लाख टन से बढ़ाकर 20 लाख टन तक ले जाना है। इसके लिए पशुधन की स्वास्थ्य निगरानी, एग्री बायप्रोडक्ट्स का उपयोग, और वैल्यू एडिशन जैसे उपाय ज़रूरी हैं। गुजरात जैसे राज्यों की तकनीकी प्रणाली को मध्यप्रदेश में भी अपनाया जाएगा।” उन्होंने डेयरी टेक्नोलॉजी संस्थान को देश का सर्वश्रेष्ठ बनाने का सपना भी व्यक्त किया और इसके लिए डॉ. सुधीर उपरीत के योगदान को विशेष रूप से सराहा। श्री गुप्ता ने कहा कि,डेयरी टेक्नोलॉजी एक वेलफेयर एजुकेशन है जो किसानों की आय, स्वास्थ्य और सामाजिक स्थायित्व तीनों पर काम करती है। मेरा सपना है कि विक्रम विश्वविद्यालय का डेयरी कॉलेज भारत का सर्वश्रेष्ठ संस्थान बने और मुझे विश्वास है कि यह सपना शीघ्र ही साकार होगा।”विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलसचिव डॉ. अनिल कुमार शर्मा, फार्मेसी विभागाध्यक्ष डॉ. कमलेश दशोरा और आईडीए (पश्चिम क्षेत्र) के सचिव श्री माधव पाटगांवकर मंचासीन थे।विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन एवं इंडियन डेयरी एसोसिएशन (IDA) वेस्ट ज़ोन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी का उद्देश्य मध्यप्रदेश में डेयरी उद्योग के विकास की संभावनाओं और उससे जुड़ी चुनौतियों पर गहन मंथन करना है।कार्यक्रम का उद्घाटन सरस्वती पूजन, सरस्वती वंदना और कुलगान के साथ हुआ। इस अवसर पर विश्वविद्यालय प्रांगण में देशभर के सहभागिता कर रहे प्रतिष्ठित वैज्ञानिक, शिक्षाविद, प्रशासक, तकनीकी विशेषज्ञ एवं किसान प्रतिनिधि उपस्थित रहे। शुभारंभ सत्र के अंत में सचिव आईडीए श्री माधव पाटगांवकर ने सभी अतिथियों, विश्वविद्यालय प्रशासन और आयोजकों का आभार व्यक्त किया। संगोष्ठी में आगामी दो दिनों में तकनीकी सत्रों में शोधकर्ता, डेयरी विशेषज्ञ, किसान प्रतिनिधि और छात्र संवाद करेंगे। ईएमएस / 04 जुलाई 2025