-फ्रेंड की स्टोरी से हुआ खुलासा, पिता के दबाव में डिलीट किए थे सोशल मीडिया अकाउंट गुरुग्राम,(ईएमएस)। 25 वर्षीय टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की हत्या के बाद केस में हर दिन नए पहलू उजागर हो रहे हैं। अब राधिका का इंस्टाग्राम अकाउंट सामने आया है, जिससे उसकी सोशल मीडिया एक्टिविटी और मानसिक स्थिति को लेकर अहम संकेत मिल रहे हैं। राधिका की दोस्त हिमांशिका राजपूत की एक इंस्टाग्राम स्टोरी से पता चला है, कि राधिका का इंस्टा अकाउंट प्राइवेट मोड में है। उसमें 69 फॉलोअर्स हैं और उसने 68 लोगों को फॉलो किया था। हालांकि पोस्ट्स देखने लायक नहीं हैं, लेकिन बायो में स्पेनिश कहावत “टूडो पासा पोरअल्गो” यानी सब कुछ किसी कारण से होता है। लिखी है, जो शायद राधिका की आंतरिक स्थिति और संघर्ष का संकेत देती है। सोशल मीडिया पर क्या हुआ? राधिका ने पहले अपने सोशल अकाउंट्स को कई बार डिएक्टिवेट और रीएक्टिवेट किया था। को-एक्टर इनामुल के मुताबिक, राधिका जब तनाव में होती थी तो इंस्टा बंद कर देती थी। पिता दीपक यादव ने खुद कबूल किया कि उन्होंने राधिका पर दबाव डाला था कि वह सोशल मीडिया से दूर रहे। फ्रेंड्स और परिवार के बयान में अंतर फ्रेंड हिमांशिका ने कहा, वह अपने पिता की मर्जी से जीने को मजबूर थी। उसे शॉर्ट्स पहनने, लड़कों से बात करने तक पर टोका जाता था। वहीं दीपिका की मां मंजू यादव ने बताया कि दीपक यादव बेटी और मुझ पर अक्सर शक करता था। वहीं, पिता दीपक यादव का कहना है कि मैं पिछले 15 दिनों से डिप्रेशन में था। बेटी मेरी काउंसलिंग करती थी। मैंने ही उससे सोशल मीडिया हटवाया। मानसिक दबाव और आज़ादी की चाह जानकारी अनुसार कोच अजय यादव से चैट में राधिका ने कहा था, मैं खुलकर जिंदगी जीना चाहती हूं, लेकिन बहुत पाबंदियां हैं। वह ऑस्ट्रेलिया या दुबई जाकर 1-2 महीने की छुट्टी चाहती थी, लेकिन पिता ने मना कर दिया था। जानें मामला कया है? गुरुग्राम के सेक्टर-57 में 10 जुलाई को राधिका की हत्या उसके ही पिता दीपक यादव ने गोली मारकर कर दी थी। उन्होंने खुद पुलिस को बताया कि उन्होंने अपनी बेटी को मार डाला। राधिका पेशे से जूनियर इंटरनेशनल टेनिस खिलाड़ी थीं और हाल ही में एक म्यूजिक वीडियो “कारवां” में भी नजर आई थीं। इन सवालों के जवाब आाने हैं अभी बाकी क्या राधिका लगातार मानसिक शोषण का शिकार थी? क्या पिता के व्यवहार को लेकर पहले कभी पुलिस को शिकायत दी गई थी? क्या यह महज़ गुस्से या अवसाद की हरकत थी, या पूर्वनियोजित नियंत्रण की परिणति? इस मामले ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आज़ाद सोच रखने वाली बेटियों को पारिवारिक पाबंदियों के चलते कितनी कीमत चुकानी पड़ती है। हिदायत/ईएमएस 13जुलाई25