लेख
13-Jul-2025
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भारत सरकार द्वारा हाल ही में स्वीकृत की गई बहुप्रतीक्षित रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन (ईएलआई) योजना देश की श्रमशक्ति के लिए एक स्वागत योग्य राहत है। एक मजदूर संगठन (ट्रेड यूनियन) के तौर पर, हम इसे एक ऐसे दीर्घकालिक मांग के रूप में देखते हैं जोकि आखिरकार साकार हो रही है। यह एक ऐसी सक्रिय नीति है जो रोजगार सृजन, कौशल विकास और औपचारिकीकरण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है। हम इस अनूठी पहल की शुरुआत करने के लिए सरकार की सराहना करते हैं। इससे 3.5 करोड़ से अधिक श्रमिकों को लाभ मिलने की उम्मीद है। इन श्रमिकों में 1.9 करोड़ से अधिक पहली बार काम करने वाले श्रमिक भी शामिल हैं। भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) इस योजना को राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में श्रमिकों को प्राथमिकता देने की सरकार के इरादे की पुष्टि के रूप में देखता है। ईएलआई योजना एक ऐसे व्यापक रोजगार सहायता ढांचे का हिस्सा है, जो पिछले वर्ष शुरू की गई सरकार की इंटर्नशिप एवं कौशल विकास योजनाओं जैसी मौजूदा पहलों का पूरक है। कुल मिलाकर इन कार्यक्रमों का उद्देश्य विशेष रूप से नौकरी की सुलभता और सामाजिक सुरक्षा कवरेज के मामले में ऐतिहासिक रूप से पिछड़े श्रेणी 2 और श्रेणी 3 वाले शहरों के युवाओं के लिए रोजगार क्षमता को बेहतर बनाना, औपचारिक रोजगार की राह तैयार करना तथा श्रम सुरक्षा को मजबूत करना है। कर्मचारियों के खातों में सीधे योगदान देकर, यह योजना नियोक्ताओं के लिए औपचारिकीकरण की लागत को कम करती है और युवाओं व पहली बार काम करने वाले कर्मियों को औपचारिक श्रमशक्ति का हिस्सा बनने के लिए प्रोत्साहित करती है। इससे पेंशन, स्वास्थ्य सेवा और अन्य महत्वपूर्ण सामाजिक सुरक्षा लाभों की सुलभता सुनिश्चित होती है। इसके अलावा, मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को अतिरिक्त सहायता प्रदान करके, यह योजना रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के साथ-साथ सभी इलाकों और समुदायों में समान आर्थिक विकास को बढ़ावा देने का वादा भी करती है। यह योजना न केवल श्रमिकों के लिए एक नया अवसर पेश करती है, बल्कि सम्मानजनक, स्थिर और समावेशी रोजगार की दिशा में एक सार्थक बदलाव को भी दर्शाती है। श्रमशक्ति में प्रवेश और औद्योगिक संबंधों को ठोस बनाना ईएलआई योजना का सबसे सराहनीय पहलू यह है कि यह औपचारिक रोजगार और वित्तीय साक्षरता से जुड़े 15,000 रुपये तक के प्रत्यक्ष प्रोत्साहन के जरिए नौकरियों में प्रवेश करने वाले नए लोगों को सशक्त बनाने पर केन्द्रित है। कई लोगों के लिए, यह अनौपचारिक से हटकर अधिकार-आधारित व गरिमापूर्ण रोजगार की दिशा में बढ़ते हुए अनुबंधों, सामाजिक सुरक्षा और कार्यस्थल पर सुरक्षा से लैस कामकाज के व्यवस्थित माहौल से उनका पहला परिचय है। बीएमएस लंबे समय से श्रमिकों के सशक्तिकरण को बढ़ावा देने वाले ऐसे बदलावों की हिमायत करता रहा है। औपचारिकीकरण केवल वेतन-भुगतान से संबंधित अनुपालनों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह