नई दिल्ली,(ईएमएस)। अफ्रीकी देश नामीबिया दुनिया में समुद्री हीरों (मरीन डायमंड) का सबसे बड़ा भंडार रखने वाला देश है। यहां समुद्र के नीचे करीब 80 मिलियन कैरेट से अधिक हीरे मौजूद हैं। ये हीरे गहराई में स्थित विशेष खनन जहाजों के जरिए समुद्र की तलहटी से निकाले जाते हैं। भारत से नामीबियो से संबंध सदा से बेहतर रहे हैं, इसके बावजूद नामीबिया अभी भारत को सीधे कच्चे हीरे का निर्यात नहीं करता है। वर्तमान में नामीबिया से निकले हीरे लंदन, एंट्वर्प (बेल्जियम) और अन्य वैश्विक व्यापार केंद्रों के जरिए भारतीय तटों तक पहुंचते हैं, जहां भारत की डायमंड इंडस्ट्री उन्हें प्रोसेस करती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में नामीबिया यात्रा के दौरान यह चर्चा का अहम विषय रहा कि भारत इन हीरों की डायरेक्ट खरीद की दिशा में कदम आगे अब बढा सकेगा, क्योंकि व्यापार के नए रास्ते खुलने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। भारत की कंपनियां पहले से सक्रिय भारत की कई डायमंड प्रोसेसिंग कंपनियां पहले से ही नामीबिया में सक्रिय हैं। इन कंपनियों ने स्थानीय स्तर पर प्रोसेसिंग यूनिट्स, कटिंग-पालिशिंग केंद्र और खनन परियोजनाएं शुरू की हैं। भारत ने नामीबिया में खनन, विनिर्माण, डायमंड प्रोसेसिंग और सेवाओं सहित विभिन्न क्षेत्रों में 800 मिलियन डॉलर (लगभग 6,600 करोड़) से अधिक का निवेश किया है। हीरे के अलावा खनिज भी हैं अहम नामीबिया केवल हीरों तक सीमित नहीं है। यह देश कोबाल्ट, लिथियम और दुर्लभ मृदा तत्वों में भी समृद्ध है। ये सभी तत्व क्लीन एनर्जी टेक्नोलॉजी, बैटरी स्टोरेज, और इलेक्ट्रिक वाहनों में अत्यंत जरूरी हैं। भारत, जो ग्रीन एनर्जी की ओर तेजी से बढ़ रहा है, के लिए नामीबिया रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हो गया है। इसके अलावा, नामीबिया यूरेनियम का भी एक प्रमुख उत्पादक देश है। भारत के सिविल न्यूक्लियर एनर्जी प्रोग्राम को नामीबिया के यूरेनियम से बड़ा सहयोग मिल सकता है, विशेष रूप से ऐसे समय में जब भारत वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की ओर तेजी से बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की ऐतिहासिक यात्रा से भारत-नामीबिया संबंधों को नई दिशा मिलने की उम्मीदें जागी हैं। हिदायत/ईएमएस 12 जुलाई 2025