09-Jul-2025
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भारत पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर कई कंपनियां अमेरिका पर निर्भर वाशिंगटन,(ईएमएस)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर वैश्विक व्यापार पर आक्रामक नजर आ रहे हैं। पहले उन्होंने कई देशों को निशाना बनाया और अब वे उत्पाद-विशेष पर भारी टैरिफ लगाने की धमकी दे रहे हैं। इस बार वह कॉपर और फार्मास्युटिकल उत्पाद पर टैरिफ लगाने की बता कह रहे हैं। ट्रंप ने इन पर क्रमशः 50 फीसदी और 200 फीसदी तक का टैरिफ लगाने की बात कही है, जिसका सीधा असर भारत जैसे देशों पड़ेगा। भारत के लिए यह चिंता की बात है क्योंकि देश का फार्मा उद्योग अमेरिका पर काफी हद तक निर्भर है और कॉपर उत्पादों का भी एक बड़ा हिस्सा अमेरिका को निर्यात किया जाता है। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने करीब 17 हजार करोड़ रुपए के कॉपर और उससे जुड़े उत्पादों का निर्यात किया, जिनमें से करीब 17 फीसदी यानी 36 करोड़ डॉलर का निर्यात केवल अमेरिका को किया गया। फार्मा सेक्टर की बात करें तो भारत ने अमेरिका को करीब 9.8 अरब डॉलर यानी करीब 86 हजार करोड़ रुपए की दवाओं की आपूर्ति की। यह आंकड़ा इसलिए भी अहम है क्योंकि अमेरिका में उपयोग की जाने वाली करीब 40 फीसदी जेनरिक दवाएं भारत से निर्यात की जाती हैं। ऐसे में अगर प्रस्तावित 200 फीसदी टैरिफ लागू होता है तो इसका असर भारत की दवा कंपनियों पर महसूस पड़ेगा। भारत की अग्रणी दवा कंपनियों में से ज्यादातर की आय का बड़ा हिस्सा अमेरिकी बाजार से आता है। जैसे सन फार्मा की कुल कमाई में अमेरिका की हिस्सेदारी करीब 35 फीसदी है। यह कंपनी जेनरिक, स्पेशल जेनरिक और न्यूरोलॉजिकल दवाओं का अमेरिका को बड़ा निर्यातक है। ऑरोबिंदो फार्मा की आधी आय अमेरिका से आती है और वह वहां एंटीबायोटिक्स, एंटीवायरल और कार्डियोवैस्कुलर दवाओं की आपूर्ति करती है। डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज की 38 से 45 फीसदी आय अमेरिका से होती है और वह जेनरिक के साथ-साथ बायोसिमिलर्स और ओवर-द-काउंटर दवाएं भी वहां भेजती है। ल्यूपिन लिमिटेड की 40 फीसदी कमाई अमेरिका से होती है और हाल ही में इसने वहां एक नई दवा लॉन्च की है। सिप्ला लिमिटेड की करीब 30 फीसदी आय अमेरिकी बाजार से आती है, जहां वह सांस और एचआईवी जैसी बीमारियों की दवाएं भेजती है। जायडस लाइफसाइंसेज की 45 फीसदी, ग्लैंड फार्मा की 50 फीसदी और ग्लेनमार्क फार्मा की 35 फीसदी कमाई अमेरिका पर आधारित है। वहीं, नैटको फार्मा तो 70 फीसदी तक अमेरिका पर निर्भर है, जो कैंसर और हेपेटाइटिस-सी जैसी बीमारियों की दवाएं वहां भेजती है। टॉरेंट फार्मा की 25-30 फीसदी आय अमेरिका से आती है। इन आंकड़ों से यह साफ होता है कि भारतीय फार्मा कंपनियां अमेरिका के बाजार पर निर्भर हैं। ऐसे में अगर ट्रंप का यह टैरिफ लागू होता है, तो भारत के फार्मा उद्योग को भारी घाटा हो सकता है और यह स्थिति निर्यात संतुलन पर भी असर डाल सकती है। सिराज/ईएमएस 09जुलाई25