मालवा की दुग्ध परंपरा को मिलेगा नवसंजीवन: श्रीमती कलावती यादव विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलगुरू प्रो अर्पण भारद्वाज की घोषणा:विक्रम विश्वविद्यालय में जल्द ही डेयरी टेक्नोलॉजी से जुड़े अनेक कोर्स शुरू किए जाएंगे 25 हज़ार डेयरी तकनीशियन की ज़रूरत, विक्रम विवि निभाएगा अहम भूमिका — कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज विक्रम विश्वविद्यालय में डेयरी विकास पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य समापन उज्जैन (ईएमएस)। जिस प्रकार इंदौर ने स्वच्छता में पहला स्थान प्राप्त किया है, उसी प्रकार उज्जैन, दुग्ध उत्पादन में मध्यप्रदेश में शीर्ष पर पहुंचेगा,मालवा क्षेत्र पारंपरिक रूप से पशुपालन और दुग्ध उत्पादन में अग्रणी रहा है।एक ओर जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए स्वच्छ भारत मिशन की सफलता का उल्लेख होता है और बच्चों में भी आज स्वच्छता के प्रति जागरूकता आई है, उसी तरह डेयरी सेक्टर में भी सजगता आवश्यक है। नगर निगम उज्जैन की सभापति श्रीमती कलावती यादव ने इंडियन डेयरी एसोसिएशन पश्चिम क्षेत्र एवं विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के संयुक्त तत्वावधान में मध्य प्रदेश में डेयरी विकास: संभावनाएँ एवं चुनौतियाँविषय पर विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती सभागार में आयोजित पश्चिम क्षेत्रीय दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए उपरोक्त उद्गार व्यक्त किये ।यह आयोजन 44 वर्षों बाद किया गया,इसमें पश्चिम क्षेत्र के 5 राज्यों की भागीदारी रही। संगोष्ठी में देशभर के दुग्ध उत्पादकों के साथ कंपनियों,मैनेजमेंट के अलावा तकनीकी क्षेत्रों के विशेषज्ञों की सहभागिता रही। अपने संबोधन में निगम सभापति श्रीमती यादव ने मालवा क्षेत्र की पारंपरिक दुग्ध-प्रधान संस्कृति को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “मालवा की धरती डग-डग रोटी, पग-पग नीर की तरह ही पशुपालन और दुग्ध उत्पादन में भी समृद्ध रही है। यह हमारी विरासत है और इसका आधुनिकीकरण समय की मांग है।” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान की तुलना करते हुए कहा कि जैसे स्वच्छता की चेतना देश में आई, वैसे ही अब डेयरी के क्षेत्र में जागरूकता लाना आवश्यक है। श्रीमती यादव ने विश्वास व्यक्त किया कि उज्जैन भी जल्द ही दुग्ध उत्पादन में प्रदेश में शीर्ष स्थान प्राप्त करेगा।उन्होंने अपने पारिवारिक अनुभव साझा करते हुए बताया कि उनके पिता ने 100 वर्ष की आयु तक नियमित रूप से दूध का सेवन किया और उनके पति, जो हृदय रोगी थे, वे भी दूध का नियमित सेवन करते रहे। उन्होंने कहा कि गाय के दूध और घी का उपयोग औषधि की तरह किया जाता रहा है और आज भी इसकी प्रासंगिकता बनी हुई है। समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज ने कहा कि मुख्यमंत्री की परिकल्पना है कि मध्यप्रदेश डेयरी उत्पादन में देश में अग्रणी बने। उन्होंने आंकड़ों के साथ बताया कि आने वाले पांच वर्षों में राज्य को 25 से 30 हज़ार डेयरी टेक्नोलॉजिस्ट्स की आवश्यकता होगी। उन्होंने यह घोषणा भी की कि