08-Jul-2025
...


नई दिल्ली (ईएमएस)। हैल्थ एक्सपटर्स के अनुसार, बुजुर्गों के लिए प्रभावी योगासन है अर्ध मत्स्येन्द्रासन, जो पाचन, दमा और कब्ज जैसी समस्याओं में लाभकारी माना जाता है। बढ़ती उम्र अपने साथ कई तरह की समस्याएं लेकर आती है, लेकिन इस योग के माध्यम से इन पर काबू पाया जा सकता है। अर्ध मत्स्येन्द्रासन बैठकर किया जाता है और इसमें शरीर को एक ओर मोड़ा जाता है, जिससे रीढ़ की हड्डी में खिंचाव आता है। इस खिंचाव के कारण रीढ़ की हड्डी लचीली बनती है और गर्दन के आसपास की नसें भी स्ट्रेच होती हैं। इसका असर मस्तिष्क तक भी जाता है, जहां रक्त प्रवाह सुधरने से तनाव कम होता है और याददाश्त व एकाग्रता बेहतर होती है। आयुष मंत्रालय के अनुसार अर्ध मत्स्येन्द्रासन वरिष्ठ नागरिकों के लिए खास तौर पर फायदेमंद माना गया है क्योंकि यह एड्रिनल ग्रंथि की कार्यक्षमता को बेहतर बनाता है। यह न केवल कब्ज और दमा जैसी समस्याओं में राहत देता है बल्कि पाचन को भी मजबूत करता है। विशेषज्ञों की सलाह है कि इस आसन को करते समय योग शिक्षक या विशेषज्ञ से मार्गदर्शन लेना चाहिए ताकि इसे सही तकनीक से किया जा सके और शरीर को किसी तरह की चोट से बचाया जा सके। नियमित रूप से इस आसन का अभ्यास करने से लिवर, किडनी और आंतों की हल्की मालिश भी होती है, जिससे इन अंगों के कामकाज में सुधार आता है। इसके अलावा यह पैनक्रियाज को सक्रिय करने में मदद करता है, जिससे शरीर में इंसुलिन का उत्पादन संतुलित रहता है। यही वजह है कि इस आसन को डायबिटीज के मरीजों के लिए भी फायदेमंद माना जाता है और यह उनकी दवा के साथ एक सहायक विकल्प हो सकता है। विशेषज्ञ अर्ध मत्स्येन्द्रासन की विधि भी बताते हैं। इसके लिए सबसे पहले दंडासन में बैठें, फिर एक पैर मोड़ें और एड़ी को विपरीत नितंब के पास रखें। दूसरा पैर मोड़कर घुटने के ऊपर से पार करें और जमीन पर टिकाएं। रीढ़ और कंधे सीधे रखें। सिर को मोड़कर कंधे की दिशा में देखें और सामान्य गहरी सांस लेते हुए 30 सेकंड से 1 मिनट तक इस मुद्रा में रहें। इस दौरान ध्यान सांस और रीढ़ की स्थिति पर होना चाहिए। धीरे-धीरे वापस आकर प्रारंभिक स्थिति में लौटें। सुदामा/ईएमएस 08 जुलाई 2025