-मानसून आते ही वन्यप्राणियों पर मंडराया शिकारियों का खतरा भोपाल (ईएमएस)। मप्र में मानसून के सक्रिय होने के साथ ही वन विभाग को वन्यप्राणियों की चिंता सताने लगी है। इसकी वजह यह है कि मानसून आते ही शिकारी और तस्कर वन क्षेत्रों में सकिय हो जाते हैं। दरअसल, मानसून सीजन में कोर जोन पर्यटन के लिए बंद हो जाने के बाद जंगल में चहल-पहल भी खत्म हो जाती है। ऐसे में वन्य प्राणियों को शिकारियों का भी खतरा रहता है। इसीलिए मानसून सीजन में विशेष प्लान के तहत इस तरह की स्पेशल गश्ती की जाती है। प्रदेश के टाइगर रिजर्व में 30 जून के बाद से कोर जोन में सफारी बंद कर दी गई है। इसके साथ ही अब टाइगर रिजर्व प्रबंधन, वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए विशेष प्लान पर काम कर रहा है। जिसमें सैकड़ों कर्मचारी टाइगर रिजर्व के चप्पे-चप्पे पर पैनी नजर रखेंगे। जिससे पर्यटन बंद होने के बाद मानसून सीजन में जंगल और वन्य प्राणी पूरी तरह से सेफ रहें। बांधवगढ़ में 800 लोग सक्रिय बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उप संचालक पीके वर्मा बताते हैं कि मानसून सीजन में जंगल और वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए प्लान तैयार कर लिया गया है। मानसून गश्त की शुरुआत भी हो चुकी है। इस विशेष सीजन के लिए हमारे 800 लोग फील्ड पर गश्ती में जाते हैं। जिसमें पूरा स्टाफ सहित वन रक्षक, श्रमिक, डिप्टी, रेंजर, एसडीओ, उप संचालक भी शामिल हैं। यहां तक की क्षेत्र के संचालक भी एक दिन पैदल गश्ती पर रहते हैं। उपसंचालक बताते हैं कि संवेदनशील जगहों की सूची तैयार रहती है। इस सूची के आधार पर हमारा वर्क प्लान भी अलग-अलग दिन का तैयार होता है। हमारी कोशिश यही रहती है कि जंगल का ऐसा कोई कोना न बचे जो हमारी पहुंच से दूर हो। इसके अलावा समय-समय पर जंगलों से लगे गांव और वहां के बाजार में भी हमारी जांच जारी रहती है। इस दौरान किसी प्रकार की गतिविधि पर यदि हमें संदेह होता है तो उस पर अलर्ट होकर नजर बनाए रखते हैं। जहां रास्ता नहीं वहां हाथी के सहारे गश्ती मानसून का सीजन है और इस दौरान पेड़-पौधे, झाड़ और पानी की वजह से कई रास्ते बंद हो जाते हैं। ऐसे में कैंप के हाथियों को भी तैयार रखा गया है और जहां पैदल या गाडिय़ों से नहीं पहुंच सकते हैं, वहां हाथियों की मदद से गश्ती की जाएगी। पीके वर्मा ने कहा कि हमारी कोशिश है कि पूरा इलाका हमारी पहुंच में बना रहे, जिससे किसी भी तरह की कोई घटना न हो। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में मानसून सीजन की गश्ती के लिए 175 स्थाई कैंप भी बनाए गए हैं। साथ ही कुछ अस्थाई कैंप भी निर्मित किए गए हैं। बाघ के साथ हाथियों का खतरा बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघ के साथ हाथियों के मूवमेंट का भी खतरा है, जिसके चलते हाथियों पर निगरानी बनाने के लिए इनका रूट भी चिन्हित किया गया है। ताला, मगधी और खितौली इन 3 कोर जोन में जंगली हाथियों का मूवमेंट बना रहता है, जो वन कर्मियों लिए एक चुनौती है। इन पर भी लगातार नजर रखनी होगी ताकि किसी गांव की ओर इनका मूवमेंट न हो सके। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व बाघ और हाथी जैसे वन्य प्राणियों का गढ़ है। इसके साथ ही इस टाइगर रिजर्व में कई अन्य वन्य प्राणी, पशु-पक्षी भी पाए जाते हैं, जो बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व को अलग बनाते हैं। बताया जाता है कि पूरे मप्र में सबसे ज्यादा बाघ बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पाए जाते हैं। इसके अलावा अब यह मप्र का इकलौता ऐसा टाइगर रिजर्व भी हो गया है, जहां बाघ के साथ हाथियों की भी साइटिंग होती है। विनोद / 08 जुलाई 25