विक्रम विश्वविद्यालय में जल्द ही डेयरी टेक्नोलॉजी से जुड़े कोर्स शुरू किए जाएंगे, जो प्रदेश के युवाओं के लिए नए अवसर लेकर आएंगे। उन्होंने आईसीएआर नई दिल्ली से आई विशेषज्ञों की प्रस्तुतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि “हमें अब भी यह स्वीकार करना होगा कि हम तकनीकी शिक्षा के इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में अभी पीछे हैं। विक्रम विश्वविद्यालय इस कमी को पूरा करने के लिए तैयार है।” प्रो. भारद्वाज ने बताया कि यह कार्यक्रम मुख्यमंत्री की विशेष रुचि का विषय है और दो दिवसीय इस संगोष्ठी में बड़ी संख्या में लोगों ने भागीदारी की। विशिष्ट अतिथि के रूप में इंडियन डेयरी एसोसिएशन पश्चिम क्षेत्र के अध्यक्ष डाॅ जे.पी. प्रजापति,सचिव श्री जे.आर. दारूवाला, श्री माधव पड़गावकर, डॉ. एस.एन. शर्मा, सहित अतिथि मंचासीन रहे। समारोह के प्रारंभ में दो दिवसीय संगोष्ठी की रूपरेखा माधव पड़गावकर ने प्रस्तुत करते हुए किया बताया कि डेयरी क्षेत्र में तकनीकी निवेश और स्थानीय डेयरी प्लांट्स की स्थापना से मालवा अंचल की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति मिल सकती है। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथियों का स्वागत कुलगुरु प्रो अर्पण भारद्वाज द्वारा शॉल, महाकाल शिखर चिन्ह और पदक प्रदान कर किया गया। डेयरी क्षेत्र में योगदान दे रहे स्थानीय उत्पादकों का श्री जे.आर. दारूवाला ने शिखर पदक एवं साफा पहनाकर अभिनंदन किया। कार्यक्रम के आयोजन में अहम भूमिका निभाने वाले डॉ. एस.एन. शर्मा, डॉ. मुकेश वाणी और श्री दारूवाला का भी मंच से सम्मान किया गया। अंत में कार्यक्रम का औपचारिक आभार प्रदर्शन डाॅ जे.बी. प्रजापति ने किया।समारोह का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। संगोष्ठी सत्र में मंथन वक्ताओं ने डेयरी टेक्नोलॉजी में हो रहे बदलाव और नवाचारों पर प्रकाश डाला नेशनल सेमिनार ओन डेयरी डेवलपमेंट इन मध्य प्रदेश के संदर्भ में चतुर्थ सत्र में विशेषज्ञ वक्ताओं ने अपने प्रबोधन के माध्यम से श्रोताओं से मध्य प्रदेश में डेयरी प्रोडक्शन की नवीनतम टेक्नोलॉजी की जानकारी साझा की । सत्र के शुरुआत मे दो वक्ताओं ने डेयरी टेक्नोलॉजी में हो रहे बदलाव और नवाचारों पर प्रकाश डाला । प्रमुख वक्ता डॉ सुधीर उपरित (साइंस कॉलेज उज्जैन ) ने नयी शिक्षा नीति (NEP) के अन्तर्गत डेयरी टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों को रेखांकित किया। उन्होंने बताया की किस प्रकार नई शिक्षा नीति के अन्तर्गत डेयरी प्रोडक्शन से संबंधित विभिन्न विषयों को सम्मिलित किया गया है । इसके पश्चात गुजरात से आये विशेषज्ञ श्री दिव्येश चौहान ने डेयरी टेक्नोलॉजी में प्रशिक्षण की जरूरत पर चर्चा की। उन्होंने प्रशिक्षण में आने वाली चुनौतियों जैसे भाषायी विविधता, उपकरणों की सीमित उपलब्धता, और वैश्विक स्तर की तुलना में उपकरणों की कमी पर प्रकाश डाला । साथ ही उन्होंने विभिन्न वर्गों के लिए उपयुक्त प्रशिक्षण की जानकारी दी और इन समस्याओं के समाधान पर संवाद किया । सत्र में डॉ. प्रणाली बालकिशन निकम् ने मिल्क एडल्टरेशन और उसकी जांच में प्रयुक्त उपकरणों की जानकारी दी । साथ ही उन्होंने बताया की हमारे यहा डेयरी प्रोडक्शन में ऐसी टेक्नोलॉजी है जो आम उपभोक्ताओं के लिए सुलभ होनी चाहिए । हमें व्यक्तिगत रुचि को ध्यान में रखकर डेयरी प्रोडक्शन की ट्रेनिंग देने की आवश्यकता है। तकनीकी सत्र पंचम डेयरी का पोषण, स्वास्थ्य और आजीविका में योगदान विषय पर जागरूकता इंडियन डेयरी एसोसिएशन के चेयरमैन डॉ जे.