नई दिल्ली,(ईएमएस)। भारतीय समाज में पारिवारिक रिश्तों को अब तक परंपरागत रूप से पवित्रता और मर्यादा का प्रतीक माना जाता रहा है। लेकिन आधुनिक समय में तेजी से बदलते सामाजिक मूल्यों, सोशल मीडिया के प्रभाव ने इन रिश्तों की परिभाषा को ही बदल दिया है। हाल ही में देशभर से सामने आईं छह चौंकाने वाली प्रेम कहानियां बदलाव का प्रमाण हैं, जहां प्रेम ने पारंपरिक रिश्तों की सीमाएं लांघ दी हैं। जहां अलीगढ़ में सास और दामाद की शादी का मामला पूरे देश में चर्चा का विषय बना। शादी से 9 दिन पहले ही दूल्हा अपनी होने वाली सास के साथ फरार हो गया और बाद में दोनों ने शादी की। वहीं बिहार के जमुई में चाची और भतीजे की शादी ने ग्रामीणों को हैरानी में डाल दिया, जबकि मध्यप्रदेश के धार में फूफा और युवती के रिश्ते की परिणति हत्या में हुई। बदायूं से आई समधी-समधन की प्रेम कहानी ने भी सामाजिक रिश्तों को झकझोर दिया, जब बेटी की शादी से पहले ही मां अपने समधी के साथ भाग गई। औरंगाबाद (बिहार) में एक युवती ने अपने फूफा से प्रेम के चलते पति की हत्या तक करवा दी। वहीं रामपुर (उत्तर प्रदेश) में ससुर ने अपनी ही बहू से शादी कर ली, जिससे पूरे गांव में सनसनी फैल गई। वहीं मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि आधुनिक युवाओं में तेजी से बढ़ती स्वतंत्रता की भावना, डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर निजी संबंधों की पहुंच और फिल्मों में दिखाने वाले संबंधों की जटिलता ने पारंपरिक रिश्तों की परिधि को धुंधला कर दिया है। दूसरी ओर, समाजशास्त्रियों का मानना है कि यह प्रवृत्ति अगर व्यापक रूप लेती है, तब यह पारिवारिक ताने-बाने को गहराई से प्रभावित कर सकती है। इन घटनाओं को लेकर समाज में बहस तेज हो चुकी हैं, कुछ लोग इन घटनाओं को व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार मानते हैं, तब कुछ इन्हें भारतीय संस्कारों का पतन मनाते है। यह स्पष्ट है कि रिश्तों की पारंपरिक समझ आज संक्रमण काल से गुजर रही है, और आने वाले समय में समाज को इन नई चुनौतियों से निपटने के लिए गंभीर विमर्श की आवश्यकता होगी। आशीष/ईएमएस 08 जुलाई 2025