नियोक्ता-कर्मचारी के बीच के संबंधों की प्रकृति को भी मौलिक रूप से बदल देता है। सुरक्षा और सम्मान पाने वाले कर्मचारी अधिक योगदान देते हैं, लंबे समय तक टिके रहते हैं और भरोसे का निर्माण करते हैं। यह कर्मचारियों के लिए पेंशन, चिकित्सा संबंधी लाभ, भविष्य निधि से जुड़ी बचत और जरूरत पड़ने पर कानूनी सहायता की सुलभता सुनिश्चित करता है। यह योजना ट्रेड यूनियन के साथ सार्थक जुड़ाव, संस्थागत शिकायत निवारण और कार्यस्थल से जुड़े विवादों में कमी लाने की गुंजाइश बनाती है। इस दृष्टि से, ईएलआई योजना का आशय केवल रोजगार सृजन से ही नहींहै, बल्कि पारस्परिक सम्मान एवं साझा विकास पर आधारित एक अपेक्षाकृत अधिक न्यायसंगत एवं सहभागी कामकाज की दुनिया को आकार देने से भी है। कौशल निर्माण, गतिशीलता और सतत रोजगार ईएलआई योजना की एक प्रमुख विशेषता यह है कि यह भारत के कौशल एवं रोज़गार के व्यापक ढांचे के अनुरूप ढली हुई है। इससे ऐसा रोजगार सुनिश्चित होता है जो टिकाऊ और सशक्त दोनों हो। वित्तीय साक्षरता, अप्रेन्टिसशिप कार्यक्रमों, आईटीआई सुधारों और भर्ती से जुड़े कौशल (प्लेसमेंट लिंक्ड स्किलिंग) को जोड़कर, यह योजना कौशल हासिल करने से लेकर गरिमापूर्ण काम पाने तक का एक स्पष्ट मार्ग प्रशस्त करती है। इसका ध्यान केवल नौकरी में प्रवेश तक ही सीमित नहीं है, बल्कि आगे बढ़ने और करियर में प्रगति पर भी केन्द्रित है। इससे युवा श्रमिकों को औपचारिक श्रम बाजारों के साथ जुड़े रहने में मदद मिलती है। खासकर, महामारी के बाद की अनिश्चितताओं और तेजी से बदलते तकनीकी बदलावों की पृष्ठभूमि में। इससे दीर्घकालिक रोज़गार और विकास सुनिश्चित होता है। राष्ट्रीय प्रगति की साझा जिम्मेदारी ईएलआई योजना सही साधन प्रदान करती है, लेकिन इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि यूनियन, राज्य और अन्य संगठनों जैसे सभी हितधारक इसके साथ किस प्रकार जुड़ते हैं। यह योजना ट्रेड यूनियनों को नए औपचारिक श्रमिकों के साथ जुड़ाव बढ़ाने का अवसर प्रदान करती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हों और अपने कार्यस्थलों को आकार देने में सार्थक रूप से भाग ले सकें। रोजगार सृजन के साथ-साथ कार्यस्थल पर मजबूत लोकतंत्र, बेहतर श्रम-प्रबंधन संवाद और समस्याओं के समाधान में सहयोगात्मक रवैये को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। भविष्य में, ईएलआई योजना भारत के विकास से जुड़े दृष्टिकोण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। जैसे-जैसे हम विकसित भारत@2047 के सपने को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, हमारा लक्ष्य विकास या औद्योगिक विस्तार से परे जाकर एक कुशल, संरक्षित, प्रेरित तथा अर्थव्यवस्था में औपचारिक रूप से समन्वित श्रमशक्ति का निर्माण करना होना चाहिए। ईएलआई योजना इसी दृष्टिकोण के अनुरूप है और यह एक ऐसे भविष्य की नींव रखती है जहां युवा सशक्त और औद्योगिक संबंध सहयोगात्मक हों। बीएमएस इस दूरदर्शी कदम की सराहना करता है और श्रमिकों एवं राष्ट्र की बेहतरी के लिए इसके प्रति अपना रचनात्मक समर्थन व्यक्त करता है। ( अध्यक्ष, भारतीय मजदूर संघ) ईएमएस / 13 जुलाई 25