क्षेत्रीय
04-Jul-2025


बिलासपुर (ईएमएस)। यदि परिस्थितियों की श्रृंखला पूरी है और अभियुक्त से की बरामदगी विधिवत सिद्ब है, मृत्यु से कुछ समय पहले मृतक के साथ अंतिम बार देखा गया था एवं अभियुक्त द्बारा कोई उचित स्पष्टकरण न देना उसके बचाव के लिए घातक होगा। इसके साथ हाईकोर्ट ने उरला क्षेत्र ग्राम बाना में बेवा महिला एवं उसके दो बच्चों की निर्मम हत्या के आरोपी की सजा के खिलाफ पेश अपील को खारिज किया है। गवाह ने कहा था आरोपी पुलिस में है, वह वर्दी में भी मृतक के घर आता था व वारदात की रात में भी उसे देखा गया था। आरोपी को सत्र न्यायालय से तीन हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। उरला पुलिस को चंद्रकांत निषाद ने 10 अक्टूबर 2019 को ग्राम बाना में दुलौरिन बाई उसके दो बच्चे सोनू निषाद और संजय निषाद की हत्या की सूचना दी। सूचना पर निरीक्षक मनीष सिह परिहार ने मृतकों के संबंध में तीन अलग अलग मर्ग कायम कर मामले को विवेचना में लिया। तीनों की 9-10 अक्टूबर 2019 की दरम्यानी रात हत्या की गई एवं साक्ष्य समाप्त’ करने शव को खाट में लिटाकर जलाने का प्रयास किया गया था ताकि मामला आग लगने से मौत का लगे। पीएम में तीनों के सिर में भारी वस्तु से हमला कर हत्या करने की पुष्ठि हुई। पुलिस को जांच में यह जानकारी मिली कि घटना की रात मृतकों के साथ शिकायतकर्ता चंद्रकांत निषाद था। घटना के तीन मृतक दुलौरिन बाई ने उससे मछली मंगाई थी। इस पर पुलिस ने चंद्रकात निषाद को हिरासत में लेकर पूछताछ की। पूछताछ में उसने पहले दुलौरिन बाई की लाठी मार कर हत्या करने एवं बच्चों के जाग जाने पर उन्हें भी मारने की बात स्वीकार की। हत्या में प्रयुक्त लाठी खारून नदी के किनारे एवं मृतक सोनू का खून लगा टी शर्ट फेकने की जानकारी दी। पुलिस ने उसके निशानदेही पर लाठी कपड़ा एवं उसके खून लगे कपडृा जप्त किया। जांच उपरांत चालान पेश किया गया। न्यायालय ने आरोप सिद्ब होने पर तीन हत्या के लिए आजीवन कारावास, 201 में 5 वर्ष कैद की सजा सुनाई। इसके खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील पेश की थी। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा एवं जस्टिस बीडी गुरू की डीबी में सुनवाई हुई। डीबी ने सुनवाई उपरांत आरोपी की अपील को खारिज किया है। कोर्ट ने आदेश में कहा वर्तमान मामले में अभियोजन पक्ष ने अपीलकर्ता के विरुद्ध निम्नलिखित परिस्थितिजन्य साक्ष्य सिद्ध किए हैं:- मृतक की मृत्यु हत्या की प्रकृति की है, घटना से पहले मृतक के साथ अभियुक्त का होना, मृतक को घटना की रात गांव के किसी अन्य व्यक्ति द्बारा नहीं देखा गया। घटना के पश्चात मृतक को सबसे पहले देखने वाला अभियुक्त था, अभियुक्त के ज्ञापन के आधार पर घटना में प्रयुक्त लकड़ी का डंडा तथा मृतक सोनू निषाद के कपड़े जब्त किए गए। अभियुक्त द्बारा घटना के समय पहनी गई खून से सनी टी-शर्ट को उसके कब्जे से जब्त किया गया, मृतक सोनू निषाद की लकड़ी की डंडी, शर्ट तथा अभियुक्त की टी-शर्ट पर पाया गया मानव रक्त, अभियुक्त की लकड़ी की डंडी तथा टी-शर्ट पर पाया गया ओ ग्रुप का रक्त, अभियुक्त द्बारा साक्ष्य नष्ट करना, भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 106 के अन्तर्गत यह अभियुक्त का दायित्व है कि वह बताए कि मृतक की मृत्यु कैसे हुई, किन्तु अभियुक्त ने ऐसा कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है तथा दिया गया स्पष्टीकरण झूठा है। विचारणीय अगला प्रश्न यह होगा कि क्या निचली अदालत ने निम्नलिखित परिस्थितियों के आधार पर अपीलकर्ता को अपराध का लेखक माना है:- मृतक दुलौरिन निषाद, सोनू निषाद और संजय निषाद की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार अभियोजन पक्ष द्बारा हत्या का मामला साबित किया गया था। साक्ष्य अधिनियम के अनुसार, अभियुक्त को यह विशेष जानकारी थी कि मृतक की हत्या की गई है। अभियुक्त द्बारा ट्रायल कोर्ट के समक्ष इस बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया कि उक्त विशेष तथ्य उसके ज्ञान में कैसे था। ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जो यह दर्शाता हो कि घटना किसी अन्य व्यक्ति द्बारा की गई हो। यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि घटना के घटित होने और स्वीकारोक्ति करने के समय के बीच बहुत कम समय का अंतर है। आरोपी वर्दी में मृतक के घर आता था इस मामले में महत्वपूर्ण गवाह ने कहा कि आरोपी पुलिस में है वह वर्दी में भी मृतक के घर दिन में भी आता था व कभी रात भी रहता था। रिश्ते में वह मृतक का दामाद था। मृतका को घटना के कुछ माह पहले अनुकंपा नियुक्ति मिली थी सूत्रों के अनुसार मृतिका का पति लोक निर्माण विभाग में था। पति की मौत के बाद उसे घटना के कुछ माह पहले ही अनुकंपा नियुक्ति मिली थी। मनोज राज/योगेश विश्वकर्मा 04 जुलाई 2025