इन्दौर (ईएमएस) फर्जी तरीके से मेडिकल कॉलेज को मान्यता देने एवं दिलाने के मामले में डीएवीवी के पूर्व कुलपति तथा वर्तमान में टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साईंसेज मुंबई जैसे प्रतिष्ठित संस्थान के चांसलर प्रो. धीरेंद्र पाल सिंह (डीपी सिंह) के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया। उन पर आरोप है कि उन्होंने रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज को एनएमसी की पॉजिटिव रिपोर्ट दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सीबीआई पूरे मामले की गहन जांच कर रही है। डी पी सिंह अप्रैल 2024 में टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साईंसेज मुंबई में चांसलर बनने से पहले यूजीसी के चेयमरैन जैसे अहम पद पर थे। तथा इस पद के पहले वे इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (डीएवीवी) के कुलपति पद पर रहे थे। डी पी सिंह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू), वाराणसी तथा डॉ. एचएस गौर विश्वविद्यालय, सागर के भी कुलपति रह चुके हैं। वहीं प्रो. धीरेंद्र पाल सिंह ने निदेशक के रूप में राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (एनएएसी), बैंगलोर का भी नेतृत्व किया है। बता दें कि देश भर के मेडिकल कॉलेजों को मान्यता देने व दिलवाने के इस कांड में सीबीआई ने रावतपुरा सरकार उर्फ रविशंकर महाराज के साथ ही 35 अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में नामजद केस दर्ज कर उनमें से कुछ को गिरफ्तार भी किया है। कांड का मुख्य आरोपी और मास्टर माइंड इन्दौर इंडेक्स मेडीकल कॉलेज के संचालक सुरेश भदौरिया को बताया जा रहा है जो कि कांड उजागर होने और सीबीआई द्वारा मामला दर्ज होने के बाद से ही फरार है। आनन्द पुरोहित/ 05 जुलाई 2025