राष्ट्रीय
13-Jul-2025
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हैदराबाद (ईएमएस)। आंध्र प्रदेश में एक मछुआरे के गायब होने की घटना ने मर्लिन मछली के बारे में लोगों में फिर से जिज्ञासा जगा दी है। मछुआरा मर्लिन मछली के जाल में फंसने के बाद समुद्र में खिंच गया और एक हफ्ते से लापता है। मर्लिन मछली अपनी लंबी और तलवार जैसी नुकीली थूथन के कारण जानी जाती है। इस थूथन को “बिल” कहा जाता है और यह मछली इसे शिकार को घायल करने या काबू में करने के लिए इस्तेमाल करती है। मर्लिन को पकड़ना बेहद चुनौतीपूर्ण माना जाता है और मछुआरों के बीच इसे “नाविकों को खींचने वाली मछली” कहा जाता है क्योंकि यह जाल में फंसने के बाद इतनी जोर से संघर्ष करती है कि नाव या मछुआरों को खींच ले जाती है। मर्लिन मछली इस्टीफोराइड परिवार से ताल्लुक रखती है और इसमें कई प्रजातियां शामिल हैं जैसे ब्लैक मर्लिन, ब्लू मर्लिन, व्हाइट मर्लिन और स्ट्राइप्ड मर्लिन। भारत के समुद्री इलाकों में ब्लू मर्लिन और ब्लैक मर्लिन ज्यादा आम हैं। यह मछली आकार में काफी बड़ी होती है – लंबाई 5 मीटर तक और वजन 900 किलो तक हो सकता है। इसका शरीर लंबा, मजबूत और मांसल होता है जिससे यह बहुत तेज तैर सकती है। इसके शरीर के रंग नीले, काले या चांदी जैसे होते हैं और इसकी पीठ के पंख बड़े और आकर्षक होते हैं जो इसे पानी में तेज गति देते हैं। मर्लिन दुनिया की सबसे तेज़ मछलियों में गिनी जाती है और यह 110 किलोमीटर प्रति घंटा तक की रफ्तार से तैर सकती है। इसकी शिकार सूची में टूना, मैकेरल और स्क्विड जैसी मछलियां शामिल हैं। यह आम तौर पर खुले समुद्र और गहरे पानी में पाई जाती है। इसकी ताकत और रफ्तार इसे पकड़ने को खतरनाक बनाती है। जाल या हुक में फंसने पर यह पूरी ताकत से भागने की कोशिश करती है और मछुआरों के लिए खतरा बन जाती है। कई बार मर्लिन अपनी नुकीली थूथन से रस्सी काट देती है या नाव में छेद कर देती है। इसके हमले से मछुआरे घायल भी हो सकते हैं। मछुआरों की कई कहानियों में कहा जाता है कि यह मछली इतनी ताकतवर होती है कि छोटी नावों को खींच सकती है या मछुआरों को पानी में गिरा देती है। भारत के अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर में मर्लिन मछली पाई जाती है और ये इलाके इसके लिए आदर्श निवास स्थल हैं। खाने के लिहाज से मर्लिन मछली को खाया जा सकता है लेकिन इसमें पारा की मात्रा अधिक हो सकती है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। इसलिए विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि इसे सीमित मात्रा में ही खाया जाए। सुदामा/ईएमएस 13 जुलाई 2025