बी. प्रजापति की अध्यक्षता में “पब्लिक अवेयरनेस प्रोग्राम ऑन रोल ऑफ डेयरी इन न्यूट्रीशन, हेल्थ एंड लाइवलीहुड” विषयक पर टेक्निकल सेशन रहा। कार्यक्रम में देश के डेयरी विशेषज्ञों ने दूध और डेयरी उत्पादों के महत्व पर अपने विचार रखे। डाॅ जे.बी. प्रजापति, चेयरमैन, इंडियन डेयरी एसोसिएशन ने सबसे पहले भगवान श्रीकृष्ण का आभार व्यक्त किया और अपने संबोधन में डाॅ प्रजापति ने कहा कि “भगवद्गीता में दूध को अमृत कहा गया है। गाय का दूध वास्तव में अमृत समान है।’’ उन्होंने चिंता जताई कि आजकल बादाम और सोयाबीन जैसे पौधों से तैयार किए गए व्हाइट पाउडर को दूध के विकल्प के रूप में पेश किया जा रहा है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग दूध नहीं पीते, उनके मस्तिष्क का विकास धीमी गति से होता है। कैल्शियम टैबलेट भी दूध के साथ लेने पर अधिक लाभकारी होता है। हमारी बॉडी जानती है कि दूध हमारे बचपन का मित्र है। एएयू आनंद डेयरी साइंस के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. के.डी. अपनार्थी ने कहा कि जन्म से मृत्यु तक दूध हमारी जीवनशैली का हिस्सा है। पौधों के पाउडर से तैयार किया गया दूध कभी भी प्राकृतिक दूध का विकल्प नहीं हो सकता। उन्होंने बताया कि दूध DIAAS के अनुसार उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन स्रोत है और जिम करने वालों के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। उन्होंने कोलेस्ट्रम पाउडर के औषधीय उपयोग और छाछ के स्वास्थ्य लाभ पर भी प्रकाश डाला। सुरुचि कंसल्टेंट, नई दिल्ली के कुलदीप शर्मा ने डेयरी सेक्टर में नकारात्मक प्रचार का साहसपूर्वक सामना करने की बात कही। उन्होंने कहा, “आज हमें दुनिया को यह साबित करना पड़ रहा है कि गाय का दूध लाभकारी है। डेयरी का हमारे देश में सांस्कृतिक और भावनात्मक महत्व है। हम डेयरी सैनिक हैं—पोषण के रक्षक, किसानों के साथी और सच्चाई की आवाज।” डेयरी साइंस महाविद्यालय, रायपुर के डॉ. सारंग दिलीप फोफली ने डेयरी उत्पादन में जोखिम और उनके निवारण पर जोर दिया। उन्होंने QMRA मॉडल और HARPC के महत्व की चर्चा की तथा अमेरिका में लागू नए फूड सेफ्टी नियमों के तहत PCQI प्रशिक्षित व्यक्ति की अनिवार्यता की जानकारी दी। कार्यक्रम के समापन पर सभी वक्ताओं का सम्मान डाॅ जीवन सिंह सोलंकी द्वारा किया गया। इस टेक्निकल सेशन के चेयरमैन शायजू सिद्धार्थन (वाइस चेयरमैन, आईडीए), को-चेयरमैन जे.आर. दारूवाला (ZEC मेंबर, आईडीए इंदौर), और प्रतिवेदक सुश्री भोसले (शिक्षिका, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन) उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन और आभार प्रदर्शन डॉ. प्रीति पांडे ने किया। ईएमएस/05/07/2025