इंटरनेट की स्पीड की बात करते हैं, तो भारत में 100 एमबीपीएस या अधिकतम 1 गीगाबाइट पर सेकंड को सबसे तेज स्पीड मान लिया जाता है। जापान ने इस पैमाने को ध्वस्त कर दिया है। जापान ने हाल ही में 1 पेटाबाइट प्रति सेकंड की स्पीड से डेटा ट्रांसफर करने की एक ऐसी तकनीकी क्रांति को जन्म दिया है जो ना केवल अभूतपूर्व है बल्कि विज्ञान और शोध के क्षेत्र में एक चमत्कारिक घटना के रूप में देखी जा रही है। जापान की इस सफलता से इंटरनेट की दुनिया में एक नया कीर्तिमान बनने जा रहा है, जो सोच से भी ज्यादा है। यह उपलब्धि जापान के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी (एनआईसीटी) ने सुमितोमो इलेक्ट्रिक और कई अंतरराष्ट्रीय शोध संस्थानों के साथ मिलकर हासिल की है। पारंपरिक ऑप्टिकल फाइबर में एक की जगह 19 कोर का प्रयोग करके 10,800 किलोमीटर की दूरी तक इंटरनेट के माध्यम से डेटा ट्रांसफर करके यह कीर्तिमान स्थापित किया गया है। नेटफ्लिक्स लाइब्रेरी, विकिपीडिया के करोड़ों पेज या 8के के वीडियो डेटा को एक सेकंड से भी कम समय में डाउनलोड किया जा सकता है। यह स्पीड, भारत की औसत इंटरनेट स्पीड से 1 करोड़ 60 लाख गुना ज्यादा है। अमेरिका से 35 लाख गुना तेज है। इसकी कल्पना मानव समाज ने अभी नहीं की थी। जो जापान ने करके बता दिया है। यह तकनीक की चरम सीमा है। वैश्विक स्तर पर इस उपलब्धि का प्रभाव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सिक्योरिटी, मेडिकल साइंस, क्वांटम कंप्यूटिंग, अंतरिक्ष अनुसंधान एआई तकनिकी जैसे क्षेत्र अब सभी सीमाओं से मुक्त हो जाएंगे। रीयल टाइम क्लाउड प्रोसेसिंग, होलोग्राफिक कम्युनिकेशन और ब्रेन-मशीन इंटरफेस जैसे भविष्य के अवसर वर्तमान के दरवाजे पर खड़े दिख रहे हैं। मानव मस्तिष्क की सोच से भी कई गुना तेज गति से अब सिग्नल प्राप्त किए जा सकते हैं। कोड किए जा सकते हैं, डिकोड किए जा सकते हैं। जापान की इस सफलता ने डिजिटल दुनिया में एक नई क्रांति को जन्म दिया है। इस स्पीड के पीछे कई तरह की चुनौतियां हैं। अभी तक जो शोध और नवाचार हो रहे थे। जापान ने दिखा दिया है, तकनीक में कोई शॉर्टकट अथवा संपूर्णता नहीं होती है। जापान ने डिजिटल तकनीकी को लेकर सारी दुनिया के देशों को और वैज्ञानिकों को एक नई चुनौती दी है। कुछ महीने पहले चीन ने 10 जी की इंटरनेट सेवा का सफल परीक्षण किया था, तब इसे बहुत बड़ी सफलता माना जा रहा था, लेकिन जापान ने चीन से कई गुना अधिक सफलता अर्जित कर इंटरनेट की दुनियां में चीन को पछाड़ दिया है। जापान के इस मॉडल से कल्पनाओं का लोक बहुत बड़ा हो गया है। अभी बहुत कुछ सीखने की चुनौती सामने आ गई है। इंटरनेट की यह स्पीड मानव क्षमता की पराकाष्ठा है। यह सफलता बताती है, भविष्य उनका है, जो कल्पनाओं के आधार पर विज्ञान, नवाचार की सोच को संकल्प के साथ दोड़ना जानते हैं। फिलहाल, इस रेस में जापान सबसे आगे बढ गया है। जापान की इस सफलता से अब कंप्यूटर हार्डवेयर सॉफ्टवेयर तथा संचार माध्यमों को लेकर आमूल-चूल परिवर्तन करने होंगे। डिजिटल तकनीकी में भारी बदलाव आएंगे। वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के सामने एक बड़ी चुनौती आ गई है। इस सफलता के बाद मानव सभ्यता तथा मानव क्षमता में बड़े परिवर्तन देखने को मिलेंगे। जापान ने जो सफलता अर्जित की है उसके कारण सभी क्षेत्रों में परिवर्तन देखने को मिलेगा। डिजिटल तकनीकी और सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से यह कहा जाता था कि पूरा विश्व एक गांव के रूप में बदल गया है। भविष्य में यदि यह भी कहा जाए कि सारा ब्रह्मांड एक विलेज में बदल गया है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। जापान की वर्तमान सफलता को देखते हुए, अब यह कहा जा सकता है कि मानव ने देवत्व की क्षमता को प्राप्त कर लिया है। मानव जो सोचता है उसे हासिल कर पाने में कोई बाधा नहीं रही। वहीं एक खतरा यह भी दिखने लगा है, जब-जब मानव के पास असीमित शक्तियां आ जाती हैं उनका सृजन के लिए काम और विध्वंस के लिए ज्यादा उपयोग होता है। यह अभी होता हुआ दिख रहा है। रूस और यूक्रेन, गाजा और इजरायल, ईरान और इजरायल के बीच जिस तरह के युद्ध लंबे समय से चल रहे हैं उसमें तकनीकी का जिस तरह से इस्तेमाल हो रहा है उसमें विध्वंस ज्यादा हो रहा है सृजन कम हो रहा है। डिजिटल तकनीकी और संचार माध्यमों की गतिशीलता हमारे मानव जीवन को बड़ी तेजी के साथ प्रभावित कर रही है। हमें कई तरह से शक्ति संपन्न बना रही है। इसके कारण महत्वाकांक्षा भी तेजी के साथ बढ़ रही है। यही आगे चलकर विध्वंस का कारण बनती है। तकनीकी की सफलता कहीं हमें पागलपन की ओर ना पहुंचा दे, इसके लिए सजग रहने की जरूरत है। ईएमएस/ 13 जुलाई 25