राष्ट्रीय
12-Jul-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। हैल्थ विशेषज्ञ बताते हैं कि मांसपेशियों में खिंचाव, डिस्क की समस्या, मोच, गठिया, मोटापा और तनाव भी पीठ दर्द के अहम कारण हैं। कुछ मामलों में चोट या आनुवंशिक कारणों से होने वाले दर्द से बचाव संभव नहीं है और यह बार-बार उभर सकता है। लेकिन कई ऐसी आदतें हैं जिन्हें अपनाकर इस समस्या को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि सबसे जरूरी है कोर मांसपेशियों को मजबूत करना। एब्डोमिनल एरिया की ये मांसपेशियां रीढ़ की हड्डी को सपोर्ट देती हैं और मजबूत होने पर रीढ़ पर दबाव कम पड़ता है। नियमित हल्के व्यायाम और स्ट्रेचिंग से लचीलापन बढ़ता है और वजन भी नियंत्रित रहता है। हालांकि दर्द बढ़ने पर खुद से एक्सरसाइज करने के बजाय डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है। विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि सक्रिय रहना बेहद जरूरी है। 2024 की एक रिसर्च के मुताबिक जो लोग हफ्ते में कम से कम 25 मिनट टहलते हैं, उन्हें पीठ दर्द की समस्या कम होती है और डॉक्टर के पास भी कम जाना पड़ता है। गंभीर मामलों जैसे नसों के दबने या डिस्क की परेशानी में सिर्फ बिस्तर पर लेटे रहना कारगर नहीं होता, बल्कि इससे मांसपेशियों में खिंचाव और दर्द बढ़ सकता है। हल्की फिजिकल एक्टिविटी, टहलना या तैराकी दर्द में राहत दे सकती है। झुकने, मुड़ने या भारी सामान उठाने से बचने की सलाह भी दी जाती है। मानसिक स्वास्थ्य का भी इसमें बड़ा रोल है। एक्सपर्ट बताते हैं कि 70 प्रतिशत से ज्यादा पीठ दर्द के मरीज तनाव, चिंता या अवसाद महसूस करते हैं और अवसाद दर्द को और गंभीर बना सकता है। इसलिए व्यायाम न केवल शारीरिक रूप से राहत देता है बल्कि मूड भी बेहतर करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन हफ्ते में 150 मिनट मध्यम गति के व्यायाम और सप्ताह में दो दिन मांसपेशियां मजबूत करने वाले व्यायाम की सलाह देता है ताकि शरीर स्वस्थ रहे और पीठ दर्द से बचा जा सके। बता दें कि आज की तेज रफ्तार और तकनीक-निर्भर जीवनशैली में पीठ दर्द एक आम समस्या बनती जा रही है। खतरनाक बात यह है कि यह समस्या सिर्फ उम्रदराज लोगों तक सीमित नहीं रही, बल्कि युवाओं को भी तेजी से अपनी चपेट में ले रही है। सुदामा/ईएमएस 12 जुलाई 2025