13-Jul-2025


नई दिल्ली (ईएमएस)। पति को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में सुबूतों और साक्ष्यों के अभाव का हवाला देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने पत्नी व उसके परिवार के सदस्यों को बरी करने के निर्णय को बरकरार रखा है। न्यायमूर्ति नीना कृष्णा बंसल की पीठ ने कहा कि पति अपनी शादी से नाखुश निराश था, लेकिन पत्नी के आत्महत्या के लिए उकसाने का कोई आरोप नहीं बनता। पीठ ने कहा कि महिला पर केवल मृतक को धमकी देने का आरोप है, लेकिन बिना किसी विशिष्ट घटना या तारीख के ऐसे अस्पष्ट दावे आरोपित साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है। उक्त टिप्पणी के साथ अदालत ने करावल नगर निवासी मृतक के पिता शिव कुमार की अपील याचिका खारिज कर दी। मामले में प्राथमिकी 2011 करावल नगर थाने में हुई थी और ट्रायल कोर्ट ने फरवरी 2020 में महिला व उसके परिवार के सदस्यों को बरी कर दिया था। याचिका में आरोप लगाया गया था कि आत्महत्या करने से ठीक पहले मृतक का अपनी पत्नी से झगड़ा हुआ था और वह दहेज के झूठे मामले में फंसाने की धमकी देती थी। मौके पर पहुंची पुलिस को सुसाइड नोट सौंप कर मृतक के पिता ने आरोप लगाया कि पत्नी और उसके परिवार के सदस्यों ने पति को परेशान किया गया था। हालांकि, अदालत ने कहा कि मृतक के माता-पिता की गवाही से पता चलता है कि पत्नी के ससुराल में कुछ समस्याएं थीं और वह आत्महत्या का प्रयास किया था। यह भी कहा कि मृतक के पिता ने बेटे-बहू के बीच वैवाहिक कलह का दावा करने के संबंध में ठोस सुबूत रिकॉर्ड पर पेश नहीं कर सके। अदालत ने कहा कि सुसाइड नोट पर कोई तारीख अंकित नहीं थी, इससे यह पता चले कि यह आत्महत्या के समय ही लिखा गया था। अजीत झा/ देवेन्द्र/नई दिल्ली/ईएमएस/13/ जुलाई /2025