-भारत को झटका, 200 हेलीकॉप्टर बनाने को लेकर हुआ था समझौता नई दिल्ली,(ईएमएस)। रूस-यूक्रेन जंग का असर भारत पर भी पड़ रहा है। रूस ने भारत के साथ मिलकर बनाने वाले कामोव हेलीकॉप्टर प्रोजेक्ट को रोक दिया है। दरअसल, रूसी कंपनी और भारत के एचएएल बीच 200 हेलीकॉप्टर बनाने को लेकर समझौता हुआ था, लेकिन दोनों देशों के बीच ये ज्वाइंट वेंचर अधर में लटका गया है। भारत और रूस ने 2015 में एक अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसके बाद एचएएल और रूसी हेलिकॉप्टर्स ने एक ज्वाइंट वेंचर इंडो-रूसी हेलिकॉप्टर्स लिमिटेड की स्थापना की थी। जब इस प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन की बात आई तो पहले कोविड महामारी से पूरी दुनिया अस्त-व्यस्त हो गई। सब कुछ बंद हो जाने से ये प्रोजेक्ट प्रभावित हुआ। कोविड महामारी के बाद जैसे ही इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने की कोशिश की गई, लेकिन उस समय रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एचएएल के सीएमडी ने बताया कि रूसियों को यूक्रेन के साथ युद्ध और उसके बाद उन पर प्रतिबंधों के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, खासकर डिफेंस के क्षेत्र में क्योंकि उन्हें अब उनको विशेष रूप से यूरोप से मंगाए गए पुर्जों को हासिल करने में समस्या आ रही है। यहां तक कि इंजन भी यूरोप से आ रहा था। अब वे खुद अपना इंजन बनाकर टेस्टिंग कर रहे हैं। रूस ने इस हेलिकॉप्टर के निर्माण को लेकर 70 फीसदी स्वदेशीकरण क्लॉज पर भी सहमति जताई है, लेकिन इसके लिए फिलहाल उनको समय चाहिए। 200 हेलीकॉप्टरों में से 135 सेना के लिए और 65 भारतीय वायुसेना के लिए हैं। एचएएल के सीएमडी ने बताया कि हमने उनसे विस्तृत जानकारी मांगी है। फिलहाल, यह अस्थिर स्थिति में है। हम कोई फैसला लेने से पहले उनके तरफ से कन्फर्मेशन का इंतजार करेंगे। उन्होंने बताया कि यह प्रोजेक्ट अभी भी अटका है, इसलिए एचएएल अपने स्वदेशी- लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर, लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर और भारतीय मल्टीरोल हेलीकॉप्टर पर ध्यान दे रहा है। उन्होंने बताया कि कर्नाटक के तुमकुरु में हेल का नया हेलीकॉप्टर कॉम्प्लेक्स पहले से ही एलयूएच का उत्पादन कर रहा है। धीरे-धीरे भविष्य में रोटरी-विंग उत्पादन का केंद्र बन जाएगा। हमने वहां पहले से ही आठ एचयूएच बनाए हैं। एलसीएच चरणबद्ध तरीके से वहां जाएगा। आखिरकार, हमारा 12-टन क्लास हेलीकॉप्टर आईएमआरएच भी वहां बनाया जाएगा। सिराज/ईएमएस 08जुलाई25