-इनका पतला शरीर, चुस्ती, फूर्ति और आक्रामकता विदेशी श्वानों से अलग मेरठ,(ईएमएस)। अब भारत की पारंपरिक श्वान नस्लें फिर चर्चा में हैं। इनमें भी ऐसी नस्लें जो एक समय शाही परिवारों की सुरक्षा करती थी, अब देश की रक्षा और सुरक्षा में भारतीय सेना के फौजी श्वान दस्ते में शामिल होकर अपना गौरव वापस ले रही हैं। आत्मनिर्भर भारत की दिशा में योगदान देती भारतीय सेना की फोर्स मल्टीप्लायर, आरवीसी सेंटर एंड कालेज ने इस ओर कदम बढ़ाया है। मुधोल हाउंड और चिप्पीपराई जैसी भारतीय श्वान नस्लों के सफल प्रशिक्षण के बाद अब राजापलयाम और रामपुर हाउंड हो भी सेना में शामिल किया गया है। रामपुर हाउंड को नवाब अहमद अली खान बहादुर ने अफगान हाउंड और इंग्लिश ग्रेहाउंड के प्रजनन से स्वदेसी नस्ल तैयार कराई थी जिसे रामपुर हाउंड नाम दिया गया। नवाब अली ने जंगली पशुओं से सुरक्षा और शिकार के लिए शिकारी कुत्तों का दल तैयार किया था। केंद्र सरकार ने 2005 में रामपुर हाउंड पर डाक टिकट जारी किया था। मध्य प्रदेश पुलिस ने इस प्रजाति को अपने डाग स्क्वाड में शामिल किया है। देशी श्वानों की इन चारों प्रजातियों की खूबियां ही इन्हें फौजी श्वान बनने के लिए योग्य बनाती हैं। इनका दुबला-पतला शरीर लेकिन बेहद चुस्ती, फूर्ति और आक्रामकता इन्हें विदेशी श्वानों से पूरी तरह अलग करती हैं। इनमें सूंघने की शक्ति, खोजी प्रवृत्ति इन्हें गार्ड और असाल्ट दोनों श्रेणी में खास बनाती हैं। स्वभाव में मुधोल हाउंड वफादार और रिजर्व है तो चिप्पीपराई स्वतंत्र और शांत रहता है। राजापलयाल साहसी और क्षेत्र को कंट्रोल करने वाला है तो रामपुर हाउंड सतर्क और अपनों के प्रति स्नेह का स्वभाव रखता है। प्रशिक्षण के दौरान इनकी रफ्तार वाहनों के पीछे दौड़ते हुए बहुत अच्छी मापी गई है। आरवीसी ने स्थापना दिवस पर मुधोल हाउंड की रफ्तार दिखाई भी थी जिसमें वह पलक झपकते ही घुड़सवारी के लिए इस्तेमाल होने वाली बाधाओं को लंबी छलांग में पार करते हुए निकल गया। अन्य तीनों प्रजातियों की खूबियों को अभी तक सेना से बाहर प्रदर्शित नहीं किया गया है। सेना के स्वदेशी फौजी श्वानों के दस्ते का पहला फौजी मुधोल हाउंड कर्नाटक के बागलकोट जिले के मुधोल क्षेत्र का है। इसकी ऊंचाई 66 से 74 सेमी और वजन 20 से 28 किलो होता है। चिप्पीपराई तमिलनाडु के पेरियार लेक, विरुधुनगर, मदुरै व शिवगंगा जिले में ज्यादा पाई जाती है। इसकी ऊंचाई 61 से 66 सेमी और वजन 15 से 20 किलो होता है। राजापलयाम भी तमिलनाडु के विरुधुनगर जिले के राजापलशम शहर का है और उसी पर इसका नाम भी पड़ा। इसकी ऊचाई 64 से 76 सेमी और वजन 25 से 30 किलो होता है। इनसे अलग रामपुर हाउंड यूपी के रामपुर का श्वान है। इसकी ऊचाई भी 64 से 86 सेमी और वजन 27 से 30 किलो तक रहता है। यह सभी बेहद अनुशासित होते हैं जिसके कारण इनके प्रशिक्षण बेहतर हो पा रहे हैं। आरवीसी सेंटर एंड कालेज के डॉग फैकल्टी में श्वानों की नई प्रजातियों को ब्रीडिंग से ट्रेनिंग यानी प्रजनन से प्रशिक्षण तक परखा जाता है। जन्म के कुछ समय बाद से अनुशासनात्मक प्रशिक्षण, फिर सामान्य प्रशिक्षण और उसके बाद विशेषज्ञता प्रशिक्षण पूरा होने के बाद श्वानों को फौजी दलों के साथ प्रशिक्षित कर ऑपरेशन के लिए तैयार किया जाता है। सिराज/ईएमएस 13जुलाई25