इन्दौर (ईएमएस)। रविवार को इन्दौर में धार्मिक सद्भाव का अनूठा संगम देखने को मिला, जब आषाढ़ी/पंढरपुरी एकादशी और मोहर्रम पर्व एक साथ मनाए गए। शहर के मध्य हिस्सों में दिनभर धार्मिक जुलूसों का सिलसिला जारी रहा। :: सुबह विट्ठल पालकी यात्रा का उल्लास :: सुबह के समय, शहर के मराठी समाज ने कृष्णपुरा छत्री से भगवान विट्ठल की भव्य पालकी यात्रा निकाली, जो पंढरीनाथ मंदिर तक पहुँची। इस दौरान भक्तों ने पारंपरिक उत्साह के साथ विट्ठला-विट्ठला के जयकारे लगाए। यात्रा मार्ग पर विभिन्न स्थानों पर मंच लगाकर पालकी का स्वागत किया गया। पुरुष पारंपरिक कुर्ता-पायजामा और महाराष्ट्रीयन टोपी में, वहीं महिलाएँ लुगड़ा पहनकर यात्रा में शामिल हुईं। पंढरीनाथ मंदिर पहुँचने के बाद भक्तों ने पूजा-अर्चना कर प्रसाद वितरित किया। रामबाग से पार्षद सुरेश टाकलकर ने भी एकादशी दिंडी यात्रा निकाली, जिसमें स्थानीय निवासी और अण्णा महाराज भी शामिल हुए। :: शाम को ताजियों के साथ गूंजे या हुसैन के नारे :: शाम होते ही, मुस्लिम समाज ने हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मोहर्रम का जुलूस निकाला। समाजजन ताजिए लेकर निकले, जिसकी शुरुआत राजवाड़ा के समीप इमामवाड़ा से सरकारी ताजिये के साथ हुई। शहर के विभिन्न क्षेत्रों से आए ताजिए इस जुलूस में शामिल हुए। मन्नती शेर भी जुलूस का हिस्सा बने, और लोग अपनी मुरादें पूरी करने की आस में ताजिये के नीचे से निकले। यह जुलूस राजवाड़ा, गुरुद्वारा, मच्छी बाजार और मोती तबेला होते हुए कर्बला मैदान तक पहुँचा। इस दौरान समाजजन या हुसैन... या हुसैन... के नारे लगाते हुए चल रहे थे। कर्बला मैदान पहुँचने पर ताजियों को ठंडा किया गया। इन्दौर में एक ही दिन दोनों समुदायों के प्रमुख धार्मिक आयोजनों का शांतिपूर्ण और उत्साहमय माहौल में संपन्न होना शहर की गंगा-जमुनी तहज़ीब का परिचायक बना। प्रकाश/6 जुलाई 2025